हाइलाइट्स
कैप्टन कूल की खास बातें
वेंगसरकर ने जताया भरोसा
“कैप्टन फिनिशर” नाम ही काफी है
राज एक्सप्रेस। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के 39 वें जन्मदिवस पर उनको देश दुनिया से प्रशंसक शुभकामनाएं दे रहे हैं। यह कैप्टन कूल का ही करिश्मा है कि लंबे अर्से से गैरमौजूदगी के बावजूद उनकी भरपाई अब तक कोई नहीं कर पाया है।
गौरवशाली जीत -
पूर्व में बिहार (अब झारखंड) में शामिल रहे रांची में 7 जुलाई 1981 को जन्मे माही का रुतबा देश-दुनिया में किसी से नहीं छिपा। यह धोनी का ही करिश्मा रहा कि उनकी कप्तानी में भारतीय क्रिकेट टीम ने वर्ष 2007 में टी-20, साल 2011 में एक दिवसीय विश्वकप के अलावा वर्ष 2013 में शानदार ढंग से चैम्पियंस ट्रॉफी पर कब्जा जमाया।
कैप्टन कूल -
कठिन और विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य न खोने वाले एमएस धोनी ने न केवल अपने से वरिष्ठ क्रिकेटर्स की कप्तानी की बल्कि संयमी बर्ताव के कारण ही प्रशंसकों ने उनको कैप्टन कूल नाम भी दिया। मैदान के अंदर और बाहर संयत व्यवहार के धनी धोनी के जीवन में अब तक ऐसा शायद ही कोई मौका आया हो जब मीडिया में उनके बारे में कोई नकारात्मक खबर आई हो।
इन खेलों में भी महारथ-
एमएस धोनी को क्रिकेट के साथ ही फुटबॉल और बैडमिंटन में भी खासी रुचि रही। इन खेलों में उन्होंने कई राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में भी सहभागिता की। हालांकि धोनी ने क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में अपने खेल कौशल का अंतर राष्ट्रीय स्तर पर जमकर लोहा मनवाया।
डिसिप्लिन पसंद -
अनुशासन पसंद माही ने टीम के सामने इस मामले में मानदंड स्थापित किये हैं। न केवल बल्ले बल्कि विकेट के पीछे विकेट कीपिंग और कप्तानी में उन्होंने डिसिप्लिन के जरिये टीम की कमान को बखूबी संभाला। अनुशासन की कुंजी के कारण ही धोनी ने रांची जैसे शहर के नाम का डंका दुनिया में बजाया।
हौसला बढ़ाने का हुनर-
धोनी की एक और खासियत है कि उन्होंने ज्यादा रन लुटाने वाले गेंदबाजों पर कभी गुस्सा दिखाने के बजाए उनको बेहतर करने की प्रेरणा दी। “मिलेगा-मिलेगा” यह वो लफ्ज हैं जिसे अक्सर क्रिकेट फैंस ने धोनी को विकेट के पीछे से कहते सुना होगा। इन शब्दों से धोनी अक्सर अपने गेंदबाजों और फील्डर्स की हौसला अफजाई करते नजर आए। जूनियर्स उनकी इसी बात के खास तौर पर कायल रहे।
सौ फीसद प्रदर्शन –
कीपिंग, कप्तानी, बल्लेबाजी में पूर्व कप्तान धोनी की काबिलियत किसी से नहीं छिपी। स्टंप से सटकर कीपिंग करने में महारथी धोनी ने विपक्षी बल्लेबाजों को सदैव स्टंपिंग की टैंशन में रखा। बल्लेबाजी में उन्होंने कई बैटिंग ऑर्डर पर उतरकर टीम की नैया पार लगाई और बतौर कप्तान उन्होंने अपने साथी खिलाड़ियों से शत-प्रतिशत प्रदर्शन भी करवाया।
उनकी यही खासियत रही कि उनको यह बखूबी पता रहता था कि किस खिलाड़ी से कैसे सौ फीसद प्रदर्शन करवाना है। एमएसडी की कप्तानी में भारतीय टीम में कई नए खिलाड़ियों को मौका भी मिला।
