चीन- नेपाल, दुनिया। बीते काफी समय से चीन और नेपाल का एक मुद्दा भी चर्चा में चल रहा है। जो कि, मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन (MCC) का मुद्दा है। बीते दिनों चीन के काफी विरोध करने के बावजूद भी नेपाल ने आखिरकार अमेरिका के साथ सहयोग परियोजना (MCC) को संसद में मंजूरी दे दी है। बता दें, MCC को मंजूरी देने के बाद नेपाल अपने यहां ऊर्जा और परिवहन के क्षेत्र में अमेरिका से मदद लेकर विकास कार्य कर सकेगा। जिससे चीन काफी आपत्ति हो रही है। अब इस मामले क समझने के लिए हमें यह जानने की जरूरत है कि, आखिर MCC है क्या ? तो चलिए, इसे विस्तार से समझें...
क्या है MCC ?
दरअसल, नेपाल ने जिस सहयोग परियोजना (MCC) को संसद में मंजूरी दे दी है। वह एक मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन (Milenium chalenge Corporation) है। इसे ही शार्ट में MCC कहते है। यह अमेरिका की एक स्वतंत्र और इनोवेटिव विदेशी सहायता एजेंसी है जो, विकासशील देशों को आर्थिक सहायता दे कर उन्हें गरीबी से लड़ने में मदद करती है। अमेरिकी कांग्रेस द्वारा इस कॉरपोरेशन की शुरुआत जनवरी 2004 में की गई थी।
चीन को क्यों है दिक्कत :
बताते चलें, चीन नहीं चाहता कि, अमेरिका नेपाल का आर्थिक सपोर्ट करे। इसलिए वह काफी समय से अमेरिका के साथ नेपाल की होने वाली सहयोग परियोजना (USA and Nepal Millennium Challenge Corporation ) का विरोध कर रहा था, लेकिन बीते दिनों नेपाल ने संसद में इसे मंजूरी दे दी। इस सहयोग से नेपाल को यहां ऊर्जा और परिवहन (Transport) के क्षेत्र में अमेरिका की मदद मिल जाएगी जिससे वह विकास कार्य करेगा। इससे चीन को आपत्ति है। क्योंकि, यदि ऐसा होता है तो चीन को लगता है कि, 'MCC के माध्यम से अमेरिका नेपाल में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ाएगा और वहां से तिब्बत के जरिए चीन को अस्थिर करने की कोशिश करेगा।' हालांकि, नेपाल को चीन के विरोध या चीन की सोच से कोई फर्क नहीं पड़ता उसने सारी विचारधारा को साइड करते हुए अमेरिकी सहयोग को मंजूरी देते हुए यह सौदा कर लिया।
MCC का कार्य :
बताते चलें, MCC द्वारा दुनिया के कुछ सबसे गरीब, मगर सुशासन, आर्थिक स्वतंत्रता और अपने नागरिकों में निवेश के लिए के लिए प्रतिबद्ध देशों के साथ ही आर्थिक सहयोग किया जाता है। मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन (MCC) अमेरिकी एजेंसी विकासशील और अच्छे प्रदर्शन करने वाले देशों को आर्थिक सहायता देती है। MCC इन देशों को बड़े पैमाने पर अनुदान प्रदान करती है। जिससे वह विकार कार्य कर सके और गरीबी से निपटने के अपने प्रयासों के लिए फंड जुटा सकें।
MCC के अनुदान के प्रकार :
MCC के अनुदान करने के दो प्रकार के होते हैं - 'कॉम्पैक्ट और थ्रेशहोल्ड प्रोग्राम' :
कॉम्पैक्ट बड़े पैमाने पर, उन देशों के लिए पांच-वर्षीय निधि हैं।
थ्रेशहोल्ड प्रोग्राम उन देशों को दिए जाने वाले छोटे अनुदान हैं जो इन मानदंडों को पूरा करते हैं।
बता दें, MCC ने साल 2017 में दुनिया भर में कॉम्पैक्ट और थ्रेशोल्ड कार्यक्रमों में 10 बिलियन डॉलर से अधिक को मंजूरी दी है। इसके अंतर्गत निम्न सेक्टर्स में अनुदान दिया गया है -
कृषि और सिंचाई
सड़कें, पुल, बंदरगाह परिवहन
जल आपूर्ति
स्वास्थ्य सेवाएं
वित्त और उद्यम विकास
भ्रष्टाचार विरोधी पहल
भूमि अधिकार
शिक्षा
नेपाल को MCC की मदद :
बता दें, MCC और नेपाल ने साल 2013-2014 के दौरान नेपाल में डायगनोस्टिक स्टडी की थी। MCC ने इसके तहत ये निष्कर्ष निकाला कि ऊर्जा और परिवहन के क्षेत्र के लिए नेपाल के आर्थिक विकास के लिए दो प्रमुख बाधाएं हैं। इस प्रकार, नेपाल में समर्थन के लिए इन दो क्षेत्रों पर ध्यान दिया गया। 14 सितंबर, 2017 को वाशिंगटन डीसी में नेपाल और MCC के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। MCC की मदद से 300 किमी 400 KV ट्रांसमिशन लाइन बिछाई जाएंगी और मेछी, कोशी, सागरमाथा, त्रिभुवन राजपथ और ईस्ट-वेस्ट हाईवे पर 300 किमी सड़कों और 3 सब-स्टेशन के रखराखव के लिए मदद करेगा। MCC इस 630 मिलियन डॉलर परियोजना के लिए 500 मिलियन अमरीकी डालर का योगदान प्रदान करेगा और नेपाल 130 मिलियन अमरीकी डालर का खर्च करेगा।
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