अब तक तटस्थ रहने वाला फिनलैंड अब नाटो में हुआ शामिल
अब तक तटस्थ रहने वाला फिनलैंड अब नाटो में हुआ शामिलSyed Dabeer Hussain - RE

अब तक तटस्थ रहने वाला फिनलैंड अब नाटो में हुआ शामिल, जानिए क्या है कारण?

गौरतलब है कि नाटो को रूस के विरोधी संगठन के रूप में देखा जाता है और फिनलैंड कभी भी रूस की दुश्मनी नहीं चाहता था। यही कारण है कि वह अब तक नाटो में शामिल नहीं हुआ था।
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राज एक्सप्रेस। बीते दिनों रूस का पड़ोसी देश फिनलैंड आधिकारिक रूप से नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन यानि नाटो में शामिल हो गया है। इस तरह फिनलैंड नाटो का 31वां सदस्य देश बन चुका है। फिनलैंड अपनी 1340 किलोमीटर लंबी सीमा रूस के साथ साझा करता है। ऐसे में फिनलैंड का नाटो में शामिल होना रूस के लिए बहुत बड़ा झटका है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसे रूस पर हमला करार दिया है। वैसे देखा जाए तो फिनलैंड शीत युद्ध के समय से ही एक तटस्थ देश रहा है। ऐसे में कई लोगों के मन में यह सवाल है कि अब तक तटस्थ रुख अपनाने वाला फिनलैंड नाटो में शामिल क्यों हुआ। तो चलिए जानते है।

रूस-यूक्रेन युद्ध :

गौरतलब है कि नाटो को रूस के विरोधी संगठन के रूप में देखा जाता है और फिनलैंड कभी भी रूस की दुश्मनी नहीं चाहता था। यही कारण है कि वह अब तक नाटो में शामिल नहीं हुआ था। लेकिन पिछले साल जिस तरह से रूस ने अचानक ही यूक्रेन पर हमला बोल दिया, इससे फिनलैंड को भी अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता सताने लगी। रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के कुछ दिनों बाद ही फिनलैंड ने नाटो में शामिल होने के संकेत दे दिए थे। ऐसे में नाटो में शामिल हो कर फिनलैंड कम से कम इस बात को लेकर आश्वस्त हो गया है कि युद्ध की स्थिति में 30 देश उसके साथ मिलकर लड़ेंगे।

पुतिन पर भरोसा नहीं :

पुतिन के विरोधी रहे और रूस में विपक्ष के पूर्व नेता सर्गेई बिजिउकिन ने फिनलैंड के नाटो में शामिल होने को रूस की हार बताया है। दरअसल पुतिन हमेशा यह दावा करते थे कि रूस कभी भी यूक्रेन पर हमला नहीं करेगा। लेकिन पुतिन ने यूक्रेन पर अचानक हमला करके अपनी साख पर चोंट पहुंचाई है। फिनलैंड को भी पुतिन की बातों पर बिल्कुल भरोसा नहीं रहा। यही कारण है कि वह नाटो में शामिल हो गया।

स्वीडन भी होना चाहता है शामिल :

बता दें कि फिनलैंड की तरह स्वीडन को भी अब रूस से अपनी सुरक्षा की चिंता हो रही है। यही कारण है कि वह भी नाटो में शामिल होना चाहता है। हालांकि स्वीडन के नाटो में शामिल होने पर तुर्की ने अंगड़ा लगाया हुआ है। दरअसल नाटो में शामिल होने के लिए उसके सभी सदस्य देशों की मंजूरी बहुत जरूरी है।

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