भारत-नेपाल सीमा विवाद पर बोले रहवासी-जमीन हमारी है, हमारी ही रहेगी
भारत-नेपाल सीमा विवाद पर बोले रहवासी-जमीन हमारी है, हमारी ही रहेगीSocial Media

भारत-नेपाल सीमा विवाद पर बोले रहवासी-जमीन हमारी है, हमारी ही रहेगी

भारत-नेपाल सीमा के पास रहने वाले लोगों की प्रतिक्रिया सामने आई है, उनका साफ कहना है-जो जमीन हमारी है, हमारी ही रहेगी। वहीं नेपाल रक्षा मंत्री ने कहा, भारत के सेना प्रमुख ने हमारे इतिहास का अपमान किया।
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राज एक्‍सप्रेस। विश्‍वभर में कोरोना वायरस की महामारी के निपटने की जारी जंग के बीच इन दिनों भारत के दो देशों 'नेपाल और चीन' के साथ तकरार चल रही है। यहां एक तरफ लद्दाख सीमा पर भारत व चीनी सैनिकों के बीच तनातनी जारी है, तो वहीं दूसरी ओर भारत-नेपाल की सीमा पर विवाद दिनों-दिन गहराता जा रहा है।

भारत-नेपाल सीमा से सटे गांव के लोगों की प्रतिक्रिया :

वहीं इन सबके बीच भारत-नेपाल के बीच चल रहे सीमा विवाद को लेकर यहां की सीमा से सटे गांव के लोगों या कहे रहवासियों की प्रतिक्रिया ली गई है, जिसमें उनका साफ कहना है कि, ''जमीन हमारी है, वह हमारी ही रहेगी।'' इसके अलावा भारत-नेपाल सीमा पर बसे गांव पिथौरागढ़ के धारचूला के पास के गांवों के लोगों से नेपाल की इस हरकत पर प्रतिकिया के बारे में जाना तो इस दौरान लोगों का साफ यह कहना था कि, भले ही नेपाल से उनके काफी अच्छे रिश्ते हैं पर जहां तक जमीन की बात है वो एक भी इंच अपनी जमीन नहीं छोड़ेंगे।

नेपाल के रक्षा मंत्री का कहना :

इसके अलावा नेपाल के रक्षा मंत्री ईश्वर पोखरेल द्वारा ये बात कही गई है कि, लिपुलेख विवाद को लेकर भारत के सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरावने का बयान नेपाल के इतिहास का अपमान है। बताते चलें कि, हाल ही कुछ दिनों पहले जनरल नरावने द्वारा अपने बयान में कहा था कि, "नेपाल किसी और के इशारे पर धारचुला से लिपुलेख सड़क बनाने की भारत की कोशिश का विरोध कर रहा है।''

बता दें कि, सबसे पहले नेपाल और ब्रिटिश भारत के विवाद की शुरूआत सन् 1816 में शुरू हुई थी, इस दौरान दोनों देशों के बीच सुगौली की संधि हुई थी, जिसके तहत दोनों के बीच महाकाली नदी को सीमारेखा माना गया था। इस नदी के एक तरफ भारत और दूसरी तरफ नेपाल है, लेकिन अब नेपाल 'कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा' पर सुगौली संधि के आधार पर अपना दावा पेश करने लगा है।

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