चैन से सोना है तो जाग जाओ

सत्ता में बने रहने के लिए जनता को मुफ्त की सुविधाएं देने का वादा करने वाले राजनीतिक दल क्या देश के शीर्ष अधिकारियों की चिंता के बाद कुछ सबक सीखेंगी।
चैन से सोना है तो जाग जाओ
चैन से सोना है तो जाग जाओSyed Dabeer Hussain - RE
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राज एक्सप्रेस। सत्ता में बने रहने के लिए या सत्ता में आने के लिए सभी राजनीतिक दलों द्वारा जनता को मुफ्त की योजनाओं का लालच देकर सत्ता में आना, यह सत्ता में बने रहने की आदत को बहुत ही चिंताजनक बताते हुए देश के शीर्ष अधिकारियों ने इसको लेकर प्रधानमंत्री को आगाह किया है। इन सभी अधिकारियों ने अपनी चिंता से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को अवगत कराया। चार घंटे तक चली मैराथन मीटिंग (Marathon Meeting) में सभी शीर्ष अधिकारियों ने प्रधानमंत्री को यह बताया कि अगर देश में ऐसे ही मुफ्त देने का चलन चलता रहा तो देश एक दिन श्रीलंका की तरह तबाह हो सकता है और इन सभी अधिकारियों ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि इसके ऊपर गंभीरता से ध्यान देते हुए इन सभी स्कीमों को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाया जाना चाहिए।

परंतु क्या यह संभव है, क्योंकि उन्होंने जिनके सामने अपनी चिंता जाहिर की वह खुद अनेकों मुफ्त की योजनाएं देकर सत्ता में बने हुए है। साथ ही लगभग सभी प्रदेश की सरकारें यह कार्य कर रही है, बिना यह देखें या जानते हुए भी कि उनकी आर्थिक स्थिति बहुत बुरी है, वह कर्ज पर कर्ज लेकर सत्ता सुख भोगने के लिए जनता को लोक लुभावने मुफ्त की चीजें दे रहे हैं परंतु यह आने वाले वक्त में पूरे देश के लिए बहुत ही घातक सिद्ध हो सकता है। कुछ योजनाएं आवश्यक होती हैं, उनका दायरा भी निर्धारित होता है, लाभार्थी भी चिन्हित रहते हैं, परंतु सार्वजनिक रूप से सबको लाभ देकर सत्ता में रहने की कोशिश करना और सबको लाभ देकर राज्य या देश को नुकसान पहुंचाना एक बड़ा अपराध माना जाना चाहिए।

कमोबेश ऐसे योजनाओं की शुरुआत मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) के समय किसानों की कर्ज माफी देकर शुरू की गई, उसके बाद कांग्रेस सरकार की केंद्र में वापसी होती है और केंद्र सरकार के इस सफल प्रयोग को देखते हुए उस समय के सभी राज्यों ने किसान कर्ज माफी योजना शुरू की और आज देश में सबसे बड़ी सरकारी खजाने से किस योजना में खर्च होती है तो वह है किसानों की कर्ज माफी की योजना।

केंद्र सरकार जहां किसान सम्मान निधि के तहत किसानों को मुफ्त पैसे उपलब्ध कराती है, वही भिन्न-भिन्न राज्य सरकारें भी अलग-अलग योजनाओं से उन्हें लाभान्वित कर सत्ता में बने रहने का प्रयास करती रहती है। मुफ्त की योजनाओं को एक कदम और आगे लेकर आम आदमी पार्टी की सरकार दिल्ली में आई, उन्होंने बहुत सारी सुविधाएं मुफ्त करने की घोषणा करने के बाद सत्ता में काबिज हुए और अब ऐसे ही घोषणा करने के बाद पंजाब में भी वापस आए हैं। जनता यह नहीं चाहती परंतु उनको मुफ्त में देने की लालच देकर अपने तरफ चुकाने का प्रयास पार्टियां करती हैं और जनता भी इस लालच में आकर उन्हें जीत दिलाती है, परंतु यह सभी लोग देश के साथ बहुत बड़ा गद्दारी कर रहे हैं, क्योंकि सरकार अगर ऐसे ही योजनाएं लाती रहे तो उस देश पर आर्थिक संकट आना लाजमी है।

