कोरोना को हराया पूर्वजों ने, अब इंसानों की बारी

"रिसर्चर्स ने covid-19 संक्रमित बंदरों को दो समूहों में रखकर वैक्सीन का परीक्षण किया। परीक्षण में ज्ञात हुआ कि जिन रीसस मकाक को वैक्सीन इंजेक्ट किया गया उनका स्वास्थ्य दूसरे रीसस मकाक से बेहतर रहा।"
वानरों में बनते दिखा प्रतिरक्षी।
वानरों में बनते दिखा प्रतिरक्षी।Neelesh Singh Thakur – RE
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हाइलाइट्स

  • रिसर्चर्स को वैक्सीन से आस

  • रीसस मकाक पर किया टेस्ट

  • वानरों में बनते दिखा प्रतिरक्षी

  • मानव पर भी परीक्षण हुआ शुरू

  • ऑक्सफोर्ड के रिसर्चर्स की सफलता

राज एक्सप्रेस। कोरोना वायरस डिजीज के इलाज में सफलता के दावों की कड़ी में एक और दावा सामने आया है। तमाम प्रयोगशालाओं के बाद अब ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने छह बंदरों पर वैक्सीन के टेस्ट में सफलता की बात कही है। कहा जा रहा है प्रयोग में 14 दिनों के दौरान एंटीबॉडी (प्रतिरक्षी) बनने के संकेत मिले हैं।

ChAdOx1 nCoV-19 -

वैक्सीन का वैश्विक पहचान के तौर पर ChAdOx1 nCoV-19 नामकरण किया गया है। गौरतलब है अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के समन्वित सहयोग से इस प्रयोग-परीक्षण का दौर जारी है।

रीसस मकाक -

वैज्ञानिकों ने वैक्सीन को बंदरों की प्रजाति रीसस मकाक (Rhesus macaque) पर आजमा कर परिणामों का अध्ययन किया है। प्राप्त रिज़ल्ट सकारात्मक बताए जा रहे हैं। गौरतलब है कि खास प्रजाति के रीसस मकाक का इम्यून सिस्टम इंसानों जैसा होता है। इस कारण भी इस वैक्सीन की सफलता को उम्मीद की एक किरण बताया जा रहा है।

इस वैक्सीन (‘ChAdOx1 nCoV-19’) के छह रीसस मकाक पर किए गए टेस्ट से रिसर्चर्स को खासी आस है। मानव और रीसस मकाक का इम्यून सिस्टम एक जैसा होने से दवा के बहुत हद तक कारगर संभव होने की प्रयोगधर्मियों को उम्मीद है। हालांकि, यह अभी इंतजार का विषय है कि इंसानों पर परिणाम कितने सार्थक साबित होते हैं।

इंसानों की बारी -

वैक्सीन परीक्षण की अगली कड़ी इंसानों पर ट्रायल की होगी। इस टेस्ट के लिए 1000 वॉलंटियर ने ट्रायल में शामिल होने संबंधी सहमति जताई है। ब्रिटेन की विख्यात ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने कोरोना वायरस डिजीज (covid-19) के उपचार के लिए तैयार वैक्सीन को छह बंदरों पर आजमाया है। इस टेस्ट के नतीजों को देखकर रिसर्चर्स ने सकारात्मक परिणाम के संकेत दिये हैं।

ऐसे जांचा वैक्सीन -

दरअसल रिसर्चर्स ने covid-19 संक्रमित बंदरों को दो समूहों में रखकर वैक्सीन का परीक्षण किया। परीक्षण में ज्ञात हुआ कि जिन रीसस मकाक को वैक्सीन इंजेक्ट किया गया उनका स्वास्थ्य दूसरे रीसस मकाक से बेहतर रहा। रिसर्चर्स का दावा है कि वैक्सीन इंजेक्ट किए गए रीसस मकाक में 14 दिनों के दौरान कोविड-19 एंटीबॉडी बनने के संकेत मिले।

इनको श्रेय -

रिपोर्ट्स के अनुसार नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) अमेरिका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स के संयुक्त दल ने इस वैक्सीन को अमेरिका में टेस्ट किया है। वैक्सीन को ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ग्रुप और ऑक्सफोर्ड के जेनर इंस्टीट्यूट के रिसर्चर्स ने कड़ी मेहनत से तैयार किया है।

इंसान पर भी ट्रायल शुरू -

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने मानव पर वैक्सीन के प्रभावों का अध्ययन करने प्रक्रिया शुरू की है। परीक्षण प्रक्रिया को तीन स्टेज में बांटा गया है। पहले चरण में मिले परिणाम के बाद रिसर्चर्स ने उम्मीद के साथ अगला कदम बढ़ाया है। गौरतलब है कि दुनिया भर में कोरोना-19 के इलाज के लिए तमाम प्रयास और दावे किये जा रहे हैं।

कहना गलत नहीं होगा मानवीय इतिहास क्रम की अहम कड़ी माने जाने वाले वानरों ने मानवीय सभ्यता के भविष्य को सुरक्षित रखने में भी अपना स्पेशल रोल अदा कर दिया है। अब बारी समस्या के जनक रंगमंच के प्रमुख कलाकार मानव की है। कोविड और वैक्सीन संबंधी ऐसे ही कुछ और दावों के बारे में आप इन लेखों पर गौर कर सकते हैं। राज एक्सप्रेस 1- 2-

डिसक्लेमर: यह आर्टिकल एजेंसी फीड और प्रचलित खबरों पर आधारित है। शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित जानकारी जोड़ कर इसे पठनीय बनाया गया है। अतः इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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