संकट के समय में भारतीय क्रिकेट टीम की बागडोर संभालने वाले दादा, आज मना रहे अपना जन्मदिन
Sourav Ganguly Birthday : भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व कप्तान सौरव गांगुली आज 51वां जन्मदिन मना रहे हैं। वे भारतीय क्रिकेट इतिहास के ऐसे कप्तान रहे हैं जिनके फैसलों ने भारत को कई बड़े मुकाबलों को जीतने में मदद की। वे ऐसे मुश्किल समय में भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान बने थे जब मैच फिक्सिंग के चलते भारतीय क्रिकेट के भविष्य पर भी संकटों के बादल मंडराने लगे थे। यही वजह है कि सौरव गांगुली को भारतीय क्रिकेट टीम के सर्वश्रेष्ठ कप्तानों में से एक माना जाता है। वे अपने फैंस के बीच रॉयल बंगाल टाइगर्स और प्रिंस ऑफ कोलकाता जैसे नामों से पहचाने जाते हैं। जबकि सारी दुनिया उन्हें दादा के नाम से भी जानती है। आज उनके जन्मदिन के खास मौके पर जानते हैं दादा की जिंदगी के उन पहलूओं के बारे में जिनसे आप भी अनजान होंगे।
शैतानियों को रोकने का कदम था क्रिकेट
सौरव गांगुली का जन्म 8 जुलाई 1972 को कोलकाता के बंगाली परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम चंडीदास गांगुली था, जो कि एक बिजनेसमैन होने के साथ ही क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल के सदस्य भी थे। अब इसे किस्मत कहे या सौरव गांगुली की शैतानियां जिन्होंने उन्हें क्रिकेट के गलियारों तक पहुंचा दिया। दरअसल 10वीं तक की पढ़ाई पूरी होने के बाद गांगुली की शैतानियों ने पूरे घर को सिर पर उठा लिया था। जिसके बाद इन शैतानियों पर लगाम लगाने के लिए घरवालों ने उन्हें क्रिकेट स्टेडियम भेज दिया। जिसके बाद सौरव गांगुली क्रिकेट की दुनिया में उतरे की भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान बनकर ही दम लिया।
ऐसे मिला भारतीय क्रिकेट टीम में मौका
साल 1993-94 और 1994-95 के दौरान रणजी में अपने बल्ले का दम दिखाने के बाद सौरव गांगुली को टीम इंडिया में साल 1996 में जगह मिली। इस दौरान इंग्लैंड में गांगुली ने शानदार प्रदर्शन करते हुए शतक लगाया। यह वो समय था जब सौरव गांगुली के चर्चे होने लगे और साथ ही उन्हें वर्ल्ड क्रिकेट में भी जगह मिल गई। दादा ने भी अपने फैंस को निराश नहीं किया और अपने बेहतरीन खेल से भारतीय क्रिकेट टीम की जान बन गए।
संकट के समय में बने भारतीय टीम के कप्तान
साल 2000 के दौरान मैच फिक्सिंग का मामला सामने आया। जिसके बाद भारतीय क्रिकेट टीम पर भी संकट के बादल मंडराना शुरू हो गए। इस दौरान क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर ने भी टीम का कप्तान बनने से इनकार कर दिया। तब सौरव गांगुली ने अपने कदम आगे बढ़ाए और भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान बने। यह गांगुली की सूझुबुझ और सही फैसलों का ही नतीजा था कि जब उन्होंने टीम की कमान संभाली तब भारत की टेस्ट रैंकिंग 8 थी। लेकिन जब वे रिटायर हुए भारतीय टीम का स्थान 2 पर पहुँच चुका था।
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