राज एक्सप्रेस। भारत और चीन विवाद के चलते देश में होने वाली आईपीएल (IPL) लीग पर भी इसका असर देखने को मिल सकता है। बीसीसीआई, आईपीएल स्पॉन्सरशिप को लेकर एक बैठक करने वाला है। जिसमें आईपीएल में भागीदारी रखने वाले स्पॉन्सरशिप की समीक्षा की जाएगी। बीसीसीआई और आईपीएल में होने वाले कई स्पॉन्सर चीनी कंपनियों से ताल्लुक रखते हैं, जिसमें चीनी कंपनी वीवो प्रमुख स्पॉन्सर शामिल है, वीवो आईपीएल का टाइटल स्पॉन्सर है, जिसका सालाना करार 440 करोड़ का है।
सोशल मीडिया पर मिला बैठक का संदेश
सोशल मीडिया द्वारा आईपीएल के ऑफिशियल अकाउंट पर यह जानकारी प्राप्त हुई है जिसमें लिखा गया है कि सरहद पर तनाव का संज्ञान लेते हुए और हमारे दिलेर जवानों की शहादत को देखते हुए, आईपीएल गवर्निंग काउंसिल की अगले हफ्ते बैठक बुलाने का फैसला किया गया है, जिसमें आईपीएल की स्पॉन्सरशिप डील को लेकर समीक्षा की जाएगी।
इससे पहले बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष अरुण धूमल ने कहा था कि आईपीएल में चीनी कंपनियों से आ रहे पैसे से भारत को ही फायदा मिलता है चीन को नहीं।
उन्होंनें कहा था 'जज्बाती तौर पर बात करने से तर्क पीछे रह जाता है, हमें समझना होगा कि हम चीन के हित के लिए चीनी कंपनी के सहयोग की बात कर रहे हैं या भारत के हित के लिए चीनी कंपनी से मदद ले रहे हैं।'
'जब हम भारत में चीनी कंपनियों को उनके उत्पाद बेचने की अनुमति देते हैं, तो जो भी पैसा वे भारतीय उपभोक्ता से ले रहे हैं, उसमें से कुछ बीसीसीआई को ब्रांड प्रचार के लिए दे रहे हैं और बोर्ड भारत सरकार को 42 प्रतिशत कर चुका रहा है, इससे भारत का फायदा हो रहा है, चीन का नहीं'।
आपको बता दें कि आईपीएल के मुख्य प्रायोजक वीवो का करार खत्म करने का इस वक्त कोई इरादा नहीं है। वीवो कंपनी का आईपीएल के साथ करार 5 साल तक के लिए घोषित है, जो कि 2022 तक चलेगा। अब आगे क्या होगा ये तो बैठक होने के बाद हे पता चल सकेगा।
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