धोनी से ऑटोग्राफ मिलना भावुक क्षण था : सुनील गावस्कर
धोनी से ऑटोग्राफ मिलना भावुक क्षण था : सुनील गावस्करSocial Media

धोनी से ऑटोग्राफ मिलना भावुक क्षण था : सुनील गावस्कर

सुनील गावस्कर ने चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी से अपनी कमीज पर दस्तखत करवाने के बाद कहा कि यह पल भावुक करने वाला था क्योंकि धोनी ने देश के क्रिकेट में अमूल्य योगदान दिया है।
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चेन्नई। भारतीय क्रिकेट के दिग्गज सुनील गावस्कर ने चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी से अपनी कमीज पर दस्तखत करवाने के बाद कहा कि यह पल भावुक करने वाला था क्योंकि धोनी ने देश के क्रिकेट में अमूल्य योगदान दिया है। बतौर कप्तान तीन आईसीसी ट्रॉफी जीतकर भारतीय क्रिकेट पर अमिट छाप छोड़ने वाले 41 वर्षीय धोनी इस साल संभवतः अपना आखिरी आईपीएल खेल रहे हैं। उन्होंने रविवार को चेन्नई में इस आईपीएल का आखिरी घरेलू मुकाबला खेला, उसके बाद उन्होंने चेपौक स्टेडियम में मौजूद दर्शकों के साथ काफी समय बिताया। घुुटने की चोट से जूझ रहे धोनी बैंडेज बांधे हुए मैदान में घूमते रहे और एक रैकेट की मदद से बतौर यादगार टेनिस की गेंदें दर्शक दीर्घा में पहुंचाईं।

इसी दौरान गावस्कर दौड़कर धोनी के पास पहुंचे और उनसे अपनी कमीज पर ऑटोग्राफ लिया। खेल के एक दिग्गज को दूसरे दिग्गज के सामने प्रशंसक बनता देख क्रिकेट प्रेमी फूले नहीं समाये। गावस्कर ने इस अद्भुत नजारे के बारे में स्टार स्पोर्ट्स पर कहा, “जब मुझे पता चला कि चेन्नई सुपर किंग्स और महेंद्र सिंह धोनी चेपौक का चक्कर लगाने वाले हैं तो मैंने एक विशेष याद संजोने का फैसला किया। इसलिये मैं धोनी के पास दौड़कर गया और उनका ऑटोग्राफ लिया। यह चेपौक में उनका आखिरी घरेलू मैच था। ज़ाहिर है, अगर चेन्नई प्लेऑफ में पहुंचती है तो वह यहां एक और मैच खेलेंगे, लेकिन मैंने उस लम्हे को विशेष बनाने का फैसला किया। मैं खुशकिस्मत था कि कैमरा यूनिट में एक व्यक्ति के पास मार्कर पेन था। मैं उस व्यक्ति का भी शुक्रगुजार हूं।”

गावस्कर ने ऑटोग्राफ देने के लिये धोनी की तारीफ की। उन्होंने भावुक होकर कहा कि अगर उन्हें मौका मिलता तो वह मरने से पहले एक बार कपिल देव को 1983 विश्व कप की ट्रॉफी उठाते हुए और धोनी को 2011 विश्व कप का विजयी छक्का लगाते हुए ज़रूर देखना चाहते। गावस्कर ने कहा, “मैं माही के पास गया और उन्हें मेरी कमीज़ ऑटोग्राफ देने के लिये कहा। उनका ऑटोग्राफ देना बहुत अच्छा था। यह मेरे लिये बहुत भावुक पल था क्योंकि इस इंसान ने भारतीय क्रिकेट में बहुमूल्य योगदान दिया है।” उन्होंने कहा, “कपिल देव का 1983 में विश्व कप ट्रॉफी उठाना और महेंद्र सिंह धोनी का 2011 विश्व कप फाइनल में छक्का लगाना, यह वे दो पल हैं जो मैं मरने से पहले एक बार अनुभव करना चाहूंगा।”

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