राज एक्सप्रेस। आम बजट में किए गए ऐलानों का असर आने वाले दिनों में भले अर्थव्यवस्था को कुछ रफ्तार देने के तौर पर देखा जा सकता है, लेकिन रोजगार के मोर्चे पर कई लोगों को निराशा है। सरकार कह रही है कि रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, मगर कैसे, यह देखने वाला होगा। आम बजट में किए गए ऐलानों का असर आने वाले दिनों में भले अर्थव्यवस्था को कुछ रफ्तार देने के तौर पर देखा जा सकता है, लेकिन फिलहाल तो उम्मीदों को बड़ा झटका लगा है। सबसे ज्यादा निराशा ऑटो मोबाइल इंडस्ट्री को हुई है। कहा जा रहा है कि यह वो बजट नहीं था जिसकी उन्हें उम्मीद थी। बजट से उम्मीद की जा रही थी कि, सरकार कुछ सीधे फायदे इंडस्ट्री को देगी जिससे मांग बढ़ेगी और इंडस्ट्री मौजूदा मंदी के दौर से उबर पाएगी लेकिन बजट भाषण से सारी बातें नदारद रहीं। अभी केंद्र सरकार ने खर्च में अगले वित्त वर्ष में 13 फीसदी इजाफे का ऐलान किया है। उनके मुताबिक खर्च मौजूदा आर्थिक हालात के हिसाब से अच्छा स्टिमुलस नहीं कहा जा सकता है। सरकार को आने वाले दिनों में ऐलानों पर और सफाई देने से हालात कुछ बदल सकते हैं।
बहरहाल, बजट से ज्यादा उम्मीदें अब नहीं करनी चाहिए। सरकार ने पिछले कई सालों में बजट से बाद भी तमाम बड़े ऐलान किए हैं जिनका अर्थव्यवस्था पर प्रभाव देखने को मिला है। इस बार बजट से तमाम स्टिमुलस पैकेज को लेकर उम्मीदें लगी हुई थीं, जिनको निश्चित तौर पर झटका लगा है। देश मे इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र के खर्च से जुड़ी बड़ी घोषणा का ऐलान न होना भी चिंताजनक रहा। हालांकि, सरकार ने भारतनेट के लिए जो ऐलान किए हैं वो देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को फायदा पहुंचाएगा। डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में सरकार की तरफ से और निवेश की जरूरत है। मेक इन इंडिया के जरिए उत्पादन करने से देश को असली फायदा होगा। असेंबलिंग यूनिटें लगाने से मेक इन इंडिया की तुलना में कम मुनाफा होगा। अगर रोजगार की बात करें तो केंद्र सरकार ने युवाओं के कौशल विकास के लिए करीब तीन हजार करोड़ रुपए खर्च करने की घोषणा की है। लेकिन खुद युवाओं का कहना है कि सरकार ने बजट में रोजागार को लेकर प्रावधान नहीं किया गया है। भले ही सरकार शिक्षा और कौशल विकास को बढ़ावा दे रही है। पर रोजगार सृजन को लेकर भी सरकार को बजट में प्रावधान करना चाहिए था।
आखिर पढ़ाई पूरी करने के बाद युवाओं को एक बेहतर नौकरी की तलाश होती है और रोजगार उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी सरकार की बनती है। आज देश में बड़ी संख्या में ऐसे युवा हैं, जिन्होंने आईटीआई, पॉलटेक्निक और अन्य कौशल विकास केंद्रों से प्रशिक्षण लिया है पर, कुछ फीसद ही युवाओं को ही बेहतर नौकरी मिली है। केंद्र और कई राज्य सरकार भी कौशल विकास के कार्यक्रम चला रहे हैं, लेकिन बीते कुछ महीने में देश में बेरोजगारी बढ़ी है। अगर प्रशिक्षण लेने के बाद भी नौकरी नहीं मिलेगी तो देश का युवा तकनीकि शिक्षा या फिर उच्च शिक्षा लेकर क्या करेगा? केंद्र सरकार को इस बारे में सोचना ही पड़ेगा। वैसे, सरकार कह रही है कि बजट के ऐलानों से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, मगर कैसे, यह देखने वाला होगा। हो सकता है कि जादू असर कर जाए।
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