भारत से जलयुद्ध करने की फिराक में चीन
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भारत से जलयुद्ध करने की फिराक में चीन, ब्रह्मपुत्र और गंगा मां के पानी को देगा रोक?

चीन, ब्रह्मपुत्र के साथ असम की महत्वपूर्ण नदी घाघरा की सहायक नदी माबजा जांगबों पर बांध लगभग बना चुका हैं, जिसका प्रमाण सैटेलाइट द्वारा ली गई इमेजरी से मिल रहा है।
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राज एक्सप्रेस। भारत–चीन तनाव के बीच,चीन भारत की महत्वपूर्ण नदियों पर कब्जा करने की फिराक में है। साल 2020 में चीन ने घोषणा की थी वह ब्रह्मपुत्र नदी,जिसे तिब्बत में यारलुंग सांग्पो भी कहा जाता है उसमे एक 60,000 मेगावॉट का बांध बनेगा, जिसे सुपर बांध कहा जाएगा। बताया जा रहा है कि अब चीन ब्रह्मपुत्र के साथ असम की महत्वपूर्ण नदी घाघरा नदी की सहायक नदी माबजा जांगबों पर बांध बना लगभग बना चुका हैं, जिसका प्रमाण सैटेलाइट द्वारा ली गई इमेजरी से मिल रहा हैं। घाघरा नदी, गंगा नदी की बड़ी सहायक नदियों में से एक है।

इस जानकारी के अनुसार एक्सपर्ट्स का कहना है कि चीन द्वारा दोनो नदियों में बांध बनाना भारत के लिये खतरे का सिग्नल है, क्योंकि चीन जब चाहे ब्रह्मपुत्र नदी और गंगा नदी के पानी को अस्तव्यस्त कर सकता हैं और तो और भारत में बाढ़ और पानी की कमी जैसी दिक्कतें भी पैदा कर सकता हैं। भारत के ऊर्जा मंत्रालय ने भी इस मामले में अपनी चिंता जताई हैं।

यारलुंग सांगपों पर सुपर बांध:

ऊर्जा मंत्रालय ने बताया चीन यारलुंग सांग्पो नदी पर 60,000 मेगावाट का बांध बना रहा है। निर्माणाधीन बांध मेडोग सीमा पर है जो अरुणाचल प्रदेश के करीब है।भारत चीन में इस बांध के निर्माण को लेकर चिंतित है। एक्सपर्ट्स के अनुसार बांध बनने के बाद चीन ब्रह्मपुत्र नदी के पानी को डायवर्ट कर सकता है।इतना ही नहीं इस बांध से पानी रोके जाने से बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। चीन के बांध से अरुणाचल प्रदेश और असम में पानी की कमी या बाढ़ जैसी स्थिति हो सकती है और न केवल भारत, बल्कि बांध का निर्माण बांग्लादेश को भी प्रभावित कर सकता है।

माना जा रहा है कि यारलुंग सांग्पो नदी पर बन रहा है बांध की क्षमता चीन के सबसे बड़े बांध थी गोर्जेस बांध से भी कही ज्यादा होगी। चीन ने 2020 के नवंबर में अपने 14वें पंचवर्षीय योजना के तहत यह कहा था की वह चीन और तिब्बत में ब्रह्मपुत्र और अन्य नदियों पर बड़े हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट्स को अंजाम देने के लिए बड़े बांध बनाएगा। चीन का ब्रह्मपुत्र नदी में बांध बनाना भारत ही नहीं बांग्लादेश और नेपाल के लिए भी खतरे की घंटी है।

माबजा जांगबों नदी पर भी बांध

चीन ब्रह्मपुत्र नदी तक रुकने नहीं वाला है, उसने अब मां गंगा की सहायक नदी घाघरा जो की असम से गंगा में मिलती है, उसकी सहायक नदी माबजा जांगबों पर बांध बना रहा है, जिसकी तस्वीर एक इंटेल लैब से जुड़े भू–स्थानिक इंटेलिजेंस रिसर्चर द्वारा पोस्ट की गई है, जिसमे उन्होंने कहा है कि तिब्बत बुरांग काउंटी में माबजा जांगबों नदी पर मई 2021 से एक बांध बनाया जा रहा है जो की लगभग बन के तैयार है।

तस्वीरों के अनुसार नदी के प्रवाह को रोकते हुए पहाड़ों के बीच ये बांध एक रिजर्वायर बनाया जाएगा। यह बांध भारत नेपाल और चीन के त्रिसंगम बॉर्डर से कुछ किलोमीटर दूर बन रहा है। भू–स्थानिक इंटेलिजेंस द्वारा बांध की सैटेलाइट इमेजेस को रिलीज किया गया जिसमे पता चला है की बांध का कार्य अभी समाप्त तो नहीं हुआ है लेकिन इसका काम लगभग खत्म होने वाला है। माब्जा ज़ंगबो तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र, चीन में एक नदी है। माउंट कांगरिनबोके (कैलाश पर्वत) से निकलकर यह आगे नेपाल में करनाली में घाघरा नदी में मिलती है और अंततः भारत में गंगा नदी में मिल जाती है। यह भारत और चीन के साथ नेपाल की सीमा पर त्रि-जंक्शन पर स्थित है।

ऊर्जा मंत्रालय ने कहा– तैयार हैं हम

भारत के ऊर्जा मंत्रालय ने कहा,की जिस जगह पर 60000 मेगावॉट की पावर वाला बांध बन रहा है वह जगह भारत के अरुणाचल प्रदेश राज्य से लगती है। तिब्बत के मेडोग क्षेत्र में यह बांध बन रहा है जो की भारत के अरुणाचल प्रदेश से सटा हुआ क्षेत्र हैं। ऊर्जा मंत्रालय ने बांध को लेकर चिंता जाहिर की लेकिन यह भी कहा कि हम तैयार है। ऊर्जा मंत्रालय ने बताया की भारत भी अरुणाचल प्रदेश में बांध बना रहा हैं। लेकिन चीन का ब्रह्मपुत्र नदी में बांध बनाना भारत ही नहीं बांग्लादेश और नेपाल के लिए भी खतरे की घंटी है।

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