रूस में तख्ता-पलट का दावा करने वाले का कैसे पलट गया मन ? मजबूत सैन्य नेतृत्वकर्ता के रूप में सामने आए पुतिन
राज एक्सप्रेस । वैगनर लड़ाकों के प्रमुख येवगेनी प्रिगोझिन और रूस के बीच शनिवार रात को आखिरकार समझौता हो गया और मास्को पर कब्जा करने पर उतारू वैगनर बल शांत होकर अपने सैन्य शिविरों में लौट गए हैं। रूस को नया राष्ट्रपति देने का दावा करने वाले येवगेनी महज 12 घंटे में इस कदर कैसे पलट गए और सीधे समझौते की टेबल पर जा बैठे इसकी अलग कहानी है। यह दरअसल, रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन के रणनीतिक कौशल का नतीजा है। उन्होंने अपने भावुक संबोधन से एक ओर वैगनर को मिल रहे समर्थन को खत्म किया तो दूसरे उपायों से येवनेगी प्रिगोझिन का मनोबल भी इस कदर तोड़ दिया कि उन्होंने बातचीत की मेज पर जाने में ही भलाई समझी। इसके बाद पुतिन के नजदीकी अलेक्जेंडर लुकाशेंको आगे आए और उन्होंने गनर समूहर के मुखिया येवगेनी प्रिगोझिन के साथ रूस का समझौता कराया, इस दौरान पुतिन आनलाइन उनसे जुड़े रहे। इस समझौते के तहत ही प्रिगोझिन ने अपने सैनिकों को पीछे हटने का आदेश दिया और इसके साथ ही रूस में अचानक पैदा हुए संकट का अंतत रक्तपात रहित हल निकाल लिया गया।
रक्तपात टलने पर लोगों ने वैगनर सैनिकों के जयकारे लगाए
समझौते के बाद येवगेनी प्रिगोझिन ने एक आधिकारिक टेलीग्राम चैनल के जरिए बयान जारी करते हुए कहा इस संघर्ष से बहुत खून-खराबा हो सकता था, इसीलिए एक पक्ष अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए आगे आया ताकि इस खून-खराबे को रोका जा सके। अब हम संघर्ष खत्म करने पर राजी हो गए हैं। इसलिए हम अपने काफिले लेकर योजना के अनुसार फील्ड शिविरों में वापस जा रहे हैं। बयान के कुछ घंटों के भीतर, रोस्तोव शहर में वैगनर के भाड़े के सैनिकों को उनके ट्रकों में चढ़ते और शहर से बाहर निकलते देखा गया। यहां संभावित युद्ध टलने से उत्साहित लोगों ने वैगनर सैनिकों के साथ सेल्फी ली और उनके जयकारे लगाए।
रूस-वैगनर समझौते में लुकाशेंको ने निभाई अहम भूमिका
इस विद्रोह को खत्म करने में पुतिन के दोस्त और बेलारूसी राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। एक मध्यस्थ की भूमिका निभाते हुए लुकाशेंको ने रूस और येवगेनी के बीच समझौता कराने में सफल रहे, जिसके बाद येवनेगी ने अपने सैनिकों को वापस लौटने का आदेश दिया। लुकाशेंको के दफ्तर से जारी बयान के मुताबिक, इस बातचीत से लगातार पुतिन भी जुड़े रहे, अनेक विवादित मुद्दों पर पुतिन की सहमति के बाद ही यह डील फाइनल हो सकी और और अंततः येवगेनी अपने सैनिकों को पीछे हटाने को तैयार हुए। येवगेनी अब बेलारूस में रहेंगे। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा है कि निजी रूसी सैन्य कंपनी वैगनर के प्रमुख विद्रोही तनाव को कम करने के समझौते के तहत पड़ोसी देश बेलारूस चले जाएंगे और उनके खिलाफ विद्रोह से जुड़े आपराधिक मामले बंद कर दिए जाएंगे।
क्रेमलिन ने बताया किन शर्तों पर हुआ समझौता
क्रेमलिन ने स्पष्ट कर दिया है कि येवगेनी प्रिगोझिन के खिलाफ विद्रोह से जुड़े सभी आरोप वापस लिए जाएंगे। उनके साथ इस विद्रोह में शामिल होने वाले सैनिकों पर भी कोई केस नहीं चलाया जाएगा। येवगेनी अब बेलारूस चले जाएंगे। जिन लड़ाकों ने रूस के खिलाफ विद्रोह में हिस्सा लिया था उन पर कोई मुकदमा नहीं चलाया जाएगा। इसकी जगह उन्हें रूसी सेना में शामिल होने के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर करने का मौका दिया जाएगा। पुतिन दो दशक से अधिक समय से रूस की सत्ता में हैं। संकट को कम करने के लिए सरकार ने समझौते को स्वीकार कर लिया है।
कैसे दबाव बने कि समझौते को राजी हुए येवगेनी
