सत्ता के मद की हार, अन्नदाता की हुई जीत : कांग्रेस
सत्ता के मद की हार, अन्नदाता की हुई जीत : कांग्रेसSocial Media

सत्ता के मद की हार, अन्नदाता की हुई जीत : कांग्रेस

सरकार के साथ किसान नेताओं की बातचीत के बाद आंदोलन स्थगित होने के ऐलान पर कांग्रेस ने इसे किसानों की जीत और मोदी सरकार की हार करार दिया है।
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नई दिल्ली। सरकार के साथ किसान नेताओं की बातचीत के बाद आंदोलन स्थगित होने के ऐलान पर कांग्रेस ने इसे किसानों की जीत करार दिया और कहा कि इससे साबित हो गया है कि 'जनतंत्र की असली शक्ति जनता में निहित है।' कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला ने गुरुवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में किसानों को बधाई दी और कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर 378 दिनों से सतत संघर्ष कर रहे देश के अन्नदाताओं को आखिरकार जीत मिली है। उन्होंने इसे सरकार की हार बताया लेकिन कहा कि पूंजीपतियों को पूजने वाली सरकार के खिलाफ गरीबों, मजदूरों तथा किसानों का संघर्ष नए तरीकों से जारी रहेगा।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की हार 'जनहित' की जीत है लेकिन यह लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई। किसानों को उपज का केवल 'न्यूनतम समर्थन मूल्य' नहीं बल्कि 'लाभकारी मूल्य' भी दिलाना है। उनका कहना था कि अब 2022 शुरू होने वाला है लेकिन अभी तक किसान की आय दोगुना करने का वादा पूरा नहीं हुआ है और किसान की आय महज 27 रुपए प्रतिदिन है जो मनरेगा की मजदूरी से भी बहुत कम है।

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की रिपोर्ट के अनुसार देश के हर किसान पर औसत 72,000 रुपए का कर्ज है। मोदी सरकार कहती है कि किसान की कर्ज माफी के लिए उसके पास पैसा नहीं है तो फिर पूंजीपति मित्रों के सात साल में 10 लाख करोड़ रुपए कैसे माफ कर दिए।

उन्होंने कहा कि, मोदी सरकार ने किसान को 6,000 रुपए प्रति हेक्टेयर पर हर साल देने की बात की लेकिन यह जुमला साबित हुआ और उसकी जेब से 25,000 रुपए प्रति हेक्टेयर सालाना निकाल लिए। डीजल पर उत्पाद शुल्क कांग्रेस के शासन में 3.56 रुपए प्रति लीटर से बढ़ाकर 21.80 रुपए प्रति लीटर किया गया। खाद पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगाया गया और कीटनाशक दवाई पर 18 प्रतिशत और ट्रैक्टर तथा खेती के उपकरणों पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगाकर किसान के साथ अन्याय किया है फिर भी किसान को न्याय देने की बात की जाती है।

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