राज एक्सप्रेस। नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली, जो 10 मई को संसद में पेश विश्वास मत हार चुके थे, को फिर से देश का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है क्योंकि विपक्षी पार्टियां सरकार के गठन के लिए आवश्यक बहुमत वोट जुटाने में विफल रहीं। श्री ओली को गुरुवार को फिर से प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया गया क्योंकि वह सदन में सबसे बड़ी पार्टी के नेता हैं।
स्थानीय मीडिया के मुताबिक नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने बहुमत की सरकार के गठन के लिए संसदीय पार्टियों को तीन दिनों का समय दिया था। सुश्री भंडारी ने एक बयान में कहा कि सरकार के गठन के लिए अभी तक कोई भी पार्टी या गठबंधन आगे नहीं आया है। अब श्री ओली को 30 दिनों के भीतर फिर से संसद में विश्वास मत हासिल करना होगा।
इससे पहले श्री ओली सोमवार को संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा में पेश विश्वास प्रस्ताव हार गये। संसद में बहुमत परीक्षण के दौरान श्री ओली के पक्ष में सिर्फ 93 वोट पड़े। वहीं 124 सदस्यों ने उनके विरोध में मत किया। श्री ओली को विश्वास प्रस्ताव जीतने के लिए 136 मत चाहिए थे। नेपाल में 271 सदस्यीय संसद में 232 सदस्य हैं। जो लोग मतदान नहीं कर सके या उपस्थित नहीं थे, उनमें कम्युनिस्ट पार्टी के 28 बागी सदस्य भी शामिल हैं। नेपाल में 2015 में संवैधानिक तरीके से चुनी गई पहली सरकार का यह पहला विश्वास प्रस्ताव था। इसमें ओली असफल रहे।
श्री ओली की पार्टी के माधव नेपाल-झाला नाथ खनाल गुट के सांसद को सीपीएन-यूएम ने रोक दिया। नेपाली कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओवादी केंद्र) के क्रमश: 61 और 49 वोट हैं। दोनों ने विश्वास प्रस्ताव के दौरान श्री ओली के खिलाफ मतदान किया।
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