आईपीएल रिकॉर्ड -
महेंद्र सिंह धोनी ने सबसे अधिक बार आईपीएल खेला है। उनके कई रिकॉर्ड्स तो ऐसे हैं जिन तक पहुंचना हर क्रिकेटर का सपना होता है। आंकड़ों की बात करें तो एमएस धोनी ने अपने आईपीएल करियर के कुल 190 मैच में 4432 रन अपने नाम किये। इस दौरान उनका औसत 42.40 का रहा।
आईपीएल में चेन्नई के 99 और पुणे के लिए 5 मैचों को मिलाकर उनकी टीमों ने कुल 104 मैचों में उनकी कप्तानी में विजय हासिल की। उनकी टीम चेन्नई सुपर किंग्स उनकी कप्तानी में कुल तीन दफा सिरमौर बनी।धोनी ने आईपीएल के 9 फाइनल में प्रदर्शन किया।
एकदिवसीय क्रिकेट -
धोनी ने भारतीय क्रिकेट टीम के लिए 90 टेस्ट, 349 वनडे और 98 टी-20 इंटरनेशनल मैचों में प्रदर्शन किया। वो भारत के पहले कप्तान रहे जिसने 200 एक दिनी क्रिकेट मैचों में भारत की कप्तानी कर भारत को 110 मैचों में जीत दिलाई।
गौरतलब है कि धोनी ने वर्ष 2014 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बीच सीरीज में कप्तानी छोड़ टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी थी। इसके कुछ साल बाद साल 2017 में उन्होंने सीमित ओवरों के क्रिकेट की भी कप्तानी छोड़ने का फैसला किया।
अंतिम ओवरों के सरताज -
मैचों के आखिरी ओवर्स तक किला लड़ाने के हुनर के कारण ही कॉमेंटेटरों ने उनको बेस्ट फिनिशर की उपाधि से नवाजा। आईपीएल मैचों के आखिरी ओवर्स में सबसे ज्यादा रन बटोरने का रिकॉर्ड भी माही के ही नाम दर्ज है। उनका हेलिकॉप्टर शॉट सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है।
स्टंपिंग की महारत –
विकेट कीपर धोनी के नाम का ही डंका कहा जा सकता है कि विपक्षी टीम के खिलाड़ी उनकी विकेट कीपिंग के दौरान क्रीज छोड़ने की गलती नहीं करते थे। मात्र सेकंड मात्र में उन्होंने कई बार बल्लेबाजों को पवेलियन की राह पहुंचा दिया। आईपीएल में सबसे ज्यादा 38 बार बल्लेबाजों को स्टंप आउट करने का रिकॉर्ड भी उनके नाम दर्ज है।
ऐसे बजा नाम का डंका -
पाकिस्तान के खिलाफ ताबड़तोड़ दो शतक लगाकर करियर की शुरुआत में ही धोनी ने अपनी प्रतिभा से सभी को कायल कर दिया था। गौरतलब है कि वर्ष 2004 में उन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट में पदार्पण किया था। माही ने करियर के 5वें वनडे में 148 रन और फिर 5वें टेस्ट में 148 रन बनाकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।
आपको ज्ञात हो कैप्टन कूल के नाम आईसीसी की तीनों विश्व प्रतियोगिताएं जीतने का भी बेजोड़ रिकॉर्ड दर्ज है। प्रतिभा के बूते दुनिया में वाहवाही लूट रहे धोनी की कप्तानी में भारत ने साल 2007 में टी-20 वर्ल्ड कप जीता। इसके अगले साल 2008 में उनको टेस्ट टीम का भी कप्तान बना दिया गया।
उनकी कप्तानी में भारत ने ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और न्यूजीलैंड जैसी टीमों को हराकर दुनिया भर की टीमों में भारतीय क्रिकेट टीम का खौफ पैदा किया। वर्ष 2011 में माही की कप्तानी में भारत ने विश्व कप खिताब पर कब्जा जमाया था।
