अंतरराष्ट्रीय गुमशुदा बाल दिवस
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अंतरराष्ट्रीय गुमशुदा बाल दिवस आज, जानिए कैसे हुई थी यह दिन मनाने की शुरुआत?

पिछले साल सामने आई एक रिपोर्ट के अनुसार घरों से भागे हुए बच्चों में से 46 प्रतिशत बच्चे 13 अलग-अलग राज्यों में मिले जबकि बाकि 54 प्रतिशत बच्चे दिल्ली में मिले।
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International Missing Children's Day : हमारे सामने आए दिन बच्चों के अपहरण, चाइल्ड ट्रैफिकिंग और गुमशुदा हो जाने के मामले सामने आ जाते हैं। ऐसे में किसी कारणवश अपने परिवार से बिछड़ चुके बच्चों को ढूंढने और उन्हें वापस अपने परिवार से मिलाने के लिए हर साल 25 मई को International Missing Children's Day यानि अंतरराष्ट्रीय गुमशुदा बाल दिवस मनाया जाता है। इस दिन लोगों को गुमशुदा बच्चों को ढूंढने के लिए जागरूक किया जाता है। साथ ही इस क्षेत्र में काम कर रहे लोगों को सम्मानित भी किया जाता है।

अंतरराष्ट्रीय गुमशुदा बाल दिवस का इतिहास

दरअसल अमेरिका के न्यूयॉर्क में 25 मई 1979 को एक 6 साल का बच्चा एटन पैट्ज स्कूल जाते समय लापता हो गया। एटन के फोटोग्राफर पिता ने उसकी ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर करके उसे खोजने की अपील की। धीरे-धीरे पूरे अमेरिका में एटन को खोजने की मुहीम चल पड़ी। इसके बाद साल 1983 में अमेरिका के राष्ट्रपति ने इस दिवस को मनाने की घोषणा की। कुछ सालों तक यह दिवस सिर्फ अमेरिका में मनाया जाता रहा, लेकिन साल 2001 में इसे पूरी दुनिया में मनाया जाने लगा।

भारत में हर आठ मिनट एक बच्चा लापता

एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर आठ मिनट में एक बच्चा घर से लापता हो जाता है। इनमें से कई बच्चे इसलिए घर से भाग जाते हैं ताकि वह दुर्व्यवहार और गरीबी से छुटकारा पा सके। इसके लिए वह बड़े शहरों का रूख करते हैं। उन्हें लगता है कि बड़े शहर में जाकर वह खूब पैसा कमाएंगे और अच्छी लाइफ जिएंगे। हालांकि यहां आकर वह अक्सर तस्करों के जाल में फंस जाते हैं।

घरों से क्यों भागते हैं बच्चे?

एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब 47 फीसदी बच्चे प्यार के चलते या फिर पढ़ाई के डर से अपना घर छोड़ देते हैं। कई बच्चे अपने परिजनों के दुर्व्यवहार से तंग आकर घर छोड़ देते हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या में बच्चे गरीबी से छुटकारा पाने और आलिशान जिन्दगी जीने के लिए भी घर से भाग जाते हैं।

दिल्ली पसंदीदा स्थान

घर से भागे हुए बच्चों के लिए दिल्ली सबसे पसंदीदा स्थान है। पिछले साल सामने आई एक रिपोर्ट के अनुसार घरों से भागे हुए बच्चों में से 46 प्रतिशत बच्चे 13 अलग-अलग राज्यों में मिले जबकि बाकि 54 प्रतिशत बच्चे दिल्ली में मिले। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि घर से भागने वाले ज्यादातर बच्चे दिल्ली पहुँचते हैं।

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