महाराष्ट्र के नाथ बने एकनाथ शिंदे
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महाराष्ट्र के नाथ बने एकनाथ शिंदे : शिव सैनिकों की सरकार, बेदखल ठाकरे परिवार

बाला साहब ठाकरे और आनंद दिघे का नाम लेकर सरकार चलाने की शुरुआत करने वाले एकनाथ शिंदे ने कभी सोचा नहीं होगा की ऑटो चलाते चलाते वह एक दिन महाराष्ट्र की सरकार भी चलाएंगे।
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राज एक्सप्रेस। बाला साहब ठाकरे और आनंद दिघे का नाम लेकर सरकार चलाने की शुरुआत करने वाले एकनाथ शिंदे ने कभी सोचा नहीं होगा की ऑटो चलाते चलाते उनकी सियासत इतनी मजबूत हो जाएगी कि वह एक दिन महाराष्ट्र की सरकार भी चलाएंगे। यह सब किस्मत और जोड़ तोड़ का खेल है, परंतु बीजेपी ने सभी राजनीतिक विश्लेषकों के अनुमान को गलत साबित करते हुए ऐसा निर्णय लिया जिसकी कल्पना तक किसी ने नहीं की थी कि देवेंद्र फडणवीस जो कि निश्चित रूप से मुख्यमंत्री माने जा रहे थे बीजेपी ने उनको मुख्यमंत्री ना बनाते हुए एकनाथ शिंदे के नाम की घोषणा कर सबको चौंका दिया। परंतु यह राजनीति की चौसर की ऐसी भी चाल है जिसको समझना नामुमकिन है।

बीजेपी को अनुमान था की अगर देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बनते हैं तो शिवसेना उनका विरोध करेगी और राज्य में प्रदर्शन होंगे, परंतु उन्होंने एक शिवसैनिक को ही मुख्यमंत्री बना कर शिवसेना के सामने शिवसेना को खड़ा कर दिया। यह बहुत ही चपलता से लिया गया निर्णय है। कभी किसी ने सोचा नहीं होगा की महाराष्ट्र की राजनीति में एक समय शिवसेना के सामने शिवसेना खड़ी होगी और ठाकरे परिवार जो कि शिवसेना की संरक्षक की भूमिका में हमेशा रही हैं उनको उनकी ही पार्टी से अलग थलग कर दिया जाएगा और शिवसेना पर एक साथ उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे दोनों दावा करेंगे। अब देखना दिलचस्प होगा की शिवसेना में किसका पलड़ा भारी पड़ेगा और कौन सी शिवसेना ज्यादा ताकतवर होगी।

परंतु बीजेपी की नजर मुख्य रूप से मुंबई मुंसिपल कॉरपोरेशन पर है जिसका सालाना बजट लगभग 50,000 करोड़ का है और यह भारत के बहुत से छोटे राज्यों की जीडीपी से बड़ा आंकड़ा है। जिन 39 विधायकों ने भारतीय जनता पार्टी को समर्थन दिया है जो 10 दिन पहले तक बीजेपी को मुंसिपल चुनाव में हराने की रणनीति बना रहे थे, अब वही उन्हें इसमें जिताने की रणनीति बनाएंगे।

पिछले बीएमसी चुनाव में भारतीय जनता पार्टी शिवसेना से सिर्फ 2 सीटें कम लाई थी और शिवसेना ने उस पर अपना कब्जा किया था, परंतु बीजेपी यह बात भूली नहीं थी और उसने बीएमसी चुनाव के पहले ऐसा दांव खेला जिसमें शिवसेना चारों खाने चित हो गई। अब ऐसा प्रतीत होता है कि भाजपा की मुंबई मुंसिपल कॉरपोरेशन पर जीत सुनिश्चित होगी और यह जीत बीजेपी को शिवसैनिक ही चांदी की थाल में सजा कर देंगे। याद आ रहा है जब 2014 के चुनाव में बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन नहीं बना था और दोनों ने अलग-अलग चुनाव लड़े थे, तब से ही बीजेपी शिवसेना को खत्म कर महाराष्ट्र की नंबर एक पार्टी बनने का प्रयास कर रही थी और उसका यह प्रयास अब सार्थक होता प्रतीत हो रहा है। 2014 चुनाव में नरेंद्र मोदी ने शिवसेना को कमीशन सेना भी कहा था और उसी समय से शिवसेना के पीछे भाजपा पड़ गई और अब अगली बारी शरद पवार की है जो अभी अपनी बेटी सुप्रिया सुले को महाराष्ट्र की राजनीति में स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं। बीजेपी की नजर शिवसेना के बाद अब दूसरी सबसे मजबूत पकड़ रखने वाले शरद पवार की पार्टी पर है।

