क्यों हिंसा की आग में जल रहा है सूडान
क्यों हिंसा की आग में जल रहा है सूडानSyed Dabeer Hussain - RE

Sudan Crisis : जानिए क्यों हिंसा की आग में जल रहा है सूडान? क्या है विवाद का प्रमुख कारण?

सूडान में राजधानी खार्तूम और उसके आसपास के इलाकों में बिजली व खाद्य पदार्थों की आपूर्ति नहीं होने से लोग बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। लड़ाई में घायल लोगों को अस्पताल पहुंचाना मुश्किल हो रहा है।
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राज एक्सप्रेस। अफ्रीकी देश सूडान में इन दिनों भीषण हिंसा हो रही है। यहां सेना और अर्धसैनिक बलों के बीच संघर्ष शुरू हो गया है। इस संघर्ष के चलते अब तक 200 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं जबकि हजारों की संख्या में लोग घायल हो चुके हैं। राजधानी खार्तूम और उसके आसपास के इलाकों में बिजली व खाद्य पदार्थों की आपूर्ति नहीं होने से लोग बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। लड़ाई में घायल लोगों को अस्पताल पहुंचाना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में आज हम जानेंगे कि आखिर सूडान क्यों हिंसा की आग में जल रहा है।

तख्तापलट से शुरू हुआ विवाद :

दरअसल सूडान में इस समय हो रही हिंसा की नींव साल 2019 में रखी गई थी। उस समय देश में ओमर अल-बशीर की सरकार थी और वह सूडान के राष्ट्रपति थे। लेकिन इसी दौरान लोगों ने ओमर अल-बशीर को पद से हटाने के लिए प्रदर्शन किया। सेना ने इसमें दखल देते हुए तख्तापलट कर दिया और राष्ट्रपति अल-बशीर को पद से हटा दिया।

जॉइंट सरकार का गठन :

तख्तापलट के बाद सूडान में सेना का राज स्थापित हो गया। हालांकि लोग देश में लोकतांत्रिक सरकार की मांग करने लगे। लोगों की मांग को देखते हुए सूडान में जॉइंट सरकार का गठन किया गया। इस सरकार में देश के नागरिक और सेना के अधिकारी, दोनों को शामिल किया गया था।

फिर हुआ तख्तापलट :

हालांकि सूडान में आम नागरिकों और सेना के अधिकारियों से मिलकर बनी जॉइंट सरकार भी ज्यादा नहीं चल पाई। साल 2021 में एक बार फिर से सेना ने तख्तापलट करते हुए कमान अपने हाथों में ले ली। सैन्य शासन के दौरान सूडान की आर्मी के प्रमुख अब्देल फतह अल-बुरहान वहां के राष्ट्रपति बन गए, वहीं रैपिड सपोर्ट फ़ोर्स यानि आरएसएफ के प्रमुख मोहम्मद हमदान दगालो उपराष्ट्रपति बन गए। असल विवाद इसके बाद शुरू हुआ।

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क्यों हुआ बवाल?

दरअसल सूडान की आर्मी चाहती है कि 2 साल बाद वहां चुनाव करवाकर जनता की चुनी हुई सरकार को शासन सौंप दिया जाए, वहीं आरएसएफ चाहती है 10 साल बाद चुनाव हो। इसी को लेकर दोनों के बीच बवाल हो गया है। बवाल की एक और वजह ‘आरएसएफ’ के सेना में विलय को भी माना जा रहा है। दोनों के बीच इस बात को लेकर भी सहमति नहीं बन पाई है कि अगर आरएसएफ का सेना में विलय हो जाता है तो फिर नई सेना का नेतृत्व कौन करेगा।

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