राजएक्सप्रेस। भारत से दुश्मनी निभाने के चक्कर में पाकिस्तान अब खुदके ही जाल में फंस गया है। इस कोरोना की महामारी ने पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति और भी ख़राब कर दी है। पिछले साल अगस्त के महीने में जब मोदी सरकार ने कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किया तो पाकिस्तान ने भारत के साथ व्यापार पर पूरी तरह से बैन लगाने जैसा आत्मघाती कदम उठाये। इसके बाद अब इस महामारी के दौर में पाकिस्तान की ही दवा कंपनियां अपनी सकरार को भारत से आयात बैन करने को लेकर कोस रही हैं।
पिछले कुछ दिनों से पाकिस्तान में भारत से दवाओं के आयात को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। पाकिस्तान ने भारत से व्यापार पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के कुछ दिनों बाद ही जीवनरक्षक दवाओं के आयात पर छूट दे दी थी, फिर पाकिस्तान इन्ही जीवनरक्षक दवाओं की आड़ में भारत से विटामिन्स से लेकर सरसों का तेल तक आयत कर लिया करता था। जब ये मामला सामने आई तो पाकिस्तान सरकार सवालों के घेरे में आ गई। विवाद बढ़ने पर पाकिस्तान सरकार ने मामले की जांच के आदेश भी दिए।
पाकिस्तान में कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए देश की फार्मा मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन ने सरकार को चेतावनी दी है, कि अगर भारत से कच्चे माल के आयात पर बैन नहीं हटाया गया तो पाकिस्तान को दवाओं के उत्पादन में 50 फीसदी का नुकसान उठाना पड़ेगा, क्योंकि, पाकिस्तान भारत से आयात किये गए कच्चे माल पर बहुत ज्यादा निर्भर करता है। इससे ना केवल पाकिस्तान में दवाओं की किल्लत होगी बल्कि कोरोना वायरस से देश की लड़ाई भी कमजोर पड़ जाएगी।
पाकिस्तान की फार्मा एसोसिएशन के वाइस चेयरमैन सैय्यद फारूक बुखारी ने कहा कि जब देश में कोरोना वायरस जैसी महामारी बढ़ रहे हैं तब केंद्रीय कैबिनेट को भारत या किसी भी दूसरे देश से दवाओं और उसके लिए जरूरी कच्चे माल के आयात को बैन करने जैसा कोई फैसला नहीं लेना चाहिए। बुखारी ने आगे कहा, जब केंद्र और राज्य सरकारें देश में बढ़ते कोरोना के मामलों से निपटने के लिए ज्यादा से ज्यादा क्वारंटीन सेंटर्स, आइसोलेशन फैसिलिटी और अस्पतालों में विशेष वार्ड बना रही है, तो कोरोना के मरीजों के लिए जरूरी दवाओं की आपूर्ति भी सुनिश्चित करना चाहिए। कोरोना से निपटने के लिए पाकिस्तान की फार्मा इंडस्ट्री अपनी पूरी क्षमता के से दवाओं का उत्पादन कर रही है, लेकिन इस उत्पादन को जारी रखने के लिए अंतरराष्ट्रीय क्लाइंट से कच्चे माल की आपूर्ति करना बहुत जरुरी है।
पाकिस्तान की फार्मा एसोसिएशन के पूर्व चेयरमैन डॉ. केसर वहीद ने भी सरकार को समझाइश देते हुए कहा कि पाकिस्तान में 95 फीसदी ड्रग (दवा) उत्पादन दूसरे देशों से लाए गए कच्चे माल पर निर्भर करता है, जिसमें भारत की हिस्सेदारी 50 फीसदी है जबकि बाकी चीन और कुछ यूरोपीय देशों से आयात किया जाता है।
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