एनसीआर की सीमाओं पर आवाजाही प्रभावित, नौकरीपेशा लोगों की बड़ी मुश्किल

कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ आंदोलनकारी सयुंक्त किसान मोर्चा ने वार्ता का प्रस्ताव देकर भले ही फिर से सरकार के पाले में गेंद डाल दी, लेकिन सशर्त वार्ता की पेशकश से मामला बिगड़ गया है।
एनसीआर की सीमाओं पर आवाजाही प्रभावित
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नए कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ एक माह से ज्यादा समय से आंदोलनकारी सयुंक्त किसान मोर्चा ने वार्ता का प्रस्ताव देकर भले ही फिर से सरकार के पाले में गेंद डाल दी, लेकिन सशर्त वार्ता की पेशकश से मामला बिगड़ गया है। सयुंक्त किसान मोर्चा ने सरकार को 29 दिसंबर को 11 बजे बातचीत का प्रस्ताव भेजा है। सरकार बातचीत चाहती है, सो हामी भी भरेगी। फिर सभी वार्ता की मेज पर जुटेंगे। आंदोलकारियों का चार एजेंडा है। नए कानूनों की वापसी की प्रक्रिया, न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की प्रक्रिया, पराली व बिजली 2020 अधिनियम में राहत पर चर्चा। पराली और बिजली 2020 पर तो सरकार पहले ही नरमी के संकेत दे चुकी है। तीन कानूनों की वापसी का सवाल नहीं। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकार लिखित गारंटी को भी तैयार है। अब तर्क और दलीलों पर स्थिति निर्भर करेगी। ऐसे में डॉयलॉग से फिर डेडलॉक का अंदेशा पूरी तरह से बरकरार है।

सयुंक्त किसान मोर्चा ने वार्ता की ‘डेडलाइन’ महज 24 घंटे रखी है। 29 दिसंबर को बातचीत और 30 दिसंबर को कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) हाई-वे पर ट्रैक्टर-ट्रॉली जाम का एलान। वार्ता और विरोध की साथ-साथ घोषणा से मंशा साफ है। डेडलॉक से डॉयलॉग के लिए कड़वाहट दूर लेकिन हल की पहल में खटास बरकरार। दिल्ली में इस आंदोलन को महीना भर हो चुका है। पांच दौर की बातचीत और अमित शाह के साथ चर्चा से जिन मुद्दों पर सहमति नहीं बनी, उन पर महज 24 घंटे में अब एक दौर की बातचीत से नतीजे की उम्मीद बेमानी है। किसान नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर दुष्प्रचार का आरोप मढ़ा। सियासी विरोध के आरोपों को खारिज किया। ‘डेडलाइन’ दबाव की रणनीति का हिस्सा नहीं। तीन दिन टोल फ्री अभियान में किसानों जमावड़ा बढ़ता जा रहा है। सिंघुटिकरी बॉर्डर से शाहजहांपुर-राजस्थान मार्ग पर हजारों किसान जुटे हैं। एक निजी कंपनी के मोबाइल टॉवर के बिजली कनेक्शन काटे जा रहे हैं। कनेक्टिविटी प्रभावित हो रही है। राजस्थान हाईवे पर किसानों के इसी जमावड़े के बीच रालोपा के हनुमान बेनीवाल ने एनडीए से नाता तोड़ लिया है।

किसानों ने दिल्ली-एनसीआरवासियों को नया साल सेलिब्रेट करने का न्योता दिया है। दूसरी ओर 30 दिसंबर से केएमपी हाईवे जाम का अल्टीमेटम भी। एक माह से एनसीआर की सीमाओं पर आवाजाही प्रभावित है। नौकरीपेशा जूझ रहे हैं। हरियाणा, राजस्थान, यूपी की सीमाएं जाम हैं। ऐसे में यदि वार्ता खुले मन से नहीं की जाती, तो मुसीबत बढ़ेगी। लोगों ने लॉकडाउन और कोरोना संकट के चलते पहले ही बंद झेला है। आंदोलन के चलते फिर रेलगाडिय़ां बेपटरी हैं। आर्थिक मोर्चे पर चुनौतियां हैं। आंकड़े रोजाना के नुकसान दर्शा रहे हैं। ऐसे में किसान संगठनों के साथ-साथ सरकार से उम्मीद की जानी चाहिए कि दोनों थोड़ी नरमी बरतें।

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