कांग्रेस प्रशांत किशोर की होगी या प्रशांत किशोर कांग्रेस के हो जाएंगे?

प्रशांत किशोर कांग्रेस के लिए जमीन तैयार कर रहे हैं, लेकिन क्या कांग्रेस पीके के बताए रास्ते पर चल पाएगी, पीके कांग्रेस को बनाएंगे या कांग्रेस पीके को अपना बना लेगी?
प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर सोशल मीडिया
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दिल्ली 10 जनपथ पर कांग्रेस की कायाकल्प को लेकर मंथन जारी है। कांग्रेस की डूबती नैय्या को पार लगाने के लिए सोनिया गांधी इस हफ्ते में चार बार प्रशांत किशोर के साथ मीटिंग कर चुकी हैं। कांग्रेस के शीर्ष नेता पार्टी में जान फूंकने के लिए लगातार बैठक कर रहे हैं। बुधवार को सोनिया गांधी के आवास पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के समक्ष प्रशांत किशोर ने अपनी रणनीति प्रस्तुत की है।

पीके पिछले साल भी कर चुके हैं कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से मुलाकात

प्रशांत किशोर का कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के साथ बातचीत का यह दूसरा फेज़ है। इससे पहले किशोर पिछले साल जुलाई में राहुल, प्रियंका और सोनिया गांधी के साथ मुलाकात कर चुके हैं। उस समय की मुलाकात को लेकर पार्टी और किशोर दोनों ने ही आधिकारिक रूप से कोई बयान नहीं दिया था। उस समय भी प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे थे।

इस बात को बल तब मिला जब प्रियंका गांधी ने उत्तरप्रदेश चुनाव के समय प्रशांत किशोर के पार्टी में शामिल नहीं होने के कारणों पर खुलकर बात की। प्रियंका ने उस वक्त कहा था कि, "मैं मानती हूं कि प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने की पूरी संभावना थी, लेकिन किन्हीं कारणों से ऐसा नहीं हो पाया। मुझे लगता है कि इसके पीछे कई वजहें थीं, कुछ उनकी तरफ से रहीं और कुछ हमारी तरफ से मैं इस पर गहराई से नहीं जाना चाहती। मोटे तौर पर कहा जाए तो कुछ मुद्दों पर असहमति थी, जिसकी वजह से चर्चा आगे नहीं बढ़ पाई। अगर उनके कांग्रेस में शामिल होने की संभावना नहीं होती, तो ये चर्चा इतनी आगे तक नहीं चल पाती।"

प्रशांत किशोर के पास है 4 एम वाला फॉर्मूला

अबकी बार प्रशांत किशोर और कांग्रेस पार्टी के बीच बात बन गई है। संभावना जताई जा रही है कि किशोर जल्द ही पार्टी का हाथ थाम लेंगे और कांग्रेस की रुकी हुई गाड़ी में धक्का लगाने का काम करेंगे। रणदीप सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा है कि, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रशांत किशोर से सुझावों पर विचार के लिए एक समिति बनाई थी। इन सुझावों पर पिछले तीन दिनों से मंत्रणा हो रही है। उन्होंने कहा कि, हमें उम्मीद है कि अगले 24 से 48 घंटे में यह मंत्रणा पूरी हो जाएगी।

प्रशांत किशोर के पास 4 एम वाला फॉर्मूला है- मैसेज, मैसेंजर, मशीनरी और मैकेनिक्स यानी संदेश। पीके मानते हैं कि भाजपा को जीत दिलाने के पीछे मूलतः तीन वजहें हैं, हिंदुत्व, उग्र राष्ट्रवाद, जनकल्याणवाद, जिसका मुकाबला किया जाना है, हालांकि इसका स्पष्ट जवाब सार्वजनिक तौर पर नहीं देते हैं। पीके जेपी नड्डा मॉडल के असर की चर्चा भी करते हैं। कहते हैं कि, भाजपा को नरेंद्र मोदी और अमित शाह ही चला रहे हैं लेकिन उन्होंने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को बनाया है। इससे भाजपा के उस बात को मजबूती मिलती है जिसमें वे कहते हैं कि पार्टी के हरेक कार्यकर्ता को शीर्ष में पहुंचने का मौका मिलता है।

फिलहाल बीजेपी कहीं नहीं जाने वाली है: पीके

आज प्रशांत किशोर कांग्रेस के लिए जमीन तैयार कर रहे हैं लेकिन वे इससे पहले राहुल गांधी को नसीहत दे चुके हैं। गोवा चुनाव के समय प्रशांत किशोर ने कहा था कि "बीजेपी भारत की राजनीति से अगले कई दशकों तक कहीं नहीं जाने वाली हैं।" राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा था, "वह इस बात को समझते नहीं है कि फिलहाल बीजेपी कहीं नहीं जाने वाली है। हो सकता है लोग मोदी को हटा दें, लेकिन बीजेपी कहीं नहीं जा रही है।" खैर अब पीके खुद कांग्रेस से जुड़कर आगे की राह तय करने में जुटे हुए हैं।

कांग्रेस मरे हुए घोड़े की तरह: राघव चड्डा

पीके की कांग्रेस के साथ बैठक पर 'आप' राज्यसभा सांसद राघव चड्डा ने तंज कसते हुए कहा है कि "कांग्रेस पार्टी देश को कोई विकल्प नहीं दे सकती। पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी को सिर्फ अरविंद केजरीवाल ही चुनौती दे सकते हैं। कांग्रेस मरे हुए घोड़े की तरह है, मरे हुए घोड़े को कोड़े मारने का कोई मतलब नहीं है।" इसी पर तंज कसते हुए मध्यप्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि, "पीके आए हैं तो लिटा के जाएंगे। कमलनाथ जनता से नहीं सीखे तो अब पीके ही सिखाएंगे।"

पीके और कांग्रेस के इस जुगलबंदी पर सबकी निगाहें हैं। जहां कुछ नेता तंज कस रहे हैं, वहीं कांग्रेस पार्टी इसे नई उम्मीद की तरह देख रही है। कांग्रेस के साथ प्रशांत किशोर जुड़ तो गए हैं, लेकिन कई लोगों के मन में सवाल है कि, क्या कांग्रेस पीके के बताए रास्ते पर चल पाएगी?, पीके कांग्रेस को बनाएंगे या कांग्रेस पीके को अपना बना लेगी?

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