राज एक्सप्रेस: 15 अगस्त सन 1947 देश को आजादी मिली और उस आजादी का श्रेय देश के संघर्षी युवा क्रांतिकारियों को भी जाता है, जिन्होंने अपनी जवानी कुर्बान करते हुए देश के लिए सच्ची निष्ठा से संघर्ष किया एवं अपनी आने वाली पीढ़ी को आजाद भारत में सांस लेने की स्वतंत्रता देकर गए।
लेकिन आज की पीढ़ी न ही किसी के दबाव में हैं और न ही कोई उन पर राज करता है, पर उन्हें भी गुलामी की बेड़ियों ने जकड़ रखा है, जी हां जनाब सही सुना आपने गुलामी की बेड़ियां भारत देश के आज के युवा इंटरनेट के गुलाम बन चुके हैं। युवाओं की खेलों में रुचि घटती जा रही। वह इंटरनेट में रुचि बढ़ती जा रही है, हां देश डिजिटल तो हो रहा है जिसका असर देश के विकास में भी दिख रहा है परंतु हम कहीं अपनी सभ्यता संस्कृति से दूर ना हो जाए इस डिजिटलाइजेशन के कारण खेलकूद से ज्यादा आज के युवा टी.वी., कंप्यूटर और मोबाइल में गेम खेलना पसंद करते हैं।
भारत के खेलों में प्रदर्शन की बात करें तो विश्व में दूसरे नंबर की सर्वाधिक जनसंख्या वाला भारत देश विश्व के कई खेलों में अभी भी पिछड़ा है फुटबॉल जैसे खेलों में भारत अभी तक कोई छवि भी नहीं बना पाया है। जब बात करें ओलंपिक खेलों की तो हमारे देश के मेहनती युवा संघर्ष करते हैं, मेहनत करते हैं, जी जान से पसीना लगाते हैं तब जाकर कर मेडल हासिल कर पाते हैं।
युवाओं की देश में कमी नहीं है हम विश्व में सबसे बड़ी युवा शक्ति हैं तो क्या हमें हर खेल में अव्वल नहीं आना चाहिए? क्या है कारण जिससे हमारे देश के युवा सर्वाधिक युवा-शक्ति होने के बाद भी हम विश्व में प्रथम स्थान पर नहीं आ पा रहे हैं, इसका एक ही कारण हैं कि देश का हर नौजवान कहीं ना कहीं अपने आजादी के महत्व को भूलते हुए इंटरनेट की बेड़ियों में जकड़ता जा रहा है।
हमें इन बेड़ियों को तोड़ना होगा एवं इंटरनेट की वर्चुअल जिंदगी से बाहर आना होगा फेसबुक पर लोगों के कितने दोस्त हैं, पर असल जिंदगी में जो दोस्त होते हैं वही वक्त आने पर आपके काम आते हैं। जिन्होंने आजादी के लिए अपनी जवानी कुर्बान कर दी थी, हम उनकी तरह तो नहीं बन सकते पर क्या हम अपने देश के लिए कुछ नहीं कर सकते?
सोशल मीडिया साइट फेसबुक के अनुसार उसके सर्वाधिक यूज़र भारत देश में ही उपलब्ध हैं अगर हमारे देश के युवा जितना समय सोशल मीडिया और इंटरनेट पर बिताते हैं अगर उसका आधा समय भी वह किसी खेल में दें तो शायद परिणाम बहुत बेहतर हो सकते हैं और जो हमारे देश की विश्व पटल पर साख है वह भी बढ़ सकती है जरूरत है हमें इस इंटरनेट की बेड़ियों से बाहर निकलने की और साथ ही अपनी संस्कृति सभ्यता से दूर हो चुके युवाओं को अपने साथ जोड़ने की आजादी का मूल्य बड़ा अनमोल है।
इंटरनेट देश के विकास के लिए बहुत जरूरी भी है, पर इसका सही दिशा में सीमित उपयोग ही हमें सफलता के द्वार तक पहुंचा सकता है। अगर हम इंटरनेट के माध्यम से कोई नयी कला सीखते हैं या अपनी बात को अपने विचारों को दुनिया के सामने प्रकट करते है तो इंटरनेट के माध्यम से हम कुछ ही पल में कर सकते हैं।
हमें इस बात का भी ख्याल रखना होगा कि हमारे विचार सिर्फ इंटरनेट तक ही न रह जाये असल जिंदगी में भी देश प्रेम का भाव जीवित रहे और देश प्रेम की बात भी फेसबुक आईडी तक ही सीमित न रहे।
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