फिर इसके बाद 2013 में ऑस्ट्रेलिया को भारत में 4-0 से पटखनी देने के साथ ही इंग्लैंड में आयोजित चैम्पियंस ट्रॉफी जीती। पिछले साल आयोजित वर्ल्ड कप के बाद से माही के बारे में आलोचनाएं सामने आ रही हैं। इस टूर्नामेंट में सेमीफाइनल में भारत की हार के बाद से ही वे अंतर राष्ट्रीय क्रिकेट से अचानक दूर हैं।
वेंगसरकर का रोल -
आपको ज्ञात हो महेंद्र सिंह धोनी की प्रतिभा को देखकर उनको 21 साल की उम्र में बीसीसीआई की टीआरडीडब्ल्यू योजना में शामिल किया गया। जबकि उसमें प्रवेश की अहर्ता तब19 साल की उम्र तय होती थी। गौरतलब है बंगाल के पूर्व कप्तान प्रकाश पोद्दार के अनुरोध पर दिलीप वेंगसरकर ने नियमों को शिथिल कर माही के लिए स्थान बनवाया था।
इंटरनेशनल करियर -
वनडे- महेंद्र सिंह धोनी ने 349 एक दिवसीय अंतर राष्ट्रीय क्रिकेट मैचों में 10773 रन अपने नाम किये हैं। इस दौरान उनका औसत 50.57 रहा, वह भी कई अनियमित बल्लेबाजी क्रमों पर उतरने के बावजूद। वनडे करियर में उनके नाम सर्वाधिक 183 रनों के साथ 10 शतक और 73 अर्धशतक शामिल हैं। करिश्माई विकेट कीपर महेंद्र सिंह धोनी ने 444 बल्लेबाजों को पवेलियन की राह दिखाई है।
टेस्ट- धोनी के नाम 90 टेस्ट मैचों में 4876 रन दर्ज हैं जिसमें उनका औसत 38.09 रहा। टेस्ट में धोनी ने सर्वाधिक 224 रनों के साथ 6 शतक और 33 अर्धशतक अपने नाम किये जबकि बतौर विकेट कीपर 294 बल्लेबाजों को आउट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
T-20 – माही ने कुल 98 टी-20 अंतर राष्ट्रीय मैचों में 1617 रन बनाए। इस दौरान उनका औसत 37.60 का रहा। इंटरनेशनल T-20 करियर में उनके नाम 2 अर्धशतक दर्ज हैं, जिसमें उनका उच्च स्कोर 56 शामिल है। बतौर विकेट कीपर माही ने इस फॉरमेट में 91 बल्लेबाजों को आउट करने में महत्वपूर्ण रोल अदा किया।
धोनी के रिटायरमेंट पर सवाल -
कप्तान विराट कोहली के आने के बाद लंबे अर्से से धोनी अंतर राष्ट्रीय क्रिकेट से दूर हैं। प्रशंसकों को आस थी कि आईपीएल में वो उनको फिर करिश्माई प्रदर्शन करते देख पाएंगे, लेकिन कोविड-19 के कारण खेल आयोजन लंबित है।
प्रशंसकों और उनके खेल और व्यक्तित्व को जमीनी तौर पर जानने वाले कई वरिष्ठ क्रिकेटर्स और प्रशिक्षकों को अभी भी उम्मीद है कि धोनी में अभी काफी क्रिकेट बाकी है और वो जल्द भारतीय टीम में वापसी कर सकते हैं।
फिटनेस पर कोई शक नहीं-
धोनी की पिच पर रनिंग की काबिलियत के खेल प्रशंसक मुरीद रहे हैं। एक रन को दो से तीन रन में तब्दील करने का हुनर उनको विपक्षियों पर दबाव बनाने में हमेशा मददगार रहा। कई क्रिकेटर्स का दावा है कि अभी भी फिटनेस के मामले में धोनी नवोदित क्रिकेटर्स के मुकाबले बीस ही साबित होंगे। ऐसे में फिटनेस के आधार पर उनके रिटारमेंट की बात करना फिलहाल बेमानी होगी।
डिस्क्लेमर – आर्टिकल प्रचलित रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।
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