देश जहां महंगाई की मार से जूझ रहा है आम जनता महंगाई से त्रस्त है इन परिस्थितियों में सरकारों का ध्यान महंगाई नियंत्रण से हटके मुफ्त की योजनाओं पर ज्यादा केंद्रित होती जा रही है।

एक समय में अमेरिका के एक राष्ट्रपति ने कहा था की या तो देश की तरक्की कर लो या महंगाई रोक लो तो पूरी संसद ने डिसीजन लिया था की तरक्की से ज्यादा महत्वपूर्ण महंगाई रोकना है और आज भी अमेरिका के केंद्रीय बैंक का यह प्रयास रहता है कि वह देश की वृद्धि से ज्यादा महंगाई रोकने पर ध्यान देती है। इसीलिए इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए देश के शीर्ष नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री का ध्यान इस तरफ दिलाया और बताया कि इसे अगर यथाशीघ्र नहीं रोका गया तो देश की स्थिति श्रीलंका, यूनान और पेरू जैसी हो सकती है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि फ्री की योजनाओं में संतुलन लाने की जरूरत है।

इस कड़ी में जिन राज्यों की आर्थिक स्थिति सबसे बेहाल हैं उनकी भी जानकारी प्रधानमंत्री को दी और साथ ही यह भी कहा कि अगर यह राज्य अगर भारत के हिस्सा नहीं होते तो शायद ये अभी तक कंगाल हो चुके होते। इन राज्यों की श्रेणी में पंजाब, दिल्ली, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और बंगाल जैसे राज्य सबसे ऊपर है और अगर इन राज्यों ने अपने मुफ्त की योजनाएं लंबे समय तक चलाई तो उनका कंगाल होना निश्चित है। साथ ही इन नौकरशाहों ने कुछ राज्यों में पुरानी पेंशन व्यवस्था के बहाल होने, मुफ्त बिजली देने, मुफ्त एलपीजी सिलेंडर देने जैसी तमाम योजनाओं के ऊपर ध्यान केंद्रित कर कहा इन सभी का समाधान निकालना जरूरी है, क्योंकि अधिकतर राज्यों के पास कर संग्रहण का मुख्य स्रोत जीएसटी है और इसके अलावा उनके पास कोई दूसरा स्रोत नहीं है, जिसके कारण राज्य पेट्रोल पर लगातार कर बढ़ाते जा रहे हैं जिसका नतीजा महंगाई बढ़ना और आम जनता की परेशानी के रूप में सामने आ रहा है।

मीटिंग में नौकरशाहों ने मोदी को इसका हल निकालने का आग्रह किया और कहा कि आपका अनुभव राज्य और केंद्र दोनों में है अतः आप राज्यों से संवाद कर इसका हल निकाल सकते हैं, क्योंकि हमारे दो पड़ोसी देशों की स्थिति बहुत ही खराब हो गई है। यह पाकिस्तान और श्रीलंका है परंतु श्रीलंका की स्थिति तो बहुत ही ज्यादा खराब हो गई है।

अतः केंद्र की मोदी सरकार को उसने कल नौकरशाहों की सालाह को मानते हुए इसका हल यथाशीघ्र निकालना चाहिए वरना वह वक्त दूर नहीं जब हम भी आर्थिक बदहाली के शिकार हो। इसीलिए हमें समय रहते जगना होगा और इन सभी योजनाओं को रोकने का कदम उठाना होगा क्योंकि अगर भविष्य में हमें चैन से सोना है तो हमें अभी जागना पड़ेगा।

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