कादर खान
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Forgotten By Bollywood: जिस कादर खान ने अमिताभ बच्चन को बनाया महानायक, उन्ही के योगदान को भुला बॉलीवुड

Forgotten By Bollywood: आइए जानते की कैसे लेखक कादर खान ने अमिताभ बच्चन को बनाया इस सदी का महानायक और गोविंदा को सुपरस्टार।
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राज एक्सप्रेस।

"विजय दीना नाथ चौहान, पूरा नाम, बाप का नाम दीना नाथ चौहान, मां का नाम सुहासिनी चौहान, गांव मांडवा, उमर छत्तीस साल, नौ महिना, आठ दिन और ये सोलहवा घंटा चालू है"

इस डायलॉग को सुनकर आपको सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की याद आएगी जिन्होंने साल 1990 में आई अग्निपथ फिल्म में एंग्री यंग मैन की भूमिका निभाते हुए इस डायलॉग को कहा था। लेकिन भारत में शायद बहुत कम लोग ही है जो ये जानते है कि इस डायलॉग को लिखने वाले और कोई नहीं बल्कि कादर खान थे। जी हां, वहीं कादर खान जिन्हें हम सिर्फ हास्य कलाकार के रूप में जानते है। कादर खान ने भले ही अपनी पहचान एक हास्य कलाकार के तौर पर बनाई है लेकिन हिंदी फिल्म इंडस्ट्री और भारत की जनता ने उनके असल योगदान को भुला दिया। यह तथ्य बहुत कम लोगों को ज्ञात है कि कादर खान एक अभिनेता बाद में पहले वह कहानीकार/डायलॉग लेखक और पटकथा लेखक थे।

जिन फिल्मों ने अमिताभ बच्चन को सदी महानायक बनाया था उनमें से लगभग हर फिल्म में कादर खान का योगदान था लेकिन आज अमिताभ बच्चन सहित बॉलीवुड और आम लोगों ने इस योगदान को या तो भुला दिया या उन्हें जानबूझकर दर किनार कर दिया गया। यह लेख स्वर्गीय कादर खान के उन्हीं काम और मेहनत को बताने के लिए है जिसकी वजह से बॉलीवुड के बड़े सितारों ने शोहरत पाई पर उन्हें सब भूल गए।

पटकथा लेखक के रूप में कादर खान

कादर खान ने अपने लेखन प्रतिभा को आगे बढ़ाते हुए बॉलीवुड में आज कल्ट क्लासिक कही जाने वाली फिल्मों की कहानी लिखी जिसके बारे में ना के बराबर लोगों को पता है। कादर खान ने अपने 40 साल से ज्यादा के बॉलीवुड के करियर में 50 से ज्यादा फिल्मों की कहानी या डायलॉग या पटकथा को लिखा है। कादर खान, 70 और 80 के दशक के बड़े निर्देशक मनमोहन देसाई जिन्होंने बॉलीवुड को कई नायब फिल्मे दी उनके सबसे करीबी पटकथा लेखक बन गए थे। मनमोहन देसाई के अलावा प्रकाश मेहरा और डेविड धवन जैसे बड़े निर्देशक कादर खान के लेखन प्रतिभा से प्रभावित हो कर उनसे ही अपनी फिल्मों की कहानी लिखवाया करते थे।

कादर खान द्वारा लिखी हुई फिल्में बॉलीवुड के बड़े से बड़े कलाकारों के बॉलीवुड करियर की सबसे बड़ी हिट साबित हुई है। कादर खान ने ना ही सिर्फ बॉलीवुड के बड़े सितारे जैसे ’काका’ राजेश खन्ना, जितेंदर, धर्मेंद्र, विनोद खन्ना,शत्रुघ्न सिन्हा जैसे कलाकारों की फिल्मों की कहानी को लिखा लेकिन गोविंदा और अमिताभ बच्चन को सुपरस्टार बनाने के पीछे कादर खान का हाथ सबसे बड़ा था।
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गोविंदा और अमिताभ बच्चन को सुपरस्टार बनाने में बड़ा हाथ

