शिवसेना प्रमुख और अन्य सदस्य घोषणा पत्र जारी करते हुए
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शिवसेना ने जारी किया महाराष्ट्र चुनाव के लिए घोषणा पत्र

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए शिवसेना ने आज अपना घोषणा पत्र जारी किया है। आरे जंगल और 10 रूपये में भरपेट खाना समेत किये अन्य बड़े वादे।
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राज एक्सप्रेस। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर शिवसेना ने अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है । पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे, उनके बेटे और वर्ली विधानसभा सीट से उम्मीदवार आदित्य ठाकरे, पार्टी की उपनेता प्रियंका चतुर्वेदी ने संयुक्त रूप से पार्टी का घोषणापत्र जारी किया। इसमें मुंबई की आरे कॉलोनी को वन क्षेत्र घोषित कराए जाने, 10 रुपये में भोजन उपलब्ध कराने समेत कई मुद्दों पर बड़े वादे किए गए हैं।

मेनिफेस्टो में बाला साहेब ठाकरे की तस्वीर

आदित्य ठाकरे की अगुवाई में शनिवार को शिवसेना का घोषणा पत्र जारी किया गया। मेनिफेस्टो में बाला साहेब ठाकरे और उद्धव ठाकरे की तस्वीर है। मेनिफेस्टो में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों की शिक्षा के लिए महाविद्यालय, हर जिले में एक महिला बचत घर, कामकाजी महिलाओं के लिए सरकारी हॉस्टल, रोजगार और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों को दुरूस्त करने का वादा किया गया है।

क्या बोले आदित्य

मेनिफेस्टो लॉन्च करने के दौरान आदित्य ठाकरे ने कहा कि हमारा घोषणा पत्र अलग-अलग क्षेत्रों के लिए भी था लेकिन मौजूदा घोषणा पत्र पूरे प्रदेश के लिए है। आरे हमारे मेनिफेस्टो में था, हमने मुंबई और थाने के लिए भी मेनिफेस्टो तैयार किया था। अभी भी आरे को वन क्षेत्र बनाने पर हम अड़े हैं।

आदित्य ठाकरे ने कहा कि हमारा वचननामा (घोषणा पत्र) काफी रिसर्च के बाद तैयार किया गया है। अगले पांच साल में अलग-अलग योजनाओं जैसे कि बिजली बिल घटाने, 10 रुपये में खाना मुहैया कराने पर कितना खर्च आएगा, इस पर भी घोषणा पत्र में जिक्र किया गया है।

आखिर क्यों आया अलग घोषणा पत्र

महाराष्ट्र में शिवसेना, भाजपा के साथ मिल कर चुनाव लड़ रही है, लेकिन घोषणापत्र को लेकर सहमति न बन पाने की वजह से शिवसेना ने अलग घोषणापत्र जारी किया है। सूत्रों के मुताबिक भाजपा-शिवसेना के बीच आरे कॉलोनी और नाणार रिफाइनरी जैसे मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाई थी।

शिवसेना सेना प्रमुख ने कहा कांग्रेस और एनसीपी बेकार गए हैं

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि हमें क्षेत्रवादी और धर्मनिरपेक्ष कहा जाता था। दशकों पहले हमारे पास भूमि पुत्र का मुद्दा था। अब कांग्रेस और एनसीपी बेकार हो गए हैं, इसलिए वे भूमि पुत्र का मुद्दा उठा रहे हैं।

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