राज एक्सप्रेस। चीन और भारत के बीच लद्दाख सीमा पर बड़े विवाद के बाद भारत ने चीन के प्रति अपना सख्त रवैया दिखाना शुरू कर दिया है। इतना ही नहीं हाल ही भारत सरकार द्वारा नई शिक्षा नीति पेश की गई थी। जिसमें से भारत द्वारा विदेशी भाषा की लिस्ट में से 'चाइनीज' को से बाहर कर दिया गया है। जिस पर चीन को बड़ा झटका लगा और चीन काफी भड़कता नजर आया। इस पर तिलमिलाए चीन ने अपना बयान दिया है।
चीन का बयान :
दरअसल, भारत द्वारा पहले 2 बार डिजिटल स्ट्राइक करने और कई कड़े कदम उठाने के बाद नई शिक्षा नीति तैयार करने के दौरान विदेशी भाषा की लिस्ट में से 'चाइनीज' भाषा को से बाहर करने के बाद तिलमिलाए चीन ने बयान देते हुए कहा है कि, "भारत राजनीतिकरण न करे।" इसके अलावा चीनी दूतावास द्वारा उम्मीद जताई गई है कि, भारत कन्फ्यूशियस इंस्टीट्यूट और चीन भारत उच्च शिक्षा सहयोग के उद्देश्य पर निष्पक्ष व्यवहार करेगा और राजनीतिकरण से बचेगा। इतना ही नहीं चीनी दूतावास ने चीन और भारत के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान के स्थिर विकास जारी रखने की भी बात कही है।
चीनी दूतावास का बयान :
चीनी दूतावास ने एक बयान जारी कर कहा है कि, बीते कुछ सालों में भारत में कन्फ्यूशियस इंस्टीट्यूट द्वारा चीनी भाषा शिक्षण और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने में अहम् रोल अदा किया है। चीनी दूतावास द्वारा यह भी बताया गया है कि, इसे भारतीय शिक्षा समुदाय द्वारा मान्यता भी प्राप्त है। दोनों देशों के बीच तेजी से बढ़ रहे आर्थिक, व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के साथ, भारत में चीनी भाषा शिक्षण की मांग बढ़ रही है। इसी बात को देखते हुए कन्फ्यूशियस इंस्टीट्यूट परियोजना पर चीन-भारत सहयोग बीते 10 सालों से काफी समय से चला आ रहा है।
इन भाषाओं का कर सकेंगे चयन :
बताते चलें, भारत की केंद्र सरकार द्वारा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से 'चाइनीज भाषा' को विदेशी भाषा की सूची से हटा दिया गया है। नई निति के अनुसार, अब माध्यमिक स्कूल स्तर तक के बच्चों को विदेशी भाषाओं की शिक्षा में चीनी भाषा का ज्ञान नहीं दिया जाएगा। भारत द्वारा लागू की नई शिक्षा नीति में दुनिया की संस्कृति को सीखने के इच्छुक स्टूडेंट्स कोरियन, जापानी, थाई, फ्रेंच, जर्मन, स्पेनिश, पुर्तगाली और रशियन भाषा में से कीड़ी का भी चुनाव कर सकते हैं। लेकिन उन्हें चीनी भाषा का ज्ञान नहीं दिया जाएगा।
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