बहुत से लोगों को शायद पता नहीं होगा लेकिन अमिताभ बच्चन की टॉप 20 फिल्मों में से 9–10 ऐसी फिल्मों के डायलॉग्स या उनकी पटकथा कादर खान ने लिखी है। अग्निपथ, नमक हलाल, शराबी, अमर अकबर एंथनी, सत्ते पे सत्ता, मुकद्दर का सिकंदर, कुली, हम, गंगा जमुना सरस्वती, लावारिस, खून पसीना आदि कुछ अमिताभ बच्चन की सुपरहिट फिल्में जिनके या तो पटकथा या डायलॉग कादर खान द्वारा लिखे गए है। यही नहीं उनके द्वारा लिखे गए डायलॉग को परदे पर बोलकर ही अमिताभ ने अपनी एंग्री यंग मैन की ऐसी छवि बनाई थी जिसने उनको इस सदी के महानायक के तौर पर स्थापित किया था।

यही नहीं, जिस डेविड धवन, कादर खान और गोविंदा की तिकड़ी द्वारा लाई गई फिल्मों की तारीफ आज भी लोग करते है उनके डायलॉग और कहानी को लिखने वाले कादर खान ही थे। जिन्होंने उनमें ज्यादातर फिल्मों में अभिनय भी किया था। गोविंदा को सुपरस्टार बनाने में भी कादर खान हाथ सबसे बड़ा है। कादर खान ने गोविंदा की बहुत सी सुपरहिट फिल्मों की कहानी और डायलॉग को लिखा था जैसे की कुली नंबर 1, साजन चले ससुराल, जैसी करनी वैसी भरनी, अनारी नंबर 1, आंटी नंबर 1 आदि। कादर खान द्वारा लिखी गई कॉमेडी मूवीज को लोग आज भी पसंद करते है यहाँ तक की वर्तमान में आ रही कॉमेडी फिल्मों की तुलना कादर खान और डेविड धवन की फिल्मों से कर बोलते है कि एक समय था जब भारत में कॉमेडी फिल्मों का एक स्तर हुआ करता था।

अभिनय से परे कादर खान

कादर खान का जन्म अफगानिस्तान के काबुल में लेखक अब्दुल रहमान खान के घर में हुआ था। एक लेखक के घर जन्म लेने की वजह से उन्हें कहानी लेखन में रुचि आ गई थी। उन्होंने साल 1970 के दशक में अपना पहला नाटक ताश के पत्ते को लिखा था। ताश के पत्ते नाटक के निर्देशक और निर्माता प्रमोद जोशी ने कादर खान की लेखन प्रतिभा को देखकर उन्हें नाटक का अभिनेता, लेखक और निर्देशक बना दिया था। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया था कि वह अभिनय से ज्यादा कहानी और पटकथा लिखने में रुचि रखते है। उन्हें फिल्म की स्क्रिप्ट लिखने का भी ऑफर आया करता था, जिसकी शुरुआत उन्होंने साल 1972 में रणधीर कपूर और जया भादुरी की जवानी दीवानी की स्क्रिप्ट और डायलॉग लिखकर की थी।

कादर खान हिंदी फिल्म जगत के एक ऐसे हीरे थे जिन्होंने अपनी हर प्रकार की काबिलियत और लगन से रंगमंच के जमावड़े को हंसाया और रुलाया भी, लेकिन बॉलीवुड ने उनकी मेहनत को भुलाकर, हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में गाड़ी उनकी विरासत को मिटाने की कोशिश की है। उन्हें इतनी बेहतरीन फिल्में लिखने के बाद भी कोई बड़ा पुरस्कार नहीं दिया गया किसी भी स्तर पर। उन्हें साल 2019 में जाकर एक बड़े पुरुस्कार पद्मा श्री से नावज़ा गया था वो भी मरणोपरांत। उनकी मृत्यु भले ही साल 2018 में हो गई थी और उनके नाम को भले ही बॉलीवुड ने दबाने का प्रयास किया लेकिन जनता का प्यार आज भी उन्ही के द्वारा लिखी और अभिनीत फिल्मों की तरफ ही ज्यादा है।

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