चीन की सेना एक बार फिर गलवान घाटी के पास भारतीय सीमा के बेहद करीब

पिछले साल मई की तरह इस बार फिर चीन की सेना पूर्वी लद्दाख में एक बार फिर गलवान घाटी के पास भारतीय सीमा के बेहद करीब आ गई है।
चीन की सेना एक बार फिर गलवान घाटी के पास भारतीय सीमा के बेहद करीब
चीन की सेना एक बार फिर गलवान घाटी के पास भारतीय सीमा के बेहद करीबSyed Dabeer Hussain - RE
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चीन की सेना पूर्वी लद्दाख में फिर गलवान घाटी के पास भारतीय सीमा के बेहद करीब आ गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यहां चीन सेना ने अपने क्षेत्र में बंकर बनाए हैं और किलेबंदी की है। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बावजूद भारतीय सेना भी अलर्ट है। सेना चीन की हर गतिविधि पर निगाह रख रही है। चीनी सैनिक अभी अपने इलाकों में ही हैं। लेकिन इसे चीन की सेना की महत्वपूर्ण गतिविधि बताया गया है। गौरतलब है कि गलवान घाटी में पिछले साल मई में ही चीन की सेना इसी तरह आई थी। फिर भारतीय सीमा में घुसने का प्रयास किया था। इसी दौरान जून में भारत और चीन के सैनिकों के बीच टकराव हुआ था। उसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। चीन के 40 से ज्यादा जवान मारे गए थे। हालांकि चीन ने अपने मारे गए सैनिकों की संख्या का खुलासा आधिकारिक रूप से नहीं किया था।

पिछले साल गलवान घाटी में लंबे समय तक चले तनाव को खत्म करने के लिए भारत और चीन की सेनाओं के बीच बातचीत भी शुरू हुई थी। इसमें कूटनयिक और सैन्य स्तर की कई दौर की बातचीत के बाद पैगोंग झील इलाके से दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटी थीं। वहीं हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा इलाके को लेकर भारत की मांग है कि गोगरा, हॉट स्प्रिंग्स और देपसांग के मैदानी इलाकों से चीनी सेना पीछे हट जाए। पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी हिस्से से चीन और भारत ने जब अपने सैनिकों को वापस बुला लिया था तब यह उम्मीद बनी थी कि दोनों देशों के बीच महीनों से चला आ रहा गतिरोध टूटा है और आने वाले दिनों में इसमें और प्रगति दिखाई देगी। इसे भारत की बड़ी कूटनीतिक सफलता के तौर पर भी देखा गया। माना जा रहा था कि चीन अब डेपसांग, हॉट स्प्रिंग और गोगरा से भी अपने सैनिकों को जल्द ही हटा लेगा। मगर इन इलाकों में अभी भी चीनी सैनिक जमे हैं। इसलिए अब सवाल यह है कि चीन कब अपने सैनिकों से यहां से हटाता है। चीनी सैनिकों की वापसी के मुद्दे को लेकर भारत जितना आशान्वित है, उससे कहीं ज्यादा चिंतित भी, क्योंकि जैसे-जैसे समय बीतता जाएगा, बात पुरानी पड़ती जाएगी और चीन वहां डटा रहेगा।

इसमें कोई संदेह नहीं कि सीमा पर शांति के बिना भारत और चीन के रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते। इसीलिए भारत ने चीन से बार-बार यही कहा है कि एलएसी के पास जिन जगहों पर घुसपैठ कर उसने कब्ज़ा जमाया है, उन्हें खाली किया जाए। अपनी तरफ से भारत ने जरूरत से ज्यादा संयम भी दिखाया है। चीन का रुख बता रहा है कि वह स्थिति को उलझाने के फेर में है। चीन का रुख हमेशा से संदेहास्पद रहा है। अपनी बातों से मुकरने की उसकी पुरानी प्रवत्ति है। भारत क्वाड का सदस्य है और अमेरिका भी चीन को चेता चुका है कि जरूरत पडऩे पर वह भारत के साथ खड़ा होगा, ऐसे में बेहतर है कि चीन स्थितियों को समझे।

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