मुश्किल की घड़ी में परिवार का साथ हिम्मत बंधाता है : हर्षल पटेल
बेंगलुरु। भारतीय गेंदबाज हर्षल पटेल ने खुलासा किया है कि अप्रैल 2022 में मात्र एक हफ्ते के अंतराल में बहन की मृत्यु और बेटे के जन्म ने उन्हें गम और खुशी की मिली-जुली भावनाओं से सराबोर कर दिया था, लेकिन इस मुश्किल घड़ी में परिवार का साथ होना उनके काम आया।
हर्षल ने रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (आरसीबी) की पॉडकास्ट पर अपने जीवन के मुश्किल लम्हों के बारे में कहा, “जब मेरी बहन का निधन हुआ तो मैं एक हफ्ते तक दुख में डूबा रहा। वह नौ अप्रैल (2022) को हमें छोड़कर गयीं। मैं क्वारंटाइन में था। मैं अपने भांजा-भांजी से और घर पर सबसे (फोन पर) बात कर रहा था। मैं जाना चाहता था, उन्हें गले लगाना चाहता था और उनके साथ रोना चाहता था, लेकिन हम यह सब फोन पर कर रहे थे। क्योंकि हमारे पास कोई और चारा नहीं था। फिर सात दिन बाद मेरे बेटे का जन्म हुआ। मैं हफ्ता-दस दिन के लिये पूरी तरह स्तब्ध हो गया। मुझे नहीं पता था, मैं क्या महसूस कर रहा हूं। मुझे खुश होना चाहिये या दुखी। सभी भावनाएं एक-एक करके आती जाती रही थीं।”
हर्षल ने कहा, “कई बार मैं अपने कमरे में छुपकर दिन में तीन-चार बार रोता था। फिर मैं अपने बेटे को फेसटाइम (वीडियो कॉल) पर देखता था और बेहद खुशी महसूस करता था। जब आप ऐसी ध्रुवीय भावनाओं से घिरे होते हैं तो यह आपको काफी थका देता है।”
हर्षल बताते हैं कि इस मुश्किल समय में वह अपने परिवार को संबल देते थे और परिवार भी इसी तरह उनका हिम्मत बंधाता था। उन्होंने कहा, “जब कुछ अच्छा या बुरा होता है तो मैं स्थिर रहना चाहता हूं। मेरे पास उन दो हफ्तों में इस चीज को अमल में लाने का बहुत अच्छा मौका था। मैं सर्वश्रेष्ठ तरीके से अपने परिवार को संबल देने की कोशिश करता था और वह मुझे सांत्वना देते थे। इस सब के साथ आत्मनिरीक्षण का एक भार होता है। अपने साथ ईमानदार न होना बेवकूफी है। अगर आप लगातार अपने आप से बाहर कारण खोजने की कोशिश कर रहे हैं कि आप खुश क्यों नहीं हैं या आप सफल क्यों नहीं हैं, तो आप सही दिशा में नहीं बढ़ रहे हैं। मैं बस उन चीजों से प्रभावित नहीं होना चाहता जो मेरे काबू से बाहर हो रही हैं। जब कुछ बुरा हो तो मैं वह इंसान बनना चाहता हूं जिसके कंधे पर लोग सिर रख सकें।” हर्षल इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के 2021 सीजन में सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज रहे थे। आरसीबी ने उन्हें 2022 सीजन से पहले की नीलामी में फिर से हासिल करने के लिये 10.75 करोड़ रुपये खर्च किये, जो हर्षल के लिये सुखद रूप से आश्चर्यनजनक था।
हर्षल ने नीलामी के बारे में कहा, “बहुत से लोगों ने मुझसे पूछा कि मेरी अपेक्षाएं क्या थीं। मैंने कहा कि मैं शायद छह या सात करोड़ रुपये की उम्मीद कर रहा था क्योंकि मैंने पिछले तीन या चार सीज़न से अपनी श्रेणी के क्रिकेटरों को देखा था, और उनमें से किसी ने भी बड़ी नीलामी में इससे अधिक पैसा नहीं कमाया। मैंने सोचा कि मैं सुरक्षित रूप से 5-6-7 करोड़ कमाने की उम्मीद कर सकता हूं, लेकिन आसपास के कई लोगों ने मुझे बताया कि यह दहाई के आंकड़े में जा सकता है। जब ऐसा हुआ, तो मुझे आश्चर्य हुआ था। मुझे अभी भी याद है कि सनराइजर्स हैदराबाद और आरसीबी मेरे लिये लड़ रहे थे और बोली 10 करोड़ के पार चली गयी थी। मैं वास्तव में वापस आकर आरसीबी के लिये खेलना चाहता था। मैंने मन ही मन सोचा, ठीक है, बस बहुत हो गया। मैं एक और बोली नहीं चाहता, मुझे जो पैसा मिला है, मैं उसमें खुश हूं, मैं आरसीबी में वापस जाना चाहता हूं।”
हर्षल ने बताया कि इस धनराशि ने उन्हें जीवन में कई फैसले लेने की स्वतंत्रता दी है। उन्होंने कहा, “यह मुझे विकल्प, स्वतंत्रता देता है। इसलिए अगर मैं इस कीमत पर खेलना जारी रखता हूं या यहां तक कि अगर मैं इस कीमत पर खेलना जारी नहीं रखता हूं, तो मुझे नहीं लगता कि मुझे अपने जीवन के किसी भी फैसले को इस आधार पर लेने की जरूरत है कि मुझे कितना पैसा मिल रहा है? मैं एक असाधारण व्यक्ति नहीं हूं। मुझे वास्तव में बहुत अधिक धन की आवश्यकता नहीं है, लेकिन पैसा स्वतंत्रता का एक साधन है। मैं इसे इसी तरह देखता हूं।”
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