दरअसल रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन ने येवगेनी की कमजोर नस पकड़ ली थी। येवगेनी को रोस्तोव शहर से जिस तरह का समर्थन मिला उससे उनका मनोबल और पुतिन की टेंशन बढ़ गई थी। वैगनर आगे बढ़ने लगे, इसी बीच ब्लादिमिर पुतिन ने राष्ट्र के नाम संबोधन दिया और नागरिकों से भावुक अपील और येवगेनी को चेतावनी भी दी। पुतिन ने कहा कि येवगेनी ने विश्वासघात किया है, और हमारे पीठ में छुरा घोंपा है। पुतिन ने अपना संवाद सीधा रूस की जनता से किया और कहा कि ऐसे लोगों को जवाब देने के लिए एकजुट हो जाएं। अन्होंने अपनी अपील में भावनात्मक पहलू के साथ-साथ सख्ती भी दिखाई। पुतिन ने कहा कि विद्रोह करने वालों के इरादे जैसे भी हों, लेकिन रूस की सेना उन्हें कुचल कर रख देगी। इसके साथ ही पुतिन ने मॉस्को में आतंकवाद विरोधी प्रावधानों को लागू कर किया और टैंकों को सड़क पर उतार दिया। पुतिन एक ओर समझौते के प्रयास करते रहे तो दूसरी तरफ उन्होंने येवगेनी से टकराव की समय रहते हर तैयारी पूरी कर ली।
रोस्तोव में समर्थन से उत्साहित थे येवनेगी, पुतिन ने निकाली हवा
उधर, विद्रोह पर उतारू येवगेनी को रोस्तोव में समर्थन मिला, तो वह काफी उत्साहित हो गए। लेकिन जब उनके लड़ाके आगे बढ़े तो यह समर्थन कम होता गया। इसके साथ ही पुतिन ने येवगेनी को मिल रही आर्थिक सहायता पर भी नकेल कसने की तैयारी कर ली। पुतिन के सपोर्ट में बेलारूस जैसे देश भी आ गए। इधर पुतिन ने तेजी से यह प्रचारित करना शुरू कर दिया कि येवगेनी यह सारा काम पश्चिमी शक्तियों के इशारे पर कर रहे हैं। ऐसा करते हुए उन्होंने जनता के सामने येवगेनी को पूरी तरह से अविश्वसनीय बना दिया। इसका असर यह हुआ येवनेगी को मिल रहा समर्थन खत्म हो गया और उनका मनोबल कम हुआ जिसने अंततः उन्हें बातचीत की मेज पर आने को मजबूर कर दिया। इस पूरे घटनाक्रम को पुतिन के रणनीतिक कौशल की वजह से हल किया जा सका।
पुतिन के फंदे में इस तरह उलझते चले गए येवनेगी
पुतिन ने बहुत तेजी के साथ येवगेनी के चारो ओर इस तरह घेराबंदी कर दी कि रूस को नया राष्ट्रपति देने का दावा करने वाले येवनेगी को अंततः बातचीत की मेज पर जाने में ही अपनी भलाई समझी। उन्हें लगा कि रूस के साथ सैन्य टकराव एक आत्मघाती निर्णय होगा। शुरुआत में उन्हें ऐसा लग रहा था कि सैन्य विद्रोह की स्थिति में आम जनता और रूस की सेना उनका समर्थन करेगी, लेकिन राष्ट्र के नाम संबोधन में पुतिन की भावुक अपील ने सब कुछ बदल दिया। येवनेगी के लड़ारकों को रोस्तोव में मिला समर्थन आगे कहीं नहीं दिखाई दिया, तो उनका आत्मविश्वास डिग गया। इसके बाद ही वह भी रूस की विशाल सेना के साथ आमने-सामने के टकराव से बचने के विकल्पों पर विचार करना शुरू कर दिया और अंततः बातचीत की मेज पर आ गए। इस तरह कुछ देर पहले तक रूस को नया राष्ट्रपति देने की बात करने वाले येवगेनी बातचीत की टेबल पर आने को मजबूर हो गए।
पुतिन ने दिखाया रणनीतिक कौशल का कमाल
इस पूरे घटनाक्रम में पुतिन एक मजबूत सैन्य नेतृत्वकर्ता के रूप में सामने आए। यह पुतिन के रणनीतिक कौशल का ही कमाल है कि येवगेनी न सिर्फ पुतिन की ओर से मध्यस्थ बनाकर भेजे गए बेलारूस के राष्ट्रपति के साथ समझौता कर संघर्ष से पीछे हटना पड़ा साथ ही बेलारूस भी शिफ्ट होना पड़ा है। चारो ओर से दबाव पड़ा तभी प्रिगोझन के स्वर बदल गए और उन्होंने अपने एक बयान में कहा कि सैन्य संघर्ष में होने वाले खूनखराबा को रोकने के लिए हमने युद्ध खत्म करने का फैसला लिया है। वैगनर वापस फील्ड कैंप की ओर चले जाएंगे। वे अब मॉस्को की ओर नहीं जाएंगे। उन्होंने कहा, हम अपने काफिले को वापस लौटा रहे हैं। उन्होंने कहा हमने मॉस्को जा रहा काफिला रोक दिया है। पहले रूसी सेना ने मॉस्को जाने वाले सभी रास्ते ब्लॉक कर दिए थे और राष्ट्रपति पुतिन ने वैगनर लीडर्स को मारने का आदेश दिया था। संदेश में पुतिन ने इस विद्रोह को 'विश्वासघात' और 'देशद्रोह' कहा था। उन्होंने विद्रोह करने वालों को खत्म करने का वादा किया था।
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