टी20 मनोरंजन की दिशा में बहुत आगे निकल गया है : चैपल
मेलबोर्न। लगभग एक दशक तक ऑस्ट्रेलिया के पकड़ से बाहर रही टी20 विश्व कप ट्रॉफी आखिरकार उनके हाथ आ ही गई। आक्रामक बल्लेबाजी के साथ साथ सटीक गेंदबाजी से यह संभव हो पाया। निश्चित रूप से इसमें टॉस ने ऑस्ट्रेलियाई टीम का काफ़ी साथ दिया और वह ज्यादातर मैचों में टॉस जीतने में कामयाब रहे। यूएई के कई बड़े मैचों में भी टॉस जीतो - मैच जीतो वाला हाल था।
इस टी20 विश्व कप को अच्छी-खासी सफलता प्राप्त हुई लेकिन सुपर 12 और नॉकआउट मैचों में टॉस का मैच के परिणाम पर इस तरीक़े से प्रभाव पड़ना, इस वैश्विक टूर्नामेंट की सबसे बड़ी कमजोरी थी। हालिया वक़्त में इस तरह के टी20 टूर्नामेंटों की मांग बढ़ी है। लोग चाहते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह के टूर्नामेंट हो। साथ ही हम फ़्रैंचाइजी क्रिकेट की सफलता और इसकी मांग के बारे में भी भलि-भांति जानते हैं। हालांकि टी20 प्रारूप में सुधार के लिए जरूरी बदलावों पर व्यापक सर्वेक्षण करने की जरूरत है। इसे और भी अधिक लोकप्रिय बनाने के लिए, टूर्नामेंट में यह सुनिश्चित करने का एक तरीका ढूंढना होगा कि टॉस खेल में उतना महत्वपूर्ण न बने।
टी20 क्रिकेट पर व्यापक रूप से दो अलग-अलग विचार हैं। लंबे समय से क्रिकेट प्रशंसकों को डर है कि आने वाले समय में अन्य प्रारूपों की तुलना में यह प्रारूप सबसे अधिक अहम हो जाएगा जो सिर्फ छक्के मारने वाले बल्लेबाजों का समर्थन करता है, जिसमें ज्यादातर लक्ष्य का पीछा करने वाली टीम को जीत मिलती है। फिर कुछ प्रशंसक ऐसे हैं, जो बल्ले और गेंद के बीच होने वाली प्रतिस्पर्धा की कमी से चिंतित नहीं हैं।
चैपल ने क्रिकइंफो में अपने कालम में लिखा ,''इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि मेरी इस उम्र में मैं बल्ले और गेंद की बीच एक अच्छी प्रतिस्पर्धा देखना चाहता हूं, और अगर यह बल्लेबाजी की प्रदर्शनी बन जाती है, तो मैं जल्द ही इस खेल में रुचि खो दूंगा। मेरा विचार है कि प्रशंसकों को बल्ले और गेंद के बीच की प्रतियोगिता से जुड़े रहना चाहिए, टीम और व्यक्तिगत दोनों तरह की सामरिक लड़ाइयों का आनंद लेना चाहिए और बल्लेबाजी में एक निश्चित मात्रा में कलात्मकता की आवश्यकता होती है, इस बात तो समझने की आवश्यकता है। यदि ये विशेषताएं या तो गायब हैं या लगभग न के बराबर हैं, तो खेल को क्रिकेट के रूप में देखने की कल्पना करना भी एक संघर्ष के जैसा है। इसके बाद बात खेल और मनोरंजन के संतुलन पर आती है। मेरी राय में टी20 क्रिकेट में संतुलन मनोरंजन के लिए 60 और 40 खेल के आसपास होना चाहिए। फ़िलहाल यह असंतुलित है और शुद्ध मनोरंजन के पक्ष में है।
पूर्व कप्तान ने कहा, ''प्रशासकों को बल्ले और गेंद दोनों के बीच आदर्श संतुलन खोजने और क्रिकेट के मूल्यों पर प्रशंसकों को शिक्षित करने की आवश्यकता है। यह ठीक है जब गेंद बल्ले के बीच में लगी हो और वह सीमा रेखा के बार स्टैंड्स में जाकर गिरे। साथ ही एक गेंदबाज को बेहद गुस्सा भी होना चाहिए जब एक मिस हिट सीमा रेखा के बाहर जाकर गिरे। यह समस्या बड़े ऑस्ट्रेलियाई मैदानों पर इतनी स्पष्ट नहीं है। हालांकि मुझे पता नहीं है कि किस विवेक के साथ बल्लेबाजी और छोटी सीमा रेखाओं का एक संयोजन तैयार किया गया है। यह संयोजन गेंदबाजों को महज बोलिंग मशीन तक सीमित कर रहा है। यह अच्छे गेंदबाजों के लिए एक गंभीर मामला है और इसे तुरंत ठीक करने की जरूरत है।''
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