"चंद्रयान-2 मिशन को लेकर वैज्ञानिक अब भी निश्चिंत हैं कि उन्हें कामयाबी मिलेगी। देश ही नहीं पूरी दुनिया भी इसरो की तरफ टकटकी लगाए है। वैज्ञानिकों का कहना है कि 3 दिन विक्रम की जानकारी के लिहाज से बेहद अहम हैं। हमें सिर्फ दुआएं करनी चाहिए। "
राज एक्सप्रेस। चंद्रयान-2 अभियान में अंतिम चरण पर चूक के बाद इसरो को अपने नए अभियानों की व्यापक समीक्षा करनी होगी। वर्ष 2022 में अंतरिक्ष में मानव मिशन के अभियान पर इसका असर पड़ सकता है और इसमें देरी भी हो सकती है। स्पेस स्टेशन जैसी योजनाओं को लंबे वक्त तक टालना पड़ सकता है। हां आर्बिट से जुड़े अभियानों पर इसका असर नहीं पड़ेगा। अब आगे जिन अभियानों में नए क्षेत्र में जा रहे हैं वहां फूंक-फूंक कर कदम बढ़ाने होंगे चंद्रयान-2 पर लैंडिंग भी एकदम नई कोशिश थी, क्योंकि यह कार्य इसरो ने पहले नहीं किया था। ग्रहीय मिशन का यह तीसरा अहम पड़ाव था।
पहले दो पड़ाव में एक उपग्रह भेजना और दूसरा उसे आर्बिट में स्थापित करना है जिसमें इसरो पहले भी सफल रहा। इस बार भी आर्बिटर ठीक काम कर रहा है। चंद्रयान-2 की सफलता अंतर्राष्ट्रीय स्तर में मानव मिशन, अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना और चांद पर इंसान भेजने की योजनाओं की बुनियाद भी बनती। क्योंकि किसी ग्रह पर लैंडिंग अपने आप में एक बड़ी क्षमता हासिल करना होता। हालांकि, अभी ऐसा नहीं हो पाया है। रूस से भारत ने लैंडर के लिए समझौता किया था, लेकिन 2012-13 के दौरान रूस इससे मुकर गया। रूस के कई लैंडर चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतर चुके हैं इसलिए यदि रूस ने मदद की होती तो शायद अभियान आज सफल होता।
लेकिन रूस ने तब अपने मंगल अभियान के बाद आर्थिक संकट का बहाना कर लैंडर देने से मना कर दिया। फिर, इसरो ने खुद ही लैंडर विकसित किया। इस पूरे मिशन की अहम कड़ी ही लैंडर था। इसरो मुख्यालय में PM मोदी ने वैज्ञानिकों का उत्साहवर्धन किया। चांद के सफर को आगे भी जारी रखने के संकेत दिए, लेकिन चंद्रयान-3 को लेकर आधिकारिक घोषणा नहीं की। माना जा रहा है कि पूरे अभियान की समीक्षा के बाद भावी संभावनाएं तलाशी जाएंगी। उसके बाद ही चंद्रयान-3 की रूपरेखा तैयार होगी। इसरो अपने अभियान से पूर्व फेल अभियानों की स्टडी करता है। चंद्रयान-1 के प्रक्षेपण से पूर्व दुनिया के फेल अभियानों की समीक्षा की गई थी ताकि संभावित चूकों को पहले ही रोकने के उपाय किए जा सकें।
यही प्रकिया मंगलयान के वक्त भी अपनाई गई। इस अभियान से पूर्व भी चीन, रूस और अमेरिका के आरंभिक फेल अभियानों का अध्ययन हुआ था। यह अलग बात है कि चूक फिर भी हो गई। विशेषज्ञों के अनुसार संभवत: लैंडर में यांत्रिक खराबी के कारण इसरो का लैंडर से संपर्क टूटा। इसका नतीजा यह हुआ कि, लैंडर पर से इसरो का नियंत्रण खत्म हो गया। अब अनियंत्रित लैंडर चांद पर गिरा या अंतरिक्ष में चक्कर काट रहा है, अभी पता नहीं। वैज्ञानिकों को यह उम्मीद है कि, तीन दिन बाद ऑर्बिटर उसी जगह पर पहुंचेगा, जहां विक्रम से आखिरी बार संपर्क हुआ था। वैज्ञानिकों की इस खबर पर पूरे देश की निगाह है। उमीद करनी चाहिए कि सब ठीक हो।
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