जानिए हमला करने के बाद उसकी जिम्मेदारी क्यों लेते हैं आतंकी संगठन? क्या होता है फायदा?
राज एक्सप्रेस। बीते दिनों पाकिस्तान के पेशावर की एक मस्जिद में हुए आत्मघाती बम विस्फोट ने पूरे पाकिस्तान को हिलाकर रख दिया है। इस हमले में करीब 100 लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं। हमले के तुरंत बाद तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने इस हमले की जिम्मेदारी लेते हुए इसे अपने नेता उमर खालिद खुरासनी की हत्या का बदला बताया। हालांकि इसके कुछ देर बाद ही टीटीपी ने यूटर्न लेते हुए इस हमले में शामिल होने से इंकार कर दिया। ऐसे में आज हम जानेंगे कि आखिर किसी हमले के बाद आतंकी संगठन उसकी जिम्मेदारी क्यों लेते हैं और किन परिस्थितियों में वह चुप्पी साध लेते हैं?
कैसे लेते हैं जिम्मेदारी?
हर आतंकी संगठन का किसी भी हमले की जिम्मेदारी लेने का अलग-अलग तरीका होता है, ताकि कोई दूसरा संगठन उनके नाम से फेक जानकारी ना फैला सके। आमतौर पर आतंकी संगठन किसी खास न्यूज एजेंसी, वेबसाइट, पत्र या अन्य तरीके से किसी भी हमले की जिम्मेदारी लेते हैं।
डर का माहौल बनाना रहता है मकसद?
दरअसल किसी भी आतंकी हमले के बाद जब आतंकी संगठन उस हमले की जिम्मेदारी लेते हैं, तो इसके पीछे उनका मकसद डर का माहौल बनाना होता है। एक तरह से यह आतंकी हमले ही उस संगठन की पहचान होते हैं। जो आतंकी संगठन ज्यादा नुकसान पहुंचाता हैं, उसे उतना ही खतरनाक माना जाता है। इससे लोगों और सरकारों के मन में उस आतंकी संगठन के प्रति डर पैदा हो जाता है।
सरकारों से करते है मोल-भाव :
जब कोई आतंकी संगठन किसी देश में बड़ा हमला करता है तो दूसरे देशों की सरकारों में भी उस संगठन को लेकर खौफ पैदा हो जाता है। इससे उस आतंकी संगठन को उस देश में सरकार के साथ मोल-भाव करने में ज्यादा आसानी होती है, क्योंकि सरकारों के मन भी डर बना रहता है कि उसके देश में भी आतंकी हमले ना शुरू हो जाए।
फंडिंग मिलती है :
आतंकी संगठनों को समान एजेंडा वाले सफेदपोश लोग पैसा देते हैं। ऐसे में जब आतंकी संगठन कोई हमला करके उसकी जिम्मेदारी लेता है तो इसका मतलब वह उन्ही की तरह सोच रखने वाले सफेदपोश लोगों को एक इशारा होता है। जैसे कोई आतंकी संगठन भारत में हमला करके उसकी जिम्मेदारी लेता है तो ऐसे सफेदपोश लोग जो भारत की बर्बादी देखना चाहते है वह उस संगठन को पैसे देंगे। जिससे वह भारत में और भी हमले कर सके।
लड़ाकों की भर्ती :
जब कोई आतंकी संगठन कोई हमला करता है तो उस संगठन जैसी सोच रखने वाले लोग उसकी तरफ आकर्षित होते हैं और उससे जुड़ना चाहते हैं। इसके चलते उस आतंकी संगठन के लिए लड़ाकों की भर्ती करना आसान हो जाता है।
कब साध लेते हैं चुप्पी?
कई बार कुछ खास हालातों में आतंकी संगठन किसी हमले की जिम्मेदारी नहीं लेते हैं। इसका कारण यह है कि उन्हें डर होता है कि उनके ही आतंकी उनसे बगावत ना कर बैठे। जैसे टीटीपी पाकिस्तान में इस्लामिक शासन स्थापित करने के उद्देश्य से हमले करता है लेकिन मस्जिद में हमला करने से उसके ही आतंकवादी नाराज हो सकते हैं। माना जा रहा है कि इसी कारण से इस आतंकी संगठन ने यूटर्न लिया।
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