हाइलाइट्स –
FATF: ग्रे लिस्ट में बना रहेगा पाकिस्तान!
भारत और यूरोपीय देशों के निशाने पर पाक
भारत में हमलों के मास्टर माइंड को पनाह देने का आरोप
राज एक्सप्रेस। फ्रांस के सबसे बड़े शहर और देश की राजधानी पेरिस में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ/ FATF) यानी वित्तीय कार्रवाई कार्यदल की वर्चुअल मीटिंग में पाकिस्तान यूरोपीय देशों के निशाने पर रहा।
मीटिंग कार्यक्रम -
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) दुनिया के देशों में टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे काले कारनामों पर नजर रखती है। एफएटीएफ की 22 फरवरी को पेरिस में शुरू हुई यह अहम बैठक आगामी 26 फरवरी तक जारी रहेगी।
पाकिस्तान पर पहचान का संकट -
एशियाई और पश्चिमी देशों की मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार FATF की ग्रे लिस्ट में सूचीबद्ध पाकिस्तान का इस बदनामी के दायरे से बाहर निकलना लगभग असंभव है। दरअसल यूरोपीय देशों ने FATF के निर्धारित मानदंडों पर पाकिस्तान के खरा न उतरने पर ऐतराज जताया है।
आपको बता दें 22 से 25 फरवरी तक पेरिस में आयोजित होने वाले एफएटीएफ के पूर्ण सत्र में पाकिस्तान समेत ‘ग्रे सूची’ में शामिल कई देशों की मौजूदा स्थिति पर विचार किया जाएगा। किस देश को सूची में किस वर्ग में चिह्नित किया गया है इसका खुलासा बैठक के समापन पर होगा।
तीन सालों से फजीहत -
रिकॉर्ड्स के अनुसार पिछले तीन सालों से पाकिस्तान FATF की लिस्ट में ग्रे कैटेगरी में रखा गया है। साल 2018 में पाकिस्तान को FATF ने लिस्ट में यह दर्जा प्रदान किया था। देश की छवि सुधारने पर निर्धारित प्रोग्राम के तहत FATF ने पिछले साल पाकिस्तान को 23 बिंदुओं पर आधारित एक सुधार कार्यक्रम सौंपा था।
इस जिम्मेदारी के तहत FATF ने पाकिस्तान के समक्ष इन शर्तों को पूरा करने के साथ ही इस बात को पुख्ता करने के लिए सबूत पेश करने की भी अनिवार्यता रखी थी। ग्रीक सिटी टाइम्स (greekcitytimes-GCT) की रिपोर्ट कहती है कि; FATF से मिली चुनौती पर पाकिस्तान में सुधार की दिशा में की गई इमरान सरकार की कार्रवाई से FATF संतुष्ट नहीं है।
जीसीटी ने मौजूदा परिप्रेक्ष्य में यूरोपीय और एशियाई देशों के रुझानों के आधार पर अपनी रिपोर्ट में संभावना जताई है कि इस बात की संभावना अधिक है कि पाकिस्तान को काली सूची में डाल दिया जाएगा या फिर आखिरी चेतावनी देकर उसे आगे फिर से ग्रे लिस्ट में बरकरार रखा जाए।
भारत से असहयोग -
बीते साल अक्टूबर, 2020 में आयोजित अंतिम पूर्ण सत्र में FATF ने पाकिस्तान को फरवरी, 2021 तक ‘ग्रे लिस्ट’ में बरकरार रखने का निर्णय लिया था। FATF ने यह निर्णय वैश्विक धनशोधन और आतंकवादी वित्तपोषण निगरानी के 27 में से 6 दायित्वों को पूरा न कर पाने के कारण लिया था।
इन अपूर्ण दायित्वों में भारत के दो सबसे वांछित आतंकवादियों जैश-ए मोहम्मद (Jaish-e-Mohammed - JeM) प्रमुख मौलाना मसूद अजहर (Masood Azhar) और जमात-उद-दवा (Jamaat-ud-Dawa – जेयूडी/JUD) प्रमुख हाफिज सईद (Hafiz Saeed) पर उचित कार्रवाई न करना भी शामिल है।
याद रखें, अजहर और सईद का भारत में 26/11 मुंबई टेररिस्ट अटैक और जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ की बस पर आतंकी हमलों जैसी कई आतंकी घटनाओं में कनेक्शन होने के कारण दोनों ही सबसे वांछित आतंकवादी हैं।
अफगान में दिक्कतें -
पश्चिमी जगत की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक FATF फिलहाल पाकिस्तान सरकार द्वारा जेयूडी (JUD) और जैश (JeM) पर की गई कार्रवाई से खुश नहीं है। पाकिस्तान में दोनों संगठनों के खुलेआम किए जा रहे कामों पर भी FATF की नजर है।
अमेरिका ने पाकिस्तान से आतंकी संगठनों को पनाह देने से रोकने की बात कही है। अमेरिका ने अफगानिस्तान में पेश आ रही दिक्कतों के लिए साफ तौर पर पाकिस्तान को जिम्मेदार माना है।
मिला था सुधरने का मौका -
दरअसल FATF ने पिछले अक्टूबर महीने में आयोजित हुई वर्चुअल रिव्यू मीटिंग में पाकिस्तान की कार्रवाई में बेहद गंभीर खामियां गिनाई थीं। इस मीटिंग में पाकिस्तान को एक और मौका देते हुए फरवरी वाली वर्चुअल मीटिंग में विचार करने का निर्णय लिया गया था।
फ्रांस भी नाराज -
पिछले दिनों शार्ली एब्दो कार्टून विवाद के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के विचारों से फ्रांस नाखुश दिखाई दिया। घटना के बाद से पाकिस्तान और फ्रांस के बीच आपसी सहयोग में कमी आई है। कार्टून विवाद के बाद पाकिस्तान के पीएम इमरान खान के इस ट्वीट ने ध्यान खींचा था। –
अमेरिका की नाराजगी -
अमेरिका भी पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या के मामले में बरी हुए मुख्य आरोपी के कारण नाखुशी जाहिर कर चुका है। भारत ने भी आतंकी हमलों के मामले में पाकिस्तान की लिप्तता का अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सबूतों के साथ खुलासा किया है।
ऐसे में साफ है कि FATF की वर्चुअल मीटिंग में इस बार पाकिस्तान अब भारत समेत अमेरिका और फ्रांस के निशाने पर भी रहेगा। पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में रहेगा या उसे उठाकर काली सूची में डाल दिया जाएगा? इस सवाल के जवाब के लिए फिलहाल दुनिया की नजरें FATF की मीटिंग के निर्णयों पर टिकी हुई हैं।
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डिस्क्लेमर – आर्टिकल प्रचलित रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।
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