चुप्पी भारत की समस्याओं का हल नहीं- सोनिया गांधी के मोदी सरकार पर 5 बड़े वार
दिल्ली, भारत। कांग्रेस नेता और यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी का एक लेख सामने आया है, जिसमें उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार को निशाने पर लेते हुए जोरदार हमले बोलते हुए ताबड़तोड़ वार किए है। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लोकतांत्रिक संस्थाओं को खत्म करने और संसद न चलने देने का आरोप लगाते हुए 5 मुद्दों को लेकर बड़े वार किए।
चुप्पी भारत की समस्याओं को हल नहीं कर सकती :
दरअसल, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी द्वारा 'एक जबरन चुप्पी भारत की समस्याओं को हल नहीं कर सकती' शीर्षक के साथ लेख लिखा गया है, जिसमें सोनिया गांधी ने केंद्र की एजेंसियों का दुरुपयोग, संसद में विपक्ष की आवाज दबाने, मीडिया पर दबाव बनाने, न्यायपालिका की विश्वसनीयता को कमजोर करने के अलावा महंगाई, बेरोजगारी व किसानों के मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए सरकार पर तंज कसा है।
सोनिया गांधी का कहना है कि, ''लोकतंत्र और लोकतांत्रिक उत्तरदायित्व के लिए सरकार का गहरा तिरस्कार परेशान करने वाला है। भारत के लोग जान गए हैं कि प्रधानमंत्री के काम, उनके बारे में बयानों से ज्यादा अच्छे से बताते हैं। विपक्ष पर गुस्सा निकालना हो या फिर आज की खराबी के लिए पिछले नेताओं को दोष देना हो, प्रधानमंत्री के बयान सिवाय दबाव वाले मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए उनकी जुबानी कसरत के कुछ नहीं है। दूसरे और उनके काम, सरकार के असर इरादों के बारे में सब कुछ बता देते हैं।''
पिछले महीनों में हमने प्रधानमंत्री और उनकी सरकार को भारत के लोकतंत्र के तीनों स्तंभों- विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को व्यवस्थित रूप से ध्वस्त करते देखा है। उनके कामों से लोकतंत्र और लोकतांत्रिक जवाबदेही के लिए एक गहरा तिरस्कार दिखता है, जो परेशान करने वाला है।
कांग्रेस नेता सोनिया गांधी
सीबीआई 95% मामले केवल विपक्ष के खिलाफ दर्ज कर रही :
आगे उन्होंने कहा, बीजेपी ने अडानी समेत प्रमुख मुद्दों पर सदन में चर्चा नहीं होने दी और बिजली की तेजी से राहुल गांधी की सदस्यता को खत्म कर दिया गया।
सीबीआई का दुरुपयोग किया जा रहा है और सीबीआई 95% मामले केवल विपक्ष के खिलाफ दर्ज कर रही है। जो लोग भाजपा में शामिल हो गए, उनके खिलाफ केस चमत्कारिक रूप से गायब हो गए। इंटरपोल भगोड़े मेहुल चौकसी के खिलाफ नोटिस वापस ले लेता है। बिलकिस बानो के रेप के दोषियों को छोड़ दिया गया, वह भाजपा के नेताओं के साथ मंच साझा कर रहे हैं।
मीडिया की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया जा रहा है।
पीएम ने बीजेपी और आरएसएस की नफरत और हिंसा के बढ़ते ज्वार को नजरअंदाज किया। चीन पर पीएम की चुप्पी का हम तमाशा देख रहे हैं।
केंद्र सरकार को "दृढ़ विपक्ष" का मुकाबला करने के लिए कई उपायों का सहारा लिया। इनमें भाषणों को हटाना, चर्चा को रोकना, संसद सदस्यों पर हमला करना और आखिर में कांग्रेस के एक सांसद को तेज गति से अयोग्य घोषित करार दे दिया गया।
यह केंद्रीय बजट 2023 को पारित करने के लिए ध्यान भटकाने वाले थे, जिसमें लगभग 45 लाख करोड़ रुपये के खर्च की परिकल्पना की गई थी। नतीजतन, लोगों के पैसे का 45 लाख करोड़ रुपये का बजट बिना किसी बहस के पारित कर दिया गया।
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