परिवार को टूटने से बचाने के लिए पारिवारिक मूल्यों को समझने की सख्त जरूरत है

भौतिकवादी युग में एक-दूसरे की सुख-सुविधाओं की प्रतिस्पर्धा ने मन के रिश्तों को झुलसा दिया है। कच्चे से पक्के होते घरों की ऊंची दीवारों ने आपसी वार्तालाप को लुप्त कर दिया है।
परिवार को टूटने से बचने के लिए
परिवार को टूटने से बचने के लिए Social Media
Published on
Updated on
4 min read

आज सभी को एक संस्था के रूप में पारिवारिक मूल्यों और परिवार के बारे में सोचने-समझने की सख्त जरूरत है और साथ ही इन मूल्यों की गिरावट के कारण ढूंढकर उनको दुरुस्त करने की भी जरूरत है। इसके लिए समाज के कर्णधार कवि, लेखकों, गायकों, नायक-नायिकाओं, शिक्षक वर्गों और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ राजनीतिज्ञों को संस्था के रूप में परिवार के पतन के निहितार्थ के बारे में भी लिखना और सोचना चाहिए. खुले मंचों से इस बात पर चर्चा होनी चाहिए कि इस गिरावट के कारण क्या है? परिवार, भारतीय समाज में, अपने आप में एक संस्था है और प्राचीन काल से ही भारत की सामूहिक संस्कृति का एक विशिष्ट प्रतीक है। संयुत परिवार प्रणाली या एक विस्तारित परिवार भारतीय संस्कृति की महत्वपूर्ण विशेषता रही है, जब तक शहरीकरण और पश्चिमी प्रभाव के मिश्रण ने झटका देना शुरू नहीं किया।

परिवार एक बुनियादी और महत्वपूर्ण सामाजिक संस्था है जिसकी व्यक्तिगत और साथ-साथ ही सामूहिक नैतिकता को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका है। परिवार सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्यों का पोषण और संरक्षण करता है। यह कानून का पालन करने वाले नागरिकों को प्रोत्साहन देकर समाज को स्थिरता प्रदान करता है। यह व्यक्ति में सामूहिक चेतना के निर्माण में मदद करता है। परिवार प्रणाली एक एकल, शक्तिशाली किस्में है जो सदियों से है, और विविधता के साथ समृद्ध, सामाजिक तानेबाने को मजबूत करती है समाजीकरण में यह भावनात्मक संबंध का प्रमुख स्रोत है, समाजीकरण और नैतिकता को आकार देने के तरीके से सही और गलत की भावना उत्पन्न करता है। बच्चों को उनके माता-पिता, उनके साथियों और उनके समाज के सामाजिक सम्मेलनों के अनुसार नैतिक निर्णय लेने के रूप में देखा जाता है। यह व्यक्तिगत चरित्र को मजबूत करता है। यह आदत बनाने का पहला स्रोत है जैसे अनुशासन, समान और आज्ञाकारिता आदि।

नैतिक मजबूती के साथ-साथ यह व्यक्ति के परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों को बिना किसी हिचकिचाहट के कठिन समय में भरोसा करने लचीलापन प्रदान करता है। यह कठिनाइयों से निपटने के लिए अनैतिक साधनों के उपयोग से बचाता है। परिवार लोगों को सांसारिक समस्याओं के प्रति स्त्री के दृष्टिकोण को विकसित करने में मदद करता है। मगर वर्तमान दौर में हम संस्था के रूप में परिवार में गिरावट का कटु अनुभव झेल रहे हैं। गिरावट के प्रतीक के रूप में आज परिवार खंडित हो रहा है, वैवाहिक संबंध टूटने, आपसे भाईचारे में दुश्मनी एवं हर तरह के रिश्तों में कानूनी और सामाजिक झगड़ों में वृद्धि हुई है। आज सामूहिकता पर व्यक्तिवाद हावी हो गया है। इसके कारण भैतिक उन्मुख, प्रतिस्पर्धी और अत्यधिक आकांक्षा वाली पीढ़ी तथाकथित जटिल पारिवारिक संरचनाओं से संयम खो रही है। जिस तरह व्यक्तिवाद ने अधिकारों और विकल्पों की स्वतंत्रता का दावा किया है। उसने पीढिय़ों को केवल भौतिक समृद्धि के परिप्रेक्ष्य में जीवन में उपलब्धता की भावना देखने के लिए मजबूर कर दिया है।

