Social Media ने तय किए सुंदरता के पैमाने, इसे उपलब्धियों से ऊपर रखना कितना सही?

UP बोर्ड की टॉपर Prachi Nigam को Social Media पर उनके चेहरे पर बालों की असामान्य वृद्धि की वजह से ट्रोल किया था, इससे परेशान होकर प्राची ने कहा, मैं 1-2 नंबर से चूक जाती तो ऐसी Trolling नहीं सहनी पड़ती
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हाइलाइट्स

  • ट्रोलिंग Mental Health पर डालती है बुरा प्रभाव।

  • 17 साल के प्रांशु ने ट्रॉल्लिंग की वजह से कर ली थी जिंदगी ख़त्म।

  • Prachi Nigam को बालों की Abnormal Growth के लिए किया ट्रोल।

राजएक्सप्रेस। जब सोशल मीडिया (Social Media) पर किसी इन्फ्लुएंसर को देखते हैं तो हम सभी उनके जैसे बनने की दौड़ में शामिल हो जाते हैं। हम कभी नहीं सोचते कि, उस एक वीडियो के पीछे की कहानी क्या है? क्या आपने कभी सोचा है कि, किसी की उपलब्धियों को नजरअंदाज करके उसकी शक्ल- सूरत का ऑनलाइन मज़ाक (Trolling) बनाया जाएगा? जी हां, ऐसा हाल ही में हुआ है, जहां उत्तर प्रदेश बोर्ड परीक्षा में 98.5 प्रतिशत अंकों के साथ टॉप करने वाली प्राची निगम (Prachi Nigam) साइबर बुलिंग का शिकार बन गई। प्राची अपनी उपलब्धियों से ज्यादा अपने लुक्स को लेकर ट्रेंड कर रही थीं। इसे सोशल मीडिया का नकारात्मक पहलू कहा जा सकता है। जहां सफलता से ज्यादा सुंदरता मायने रखती है। आजकल हर किसी को अपनी त्वचा को बेदाग दिखाने के लिए दैनिक जीवन में भी फिल्टर की जरूरत पड़ती है। लोग प्राकृतिक दागों को आत्मविश्वास कम करने का जरिया मान रहे हैं। युवाओं की मानसिकता इस हद तक पहुंच गई है कि, वे इलाज के जरिए इन्हें पूरी तरह खत्म करना चाहते हैं। वे ऑनलाइन और वास्तविक जीवन में एक जैसा दिखना चाहते हैं।

सुंदरता को लेकर इंटरनेट की दुनिया फैला रही है भ्रांतियां

सोशल मीडिया (Social Media) का सकारात्मक पहलू यह है कि, दुनिया के किसी भी कोने से लोगों को एक-दूसरे से सोशल मीडिया (Social Media) ही जोड़ रहा है। लेकिन सोशल मीडिया का नकारात्मक पहलू भी है, जो यह बताता है कि, सोशल जगत की बुनियाद खोखली है। झूठे मुखौटों की इस दुनिया में, बेदाग चेहरा, झूठी मुस्कान ही मायने रखती हैं। लड़कियों के रंग-रूप से लेकर उनके कपड़ों तक का मज़ाक उड़ाया जाता है, जिसे सोशल मीडिया की भाषा में ट्रोलिंग (Trolling) कहते हैं। कभी-कभी ऐसी ट्रोलिंग मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) पर बहुत बुरा प्रभाव डालती हैं। कई बार ट्रोलिंग के कारण लोग अपनी जिंदगी खत्म करने के बारे में भी सोच चुके हैं।

'नफरत भरी टिप्पणी' बनी आत्महत्या की वजह

आज के सोशल मीडिया युग (Social Media Era) में साइबर बुलिंग बहुत ही आम बात हो गई है। 2023 में महाकाल की नगरी उज्जैन में रहने वाले प्रांशु ने अपनी रील पर गंदे कमेंट्स देखने के बाद आत्महत्या कर ली थी। कोई अपने चेहरे, शारीरिक बनावट या काम की वजह से साइबर बुलिंग (Cyber Bullying) का शिकार हो जाता है। प्रांशु ने साड़ी में इंस्टाग्राम ट्रांजिशन रील पोस्ट की थी, जिसके लिए उसे खूब ट्रोल (Troll) किया गया था। इसी बनावटी दुनिया में फंसकर 16 साल के प्रांशु ने आत्महत्या कर ली।

रिपोर्टों में कहा गया है कि, सोशल मीडिया किशोरों के लिए अपने प्लेटफार्मों की सुरक्षा के बारे में जनता को "मौलिक रूप से गुमराह" कर रहा है। सोशल मीडिया 13 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए "उपयुक्त नहीं" है लेकिन आजकल बच्चे अपने माता-पिता की इजाजत के बिना ही सोशल मीडिया का उपयोग कर रहे हैं।

प्राची अपनी उपलब्धियों से ज्यादा अपने लुक्स को लेकर कर रही ट्रेंड

किसी की उपलब्धियां उसकी बाहरी खूबसूरती की वजह से कम आंकी जा रही है तो समझ लीजिए कि, सोशल मीडिया ने आम जिंदगी में अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। सीतापुर की छात्रा प्राची निगम (Prachi Nigam) ने 98.5 प्रतिशत अंक हासिल कर उत्तर प्रदेश राज्य बोर्ड परीक्षा में पहला स्थान हासिल किया है। प्राची निगम (Prachi Nigam) के चेहरे पर बाल होने के कारण सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भद्दे कमेंट्स और बेहद कामुक टिप्पणियां की गईं। कुछ ट्रोल्स ने छात्र की तस्वीर के साथ छेड़छाड़ करने का भी काम किया था ।

सोशल मीडिया कर सकती है मानसिक स्थिति से खिलवाड़

हाल ही दिए गए एक इंटरव्यू में प्राची ने कहा, "इस ट्रोलिंग को देखकर मुझे लगता है कि अगर मुझे एक या दो नंबर कम मिलते तो अच्छा होता। अगर मैं टॉप नहीं करती तो लोग मेरी शक्ल पर ध्यान नहीं देते।'' वह आगे कहती हैं कि जब मैंने हाई स्कूल बोर्ड में टॉप किया तो ट्रोल्स ने ही मुझे पहली बार मेरे चेहरे पर लंबे बालों के उगने का एहसास कराया। इससे साफ पता चलता है कि, सोशल मीडिया किस तरह से मानसिक स्थिति के साथ खिलवाड़ कर सकती है।

जीवनशैली से नाखुश हैं लोग

रिपोर्ट के मुताबिक, मनोवैज्ञानिकों ने पाया कि, जिन लड़कियों ने 11 से 13 साल की उम्र के बीच सोशल मीडिया पर अपना समय बढ़ाया, वे एक साल बाद अपने जीवन से कम संतुष्ट थीं। यही प्रवृत्ति 14 से 15 साल के लड़कों में भी देखी गई। चैरिटी यंग माइंड्स (Charity Young Minds) के मुताबिक 2017 और 2021 के बीच संदिग्ध मानसिक स्वास्थ्य समस्या वाले पांच से 16 वर्ष की आयु के बच्चों की संख्या में 50% की वृद्धि हुई है। जिससे पता चलता है कि अब हर कक्षा में लगभग पांच बच्चे प्रभावित हैं। आज कल लोग सुन्दर दिखने के नाम पर फ़िल्टर का उपयोग करते हैं। इन फ़िल्टर के माध्यम से कुदरती खूबसूरती को बदलने की कोशिश कर रहे हैं।

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