चोरी करके पाकिस्तान ने हासिल किया था परमाणु बम, जानिए पूरी कहानी
राज एक्सप्रेस। बीते दिनों अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पाकिस्तान को दुनिया का सबसे खतरनाक देश बताते हुए कहा था कि, ‘इस देश के पास बिना किसी समझौते के ही परमाणु हथियार हैं।’ अमेरिकी राष्ट्रपति के इस बयान से पाकिस्तान तिलमिला उठा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बाइडेन की टिप्पणी को ख़ारिज करते हुए कहा कि, ‘बाइडेन का बयान तथ्यात्मक रूप से गलत और भ्रामक है।‘ हालांकि बाइडेन के बयान के बाद से ही दुनियाभर में पाकिस्तान के परमाणु बम को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। तो चलिए आज हम जानेंगे कि कैसे पाकिस्तान ने चोरी करके परमाणु बम हासिल किया था।
भारत के परमाणु परीक्षण से डरा था पाकिस्तान :
वैसे तो पकिस्तान अपने जन्म के बाद से ही परमाणु बम हासिल करना चाहता था, लेकिन साल 1971 के युद्ध में भारत के हाथों मुंह की खाने के बाद पाकिस्तान ने परमाणु हथियार हासिल करने की अपनी कोशिश तेज कर दी थी। साल 1972 में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने अपने भाषण में कहा था कि, ‘हम भले ही घास या पत्तियां खा लेंगे, लेकिन परमाणु हथियार बनाकर रहेंगे।’ इसके बाद जब भारत ने साल 1974 में परमाणु बम का परीक्षण किया तो पाकिस्तान और भी डर गया। इसके बाद वह किसी भी कीमत पर परमाणु बम हासिल करना चाहता था।
डॉ. अब्दुल कादिर खान :
डॉ. अब्दुल कादिर खान को पाकिस्तान न्यूक्लियर प्रोग्राम का पिता कहा जाता है। अविभाजित भारत के भोपाल में जन्मे अब्दुल कादिर को कराची विश्वविद्यालय से मेटालर्जी की पढ़ाई पूरी करने के बाद नीदरलैंड की राजधानी एमस्टरडैम में मौजूद फिज़िकल डायनमिक्स रीसर्च लेबोरेटरी में नौकरी मिल गई। इस कंपनी का यूरेन्को के साथ करार था। यूरेन्को को ग्रेट ब्रिटेन, जर्मनी और नीदरलैंड्स ने संवर्धित यूरेनियम की आपूर्ति के लिए बनाया था। इसी ईधन का इस्तेमाल हिरोशिमा बम बनाने में किया गया था।
और चुरा ली तकनीक :
1971 में पाकिस्तान की हार से अब्दुल कादिर को भी धक्का लगा था। यही कारण है कि उन्होंने पाकिस्तान के लिए जासूसी शुरू कर दी। वह यूरेन्को से कई महत्वपूर्ण जानकारी जुटाकर पाकिस्तान भेजते रहे और फिर एक दिन अचानक सब कुछ छोड़कर पाकिस्तान आ गए। इसके बाद डॉ ख़ान ने परमाणु बम बनाने पर काम शुरू किया, जिसके फलस्वरूप पाकिस्तान ने साल 1998 में परमाणु बम हासिल कर लिया।
दूसरे देशों को बेची परमाणु तकनीक :
डॉ ख़ान ने पाकिस्तान को तो परमाणु सम्पन्न बनाया, लेकिन साथ ही उन्होंने परमाणु बम बनाने की तकनीक को उत्तर कोरिया, ईरान, इराक़ और लीबिया जैसे देशों को भी बेच दिया। साल 2004 में उन्होंने परमाणु तकनीक के अंतर्राष्ट्रीय तस्करी की बात स्वीकार करते हुए माफ़ी भी मांगी थी। यही कारण है कि डॉ ख़ान को पाकिस्तान की सरकार ने ही गिरफ्तार भी कर लिया था।
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