Karnataka Election 2023
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Karnataka Election 2023: पूर्व सीएम के घर पथराव से पार्टियों की रणनीति तक, जानिए इस हफ्ते की सभी बड़ी खबरें

Karnataka Election 2023: जानिए कर्नाटक चुनाव से जुड़ी हुई हफ्ते भर की सभी बड़ी खबरों के बारे में। जानें कैसे भाजपा कर रही कर्नाटक के OBC वर्ग को लुभाने का प्रयास।
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राज एक्सप्रेस। कर्नाटक के चुनाव अब बस एक महीने ही दूर है, जिसके लिए कर्नाटक की सभी बड़ी छोटी पार्टियां अपने क्षेत्रों में समर्थन जुटाने में लगी हुई है। कांग्रेस और भाजपा कर्नाटक दो सबसे बड़ी पार्टियां है और दोनो ही पार्टियां आपस में आरोप प्रत्यारोप कर जनता के मन के भीतर खुद को श्रेष्ठ साबित करने में लगी हुई है। चलिए जानते है कर्नाटक चुनाव से जुड़ी कुछ अहम और जरूरी खबरों को।

भाजपा के चुनावी प्रचार में तेलंगाना के नेताओ की एंट्री

कर्नाटक में वर्तमान में चल रहे चुनावी प्रचार में अब भाजपा तेलंगाना के 30 बड़े नेता शामिल किए जाएंगे जिसका नेतृत्व भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और कर्नाटक सह प्रभारी डी. के अरुणा करेंगी। बता दें कि, भाजपा तेलंगाना के प्रदेशाध्यक्ष बंदी संजय पहले से कर्नाटक में चुनाव प्रचार कर रहे है। बताया जा रहा है कि भाजपा राहुल गांधी के संसद द्वारा निष्कासित और गुजरात हाईकोर्ट द्वारा राहुल को दोषी करार दिए जाने के मुद्दे को कर्नाटक के अपने चुनावी प्रचार में उपयोग करेगी। गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को भाजपा की कोर कमिटी की मीटिंग भी की थी जिसमे उन्होंने आगामी चुनाव रणनीति और प्रबंधन पर चर्चा भी की।

OBC वर्ग को अपनी तरफ लाने का बड़ा प्लान

भाजपा, राहुल गांधी द्वारा दिए गए 2019 के बयान को भुनाने में जुट गई है। भाजपा OBC मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्य सभा सांसद के लक्ष्मण 29 मार्च को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा से मिलने के बाद कर्नाटक के OBC बहुल इलाकों में कांग्रेस और राहुल गांधी के खिलाफ गांव-गांव चलो, घर-घर चलो अभियान की शुरुआत करेंगे। इस अभियान में भाजपा के कार्यकर्ता घर–घर जाकर एक करोड़ से ज्यादा लोगों को बताएंगे कि कैसे राहुल गांधी और कांग्रेस ने कभी OBC वर्ग का सम्मान नहीं किया। यह अभियान 6 अप्रैल से 16 अप्रैल तक चलाया जाएगा। राहुल गांधी को गुजरात कोर्ट द्वारा 2019 के लोक सभा चुनाव प्रचार के दौरान बोले गए बयान पर गुजरात कोर्ट ने दोषी करार दिया था जिसके बाद संसद से उनकी सदस्यता खत्म कर दी गई थी।

कांग्रेस के बाघी विधायकों की घर वापसी

वर्तमान कर्नाटक मुख्यमंत्री बोम्मई के विधानसभा क्षेत्र से पूर्व बड़े सांसद मंजूनाथ कुन्नुरु (Manjunath Kunnur) कांग्रेस में शामिल हुए। मंजूनाथ कुन्नुरु 1989 और 1994 के विधानसभा चुनावों में शिगावी से दो बार विधायक चुने गए थे। मंजूनाथ मुन्नुरु 2004 में धारवाड़ से बीजेपी सांसद भी रह चुके हैं। बीजेपी में होने के कारण पंचमसालियों का एक के बाद एक कांग्रेस में शामिल होना बीजेपी के लिए एक स्पष्ट झटका है। बेंगलुरु के के.पी.सी.सी (KPCC) कार्यालय में सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार की उपस्थिति में मंजूनाथ कुन्नुरु आज कांग्रेस में शामिल होंगे। कर्नाटक विधानसभा चुनावों से पहले, कांग्रेस KPCC के गढ़ों में अपनी स्थिति धीमे–धीमे मजबूत कर रही है।

दूसरी तरफ वर्तमान में बेल्लारी से भाजपा विधायक एन.वाई गोपालकृष्णा की भी कांग्रेस में वापसी खबरे सामने आ रही है। गोपालकृष्णा ने 2018 में कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामा था। गोपालकृष्ण मोलकलमुरु, बेल्लारी और कुदलगी विधानसभा क्षेत्र से 6 बार विधायक चुने जा चुके है। उन्होंने बीते दिन कांग्रेस के नेताओ से दोद्दाबल्लापुर में एक आयोजन के दौरान मुलाकात की। बताया जा रहा है कि वह आचार संहिता लगने के बाद कांग्रेस में शामिल होने वाले हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस येदियुरप्पा के घर पत्थरबाज़ी

कर्नाटक की बंजारा समुदाय ने कल शाम शिकारीपुरा पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता बी.एस येदियुरप्पा के घर में पत्थरबाज़ी की। राज्य सरकार द्वारा अनुसूचित जनजातियों को आंतरिक आरक्षण देने की वजह से बंजारा समुदाय विरोध प्रदर्शन कर रहा है। पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज किया गया जिसमे कुछ लोगों को गंभीर चोटे भी लगी है और इलाके में धारा 144 को लगाई गई है।

कर्नाटक की भाजपा सरकार द्वारा 24 मार्च को एक कैबिनेट बैठक के बाद लगभग 101 जातियों के लिए 17 प्रतिशत SC कोटे में आंतरिक आरक्षण की घोषणा की। SC वाम वर्ग, जिसमें मदिगास सहित 29 समुदाय शामिल हैं, को कोटा का 6 प्रतिशत प्रदान किया गया। अनुसूचित जाति अधिकार श्रेणी, जिसमें होलीयास जैसे लगभग 25 समुदाय हैं, को कोटा का 5.5 प्रतिशत प्राप्त हुआ जबकि बंजारा और भोविस जैसे अस्पृश्य समुदायों को 4.5 प्रतिशत और अन्य अनुसूचित जाति समुदायों को शेष 1 प्रतिशत मिला। सरकार के इस निर्णय से बहुत से स्पर्श करने के योग्य समुदाय ना नाखुश हो गए क्योंकि आरक्षण पूल में उनकी हिस्सेदारी 4.5 प्रतिशत तक सीमित थी।

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