नई दिल्ली। लोकसभा में सदस्यों ने कहा कि देश में खेल प्रतिभाओं को सामने लाने के लिए ग्रामीण स्तर पर काम करने और युवा खिलाड़ियों को प्रोत्साहित कर उन्हें सुविधाएं देने की आवश्यकता है। लोकसभा में नियम 193 के तहत भारत में खेलों को बढ़ावा देने और सरकार द्वारा इस दिशा में उठाये गये कदमों के विषय पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए भारतीय जनता पार्टी के सुमेधानंद सरस्वती ने कहा कि उनके गांव ने तीन-तीन विश्वस्तरीय प्रतिभाएं दी हैं और एक ही गांव से इस तरह से प्रतिभाएं सामने आ रही हैं। उन्होंने कहा कि उनके गांव में एथलेटिक्स के लिए कोर्ट विकसित किए जाने की जरूरत है। उनका कहना था कि जब एक गांव से तीन तीन बच्चे विश्व स्तर के खिलाड़ी बनते हैं तो गांव से खेल प्रतिभाओं को सामने लाने के लिए गांव स्तर पर काम करने की जरूरत है।
भाजपा के मनोज तिवारी ने कहा कि क्रिकेट के अलावा देशी खेलों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए और इसके लिए गांव के स्तर पर काम करने की जरूरत है। उनका कहना था कि ग्राम स्तर पर ग्राउंड विकसित करने की नीति पर सरकार को काम करना चाहिए, ताकि बच्चों को बुनियादी सुविधा गांव में मिल सके और बच्चों की रुचि का पता चलने के बाद उन्हें सारी सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी चाहिए। निर्दलीय नवनीत राणा ने कहा कि खेलो इंडिया के माध्यम से देश में खेल प्रतिभाओं को सामने लाने के लिए ज्यादा प्रभावी तरीके से काम करने की जरूरत है। कांग्रेस के एडवोकेट डीन कुरयाकोस ने कहा कि खेल अकादमी का विकास किया जाना खेल प्रतिभाओं को सामने लाने के लिए जरूरी है और जिला स्तर पर जो सुविधाएं हैं उनको बढाने तथा ग्रामीण स्तर पर और सुविधाएं विकसित करने की आवश्यकता है। उनका कहना था कि खिलाड़ियों के लिए कोचिंग बहुत जरूरी है और कोचिंग की सुविधाएं उपलब्ध कराना आवश्यक है।
बहुजन समाज पार्टी के मलूक नागर ने कहा कि गांव में खेल प्रतिभाएं बिखरी पड़ी है और सरकार भी खिलाड़ियों को सामने लाने के लिए काम कर रही है। गांव में प्रतिभाएं हैं लेकिन उनको सामने लाने के प्रयास बहुत गंभीरता से किये जाने की आवश्यकता है और इसके लिए उन्हें न सिर्फ प्रोतसाहित किया जाना चाहिए बल्कि उन्हें पर्याप्त सुविधाएं भी दी जानी चाहिए। आईयूएमएल के अब्दुस्समिद समादानी ने कहा कि हर स्कूल में बच्चों को अनिवार्य रूप से खेल खेलने का अवसर दिया जाना चाहिए। लोगों की सोच में बदलाव की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि ज्यादा लोग सिर्फ पढाई पर जोर देते हैं और इसी को बच्चे का भविष्य बताकर उन्हें प्रोत्साहित करते हैं। इससे खेलों के प्रति बच्चों की रुचि को अवरुद्ध होती है। उनका कहना था कि उनके क्षेत्र में फुटबाल के ग्राउंड नहीं हैं और सरकार को ज्यादा से ज्यादा फुटबाल ग्राउंड तैयार करने चाहिए।
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