वर्तमान स्थिति में भडक़ाऊ रवैया परिवारों के बिखरने का प्रमुख कारण है। परिवार के अन्य सदस्यों को उच्च आय और कम जिम्मेदारी ने विस्तारित परिवारों को विभाजित किया है। उच्च तलाक की दर निसंदेह सामाजिक रिश्तों को निगल रही है। विवाह के टूटने का प्रमुख कारण एकल रवैये, व्यवहार व समझौता किए गए मूल्यों में प्रौद्योगिकी काला धब्बा है। युवा पीढ़ी का असामाजिक व्यवहार परिवारों को तेजी से नष्ट कर रहा है। आज के अधिकांश सामाजिक कार्य, जैसे कि बच्चे की परवरिश, शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण, बुजुर्गों की देखभाल, आदि, बाहर की एजेंसियों, जैसे क्रेच, मीडिया, नर्सरी स्कूलों, अस्पतालों, व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्रों, धर्मशाला संस्थानों ने ठेकेदारों के तौर पर संभाल लिए हैं जो कभी परिवार के बड़े लोगों की जिम्मेदारी होती थी। परिवार संस्था के पतन ने हमारे भावनात्मक रिश्तों में बाधा पैदा कर दी है। एक परिवार में एकीकरण बंधन आपसी स्नेह और रक्त से संबंध हैं। एक परिवार एक बंद इकाई है जो हमें भावनात्मक संबंधों के कारण जोडक़र रखता है।

नैतिक पतन परिवार के टूटने में अहम कारक है क्योंकि वे बच्चों को दूसरों के लिए आत्म सम्मान और सम्मान की भावना नहीं भर पाते हैं। पद-पैसों की अंधी दौड़ से आज सामाजिक-आर्थिक सहयोग और सहायता का सफाया हो गया है। परिवार अपने सदस्यों, विशेष रूप से शिशुओं और बच्चों के विकास और विकास के लिए आवश्यक विषय और भौतिक सहायता तक सिमित हो गए हैं, हम आए दिन कहीं न कहीं बुजुर्गों सहित अन्य आश्रितों की देखभाल के लिए, अक्षम और दुर्बल परिवार प्रणाली की गिरावट की बातें सुनते और देखते हैं जब उन्हें अत्यधिक देखभाल और प्यार की आवश्यकता होती है। आज ज्यादातर लोग सार्थक जीवन का अभाव झेल रहें है। पारिवारिक प्रणाली के पतन का एक नुकसान यह है कि साझाकरण, देखभाल, सहानुभूति, सहयोग, ईमानदारी, सुनने, स्वागत करने, मान्यता, विचार, सहानुभूति और समझ के गुणों का कम होना है। हाल के दिनों में तनाव की सहनशीलता में कमी, चिंता और अवसाद के मामले बढ़ रहे हैं।

परिवार प्रणाली बुजुर्ग सदस्यों से बात करने, बच्चों के साथ खेलने से गहरी असुरक्षा की अभिव्यक्ति के साथ मानसिक रूप से व्यक्ति को राहत दे सकती है। परिवार प्रणाली में गिरावट अधिक व्यक्तियों के लिए मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के मामले पैदा कर सकती है। भविष्य में संस्था के रूप में परिवार में गिरावट समाज में संरचनात्मक परिवर्तन लाएगी। सकारात्मक पक्ष पर, भारतीय समाज में जनसँख्या की वृद्धि में कमी देखी जा सकती है और संस्था के रूप में परिवार में गिरावट के प्रभाव के रूप में कार्यबल का महिलाकरण हो सकता है। सयुंक्त परिवार से परिवार के संरचनात्मक परिवर्तनों को समझने की आवश्यकता है, कुछ मामलों में इसे परिवार प्रणाली की गिरावट नहीं कहा जा सकता है। जहां परिवार प्रणाली सकारात्मक परिवर्तन के लिए संयुत परिवार से एकल परिवार में परिवर्तित होती है। वैसे भी भारतीय समाज भी परिवार के संलयन और विखंडन की अनूठी विशेषता का निवास करता है जिसमें भले ही परिवार के कुछ सदस्य अलग रहते हैं, फिर भी एक परिवार होते हैं।

परिवार एक बहुत ही तरल सामाजिक संस्था है और निरंतर परिवर्तन की प्रक्रिया में है। आधुनिकता समान-लिंग वाले जोड़ों, लिव-इन संबंधों, एकल- माता-पिता के घरों, अकेले रहने वाले या बच्चों के साथ तलाक का एक बड़ा हिस्सा उभरने का गवाह बन रहा है। इस तरह के परिवारों को पारंपरिक रिश्तेदारी समूह के रूप में कार्य करना आवश्यक नहीं है और ये समाजीकरण के लिए अच्छी संस्था साबित नहीं हो सकती। भौतिकवादी युग में एक- दूसरे की सुख-सुविधाओं की प्रतिस्पर्धा ने मन के रिश्तों को झुलसा दिया है।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

और खबरें

No stories found.
logo
Raj Express | Top Hindi News, Trending, Latest Viral News, Breaking News
www.rajexpress.com