नशीली दवा ‘याबा’ की तस्करी में अचानक बड़े पैमाने पर उछाल

सीमा पार से आतंक को भारत में भेजने के बाद अब नशीले पदार्थों की खेप भी आने लगी है। हालांकि, इस तरह के पदार्थ काफी दिनों से भारत आ रहे हैं, मगर अब ड्रग्स को और भी खतरनाक तरीके से तैयार कर भारत में...
नशीली दवा ‘याबा’
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अब तक सीमा पार से आतंक का खतरा ही मंडरा रहा था, मगर अब नशीली चीजों का खतरा भी बढ़ गया है। बांग्लादेश से लगने वाली देश की पूर्वी सीमा पर होने वाली नशीली दवाओं की तस्करी से सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं। कारण है एक नई किस्म की नशीली दवा ‘याबा’ की तस्करी में अचानक बड़े पैमाने पर उछाल आ जाना। ‘क्रेजी मेडिसिन’ के नाम से मशहूर याबा की एक गोली से अभी तक युवाओं में प्रचलित फेंसिडाइल कफ सीरप के मुकाबले करीब दोगुना मिलने के कारण युवाओं में यह नशीली दवा तेजी से पैठ बना रही है। सुरक्षा एजेंसियों को इस नए नशे पर काबू पाने के लिए अपनी रणनीति बदलने का अलर्ट जारी कर दिया गया है। एक केंद्रीय सुरक्षा बल की तरफ से तैयार डोजियर के मुताबिक, भारत फिलहाल गोल आकार की लाल रंग वाली याबा ड्रग्स के लिए ‘ट्रांजिट कंट्री (किसी अन्य देश में ले जाने के दौरान बीच में पडऩे वाला देश)’ की भूमिका निभा रहा है। लेकिन इसकी तस्करी में बड़े पैमाने पर सामने आई बढ़ोतरी इस बात का स्पष्ट इशारा कर रही है कि याबा को देश में नशा करने वाले युवाओं के बीच पैठ बनाने में ज्यादा देर नहीं लगेगी।

डोजियर में यह भी कहा गया है कि अभी तक अवैध फेंसिडाइल सीरप की तस्करी का काम कर रहे अधिकतर भारतीय तस्करों ने ज्यादा मांग व इससे ज्यादा कमाई होने के चलते खुद को याबा की तस्करी पर शिफ्ट कर लिया है। सुरक्षा, खुफिया व एंटी नार्कोटिक्स एजेंसियों की याबा की सीमा पार तस्करी और हमारे देश में इसके उपयोग को लेकर चिंता पिछले दो साल में फेंसिडाइल के मुकाबले इस नशीली दवा की ज्यादा खेप पकड़े जाने के आंकड़ों के कारण बढ़ी है। इससे पहले के सालों में याबा की खेप फेंसिडाइल के मुकाबले कम रहती थी। सबसे बड़ी चिंता पश्चिमी बंगाल जैसे अब तक तस्करी के काम में नहीं आने वाले राज्यों में इस नशीली दवा की खेप पकड़े जाने से ज्यादा चिंता बढ़ी है। इसी कारण बांग्लादेश से लगने वाली 4096 किलोमीटर लंबी सीमा पर बीएसएफ के गश्ती दश्तों को ज्यादा अलर्ट किया गया है।

क्रेजी मेडिसिन के अलावा मैडनैस ड्रग और नाजी स्पीड आदि नामों से भी पुकारी जाने वाली याबा में मुख्य तौर पर कैफीन और मेटहैंपटामिन कैमिकल होता है। याबा को बनाने वाली सभी अवैध लैब म्यांमार में चल रही हैं, लेकिन इसे बनाने वाला रॉ मैटीरियल चीन से तस्करी के जरिये म्यांमार लाया जाता है। इसके बाद इसे तस्करी के जरिये म्यांमार से लगने वाली 270 किलोमीटर लंबी सीमा या भारत के रास्ते बांग्लादेश ले जाया जाता है, जहां इसकी बेहद मांग हो रही है। इस नशीली दवा से युवाओं में तनाव, उत्तेजना, गुस्सा और चिड़चिड़ापन जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। यह गुर्दे, दिल, लीवर और मस्तिष्क को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाती है। अभी सबसे बड़ी चुनौती युवाओं को इसके प्रभाव से दूर रखने की है।

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