एकनाथ शिंदे ढाई साल पहले भी मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गए तब बीजेपी का ढाई साल और शिवसेना का मुख्यमंत्री ढाई साल रहेगा यह फैसला हो रहा था परंतु बीजेपी ने मना कर दिया और फिर शरद पवार और कांग्रेस एकनाथ शिंदे के नाम पर तैयार नहीं हुई और उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाया गया, परंतु एकनाथ शिंदे जो शिवसेना के दो नंबर नेता थे उनके अंदर महत्वाकांक्षा तब से जगी थी जो अब पूरी हुई है। एकनाथ शिंदे कुछ दिनों से पार्टी से नाराज चल रहे थे और उद्धव ठाकरे बार-बार उनके ऊपर किसी ना किसी बहाने निशाना बनाते रहते थे और ताबूत में अंतिम कील तब गड़ी जब एकनाथ शिंदे कुछ दिन पहले उद्धव ठाकरे से मिलने गए और उन्होंने उनको एक घंटे तक इंतजार कराया, उसके बाद एकनाथ शिंदे ने बगावत का फैसला किया, सरकार गिराई, पार्टी पर कब्जा किया और उध्दव ठाकरे को शिवसेना के अंदर अपनी ताकत का एहसास कराया। तमाम उठापटक के बावजूद भी उद्धव ठाकरे सरकार नहीं बचा पाए और वो बड़े बेआबरू होकर सत्ता के गलियारे से विदा हो गए।

कल तक जो शिव सेना यह बोल रहीं थी कि बागियों को महाराष्ट्र आना पड़ेगा, मुंबई आना पड़ेगा और जब आएंगे तो उनके साथ क्या होगा वह कोई नहीं जानता। परंतु वक्त ने किया क्या हंसी सितम आज महाराष्ट्र देख रहा है, वह मुंबई आ भी गए हैं परंतु अब सोचने का समय ठाकरे परिवार और उनसे जुड़े उन लोगों का है जिन लोगों ने उनको धमकी दी थी मुंबई आने की और देख लेने की। संभावना है अब एकनाथ ही उनको देखेंगे।

परंतु इन सबके बीच जो सबसे बड़ा खेल और बढ़त बीजेपी ने ली है वह यह है कि इन सभी विधायकों की पकड़ और वोट को एकत्रित कर ले तो भारतीय जनता पार्टी का वोट लगभग 12% बढ़ जाएगा और अगर यह बढ़ता है तो आप समझ सकते हैं की ढाई साल बाद महाराष्ट्र में अगली सरकार किसकी होगी मुख्यमंत्री कौन होगा और शिंदे कहां होंगे। शिंदे भाजापा की राजनीतिक महत्वाकांक्षा के सिर्फ एक मोहरे हैं, इन्हें अपने आप को बचाने के लिए भविष्य में बीजेपी में आना पड़ेगा या फिर बीजेपी से लड़ना भी पड़ सकता है। बीजेपी की नजर वर्तमान सरकार पर कम आनेवाले ढाई साल बाद चुनाव पर ज्यादा है और बीजेपी ने प्लान कर लिया है कि वह अगले चुनाव में पूर्ण बहुमत से आए और पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएं। संभवत यह महाराष्ट्र में पहली बार हुआ है कि कोई मुख्यमंत्री आने वाले वर्षों में उप मुख्यमंत्री भी बना हो देवेंद्र फडणवीस ने घोषणा कर दी थी की वह सरकार में शामिल नहीं होंगे परंतु बीजेपी ने फैसला किया कि वह शामिल होंगे और उनको बिना मन उपमुख्यमंत्री का पद स्वीकार करना पड़ा और अब वह एकनाथ शिंदे के अधीन उनके सहयोगी बन काम करेंगे।

आज भले ही एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के नाथ हैं परंतु जीत बीजेपी की हुई है और बीजेपी ने एक बार फिर अपनी ताकत से सभी सियासी दलों को दिखा दिया है और यह बता दिया है कि बीजेपी की ताकत उनकी सोच से बड़ी हो गई है देश की आर्थिक राजधानी मुंबई जहां से सबसे अधिक चंदा राजनीतिक दलों को जाता है वहां पर अपनी सत्ता सभी पार्टी चाहती है और बीजेपी इसमें सफल हो गई। शिवसेना को जो कमीशन सेना कहा जाता था वह कमीशन और वह चंदा अब कहीं और जाएगा, इस तरीके से कहा जा सकता है कि शिवसेना के सामने शिवसेना को खड़ा कर और ठाकरे परिवार को शिवसेना में ही हाशिए पर लाकर भारतीय जनता पार्टी ने उनको अपनी ताकत का एहसास दिलाते हुए यह भी संदेश दिया है कि वर्तमान में अगर आपको राजनीति में अपने पांव जमाए रखना है तो हमारे साथ रहना पड़ेगा वरना कभी भी पांव तले जमीन खिसक सकती।

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