म्यांमार की सत्‍ता में फौजी हुकूमत कायम-एक साल की इमरजेंसी घोषित

म्यामांर में सेना ने तख्तापलट कर स्टेट काउंसलर आंग सान सू की, राष्ट्रपति विन मिंट व अन्य सदस्यों को हिरासत में लेने के बाद म्यांमार की सेना ने देश में एक साल के लिए इमरजेंसी घोषित की।
म्यांमार की सत्‍ता में फौजी हुकूमत कायम-एक साल की इमरजेंसी घोषित
म्यांमार की सत्‍ता में फौजी हुकूमत कायम-एक साल की इमरजेंसी घोषितPriyanka Sahu -RE
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म्यांमार। दशकों तक आर्मी राज झेलने वाले म्यांमार की सत्‍ता में एक बार फिर फौजी हुकूमत कायम हुआ है, क्‍योंकि म्यांमार की सत्तारुढ़ पार्टी 'नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी की नेता आंग सान सू की और राष्ट्रपति विन मिंट को म्यांमार की सेना द्वारा सोमवार को हिरासत में लिया गया है।

देश में एक साल की इमरजेंसी घोषित :

सामने आई जानकारी के अनुसार, म्यांमार की सेना ने स्टेट काउंसलर आंग सान सु की और राष्ट्रपति विन मिंट तथा सत्तारूढ पार्टी के अन्य सदस्यों को हिरासत में लेने के बाद म्यांमार की सेना ने देश में एक साल के लिए इमरजेंसी घोषित कर दी है। दरअसल, सेना ने ऐलान किया है कि, 'उसने इमरजेंसी स्टेट के तहत देश का नियंत्रण एक साल के लिए अपने हाथ में ले लिया है।' घोषणा के मुताबिक, म्यांमार की सत्ता मेें अब कमांडर-इन-चीफ ऑफ डिफेंस सर्विसेज मिन ऑंग लैंग के हाथों में होगी।

म्यांमार के चुनावों में धांधली का आरोप

बता दें, म्यामांर में सेना को टेटमदॉ के नाम से जाना जाता है और सेना ने म्यांमार के चुनावों में धांधली का आरोप लगाया है। सिविलियन गवर्नमेंट और शक्तिशाली सेना के बीच तनाव बढ़ने के बाद यह कदम सामने आया है।

अमेरिका ने दी कार्रवाई की धमकी :

तो वहीं, म्यांमार में तख्तापलट पर अमेरिका की प्रतिक्रिया आई है। इस दौरान अमेरिका ने लोकतांत्रिक व्यवस्था को चोट पहुंचाने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की धमकी दी। इसके अलावा नेशनल पार्टी फॉर डेमोक्रेसी के प्रवक्ता ने कहा- अमेरिका और अन्य देशों को आर्मी राज पर प्रतिबंध लगाकर एक मजबूत संदेश देना चाहिए। सभी देशों को मिलिट्री जनता की लीडरशिप और इसके आर्थिक सहयोगियों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने चाहिए। जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों को अपना बिजनेस वापस लेने चाहिए। बर्मा (म्यांमार) की जनता दोबारा से चीन की जागीरदारी नहीं बनना चाहती है।

ज्ञात हो कि, म्यांमार में सत्तारुढ़ पार्टी और वहां की सेना के बीच हुए चुनाव के परिणामों के बाद से ही भारी तनाव चल रहा है और अब म्यांमार की सत्‍ता में आर्मी का राज होना काई नई बात नहीं है, क्‍योकि इस देश में एक लंबे समय तक आर्मी का राज रहा है। वर्ष 1962 से लेकर साल 2011 तक देश में 'मिलिट्री जनता' की तानाशाही रही है। वर्ष 2010 में म्यांमार में आम नागरिक सरकार' बनी, जिसमें जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों को राज करने का मौका मिला।

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