राज एक्सप्रेस। बीते सोमवार लोकसभा में 'नागरिकता संशोधन बिल' (Citizenship Amendment Bill) पेश किया गया था, जो पक्ष-विपक्ष की तीखी नोंक-झोंक के बाद देर रात लोकसभा से पारित हुआ। चूँकि, संसद में यह बिल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश किया गया था तो, विपक्ष उन्हें मुस्लिम धर्म के विरुद्ध बता रहा है अर्थात यह कहना गलत नहीं होगा कि, फिलहाल आमिल शाह विपक्ष की सुई की नोक पर हैं। इतना ही नहीं उन्हें लोग जिन्ना की उपाधि तक दे रहे हैं और इसी के चलते ट्विटर पर #Amit_Shah_is_New_Jinnah हैशटैग काफ़ी ट्रेंड करता नज़र आ रहा है।
क्या है नागरिकता संशोधन बिल :
नागरिकता संशोधन बिल एक तरह का ऐसा बिल होता है, जिसके अनुसार नागरिकता से सम्बन्धित प्रावधानों को भारत के संविधान द्वारा पास किया जाता है। जैसे इस बिल के अनुसार, ऐसे लोगों को भी देश में आकर बसने की आजादी मिलती है, जो दूसरे देश में रहते हो और उनका यहाँ पहले से कोई नहीं रहता हो। इस नए नागरिकता संशोधन बिल के अनुसार, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाली 6 कम्युनिटी जिनमे हिन्दू, बौद्ध, सिख, ईसाई, जैन, तथा पारसी शामिल हैं को देश में आकर बसने की आजादी दी गई है। इसके अलावा अन्य देशों से आने वाले मुसलमानों को भारत में नागरिकता प्राप्त नहीं होगी।
क्यों हो रहा विरोध :
यह बिल जैसे ही बुधवार को राज्यसभा द्वारा पारित हुआ और मुसलमानों को भारत में नागरिकता प्राप्त न होने की बात सामने आई, तब से हर जगह इस बिल का विरोध होना चालू हो गया है यहाँ तक कि, भारत के बहार के देशो में भी इस बिल की निंदा होती नजर आई, अमेरिकी आयोग ने भी इस बिल को एक खतरनाक कदम बताया तो पाकिस्तान ने इसे भेदभावकारी बिल करार दिया। वहीं असम में भी इस बिल को लेकर 'उग्र विरोध प्रदर्शन' हो रहे। इसके अलावा विपक्ष और देश में रहने वाले मुसलमान भी इस बिल को गलत मान रहे हैं। इस बिल को लेकर पूरे देश में बबाल मचा हुआ है, कहीं लोग आग लगा कर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं तो, कहीं सुरक्षा की दृष्टि से 'कर्फ्यू' लगाना पड़ा।
इस बिल का उद्देश्य :
अमित शाह ने इस बिल को पेश करते हुए बिल का उद्देश्य बताया। उन्होंने कहा कि, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश में जो अल्पसंख्यक रहते थे, उनके अधिकारों की सुरक्षा नहीं होती थी, उन्हें वहां पर समानता का अधिकार नहीं मिला था। जो अल्पसंख्यक धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत में आए, उन्हें यहां पर सुविधा नहीं मिली। पाकिस्तान में पहले 20 फीसदी अल्पसंख्यक थे, लेकिन आज 3 फीसदी ही बचे हैं। इस बिल के जरिए हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, ईसाई, पारसी शरणार्थियों को रियायत मिलेगी।
क्या कहा था अमित शाह ने :
हालांकि बिल के पारित होने के बाद अमित शाह ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि, यह बिल किसी भी तरह से संविधान विरोधी नहीं है। बल्कि यह बिल भेदभाव को खत्म करने की दिशा में बढ़ाया हुआ एक कदम है और यह किसी भी तरह से मुस्लिमों के खिलाफ नहीं है। न तो मुस्लिमों को और न ही पूर्वोत्तर में रहने वाले लोगों को इस बिल को लेकर चिंता करने की जरूरत है।
क्यों ट्रेंड कर रहा है #Amit_Shah_is_New_Jinnah :
दरअसल, 'नागरिकता संशोधन बिल' के पारित होने से मुस्लिम समुदाय में काफी गुस्सा भड़का हुआ है। कुछ ऐसे लोग जिन्हें लगता है कि, यह बिल गलत है वो लोग सोशल मीडिया साईट ट्विटर पर अमित शाह के प्रति अपना गुस्सा #Amit_Shah_is_New_Jinnah हैशटैग के साथ पोस्ट करके जाहिर कर रहे हैं। आप यहां देख सकते हैं कुछ ट्वीट्स -
क्यों की जा रही जिन्ना से तुलना :
मोहम्मद अली जिन्ना काफी बहुचर्चित नेता थे, जिन्होंने मुस्लिम कम्युनिटी के लिए एक अलग देश की मांग की थी। उनको पाक में उतना ही सम्मान दिया जाता है, जितना की भारत में महात्मा गाँधी को और जवाहर लाल नेहरू जैसे नेताओं को दिया जाता है। वहीं अब अमित शाह की तुलना जिन्ना से की जा रही है, लेकिन यह समझ पाना थोड़ा मुश्किल है कि, यह तुलना किस संदर्भ में की जा रही है। यदि विरोधकर्ताओं का कहना यह है कि, वो भारत को एक हिन्दु राष्ट्र बनाना चाहते हैं, तो बता दे कि, अमित शाह ने किसी एक कम्युनिटी के लिए अलग देश की मांग नहीं की है, बल्कि इस CAB बिल में कुल 6 कम्युनिटी को भारत में नागरिकता देने की बात की गई है, हालांकि इनमें मुस्लिम कम्युनिटी शामिल नहीं है। साथ ही BJP के नेता और अमित शाह ने यह साफ कर दिया था कि, इस बिल से भारत में रह रहे नागरिकों को कोई खतरा नहीं है। इसके अलावा इस तुलना की क्या वजह हो सकती है, हमे कमेंट करके बताये।
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