हाइलाइट्स :
राष्ट्रपति ने रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए किया नामांकित
पूर्व CJI रंजन गोगोई ने अपने कार्यकाल में सुनाए थे कई अहम फैसले
ओवैसी, सुरजेवाला समेत कई नेताओं ने उठाए सवाल
लोग न्यायाधीशों की स्वतंत्रता पर कैसे यकीन करेंगे: ओवैसी
राज एक्सप्रेस। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा ये फैसला लिया गया है कि, पूर्व चीफ जस्टिस (CJI) रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए नामांकित किया जाएगा और ऐसा पहली बार है कि, जब किसी मुख्य न्यायाधीश को राष्ट्रपति ने राज्यसभा के लिए नामित किया हो। हालांकि राष्ट्रपति का ये निर्णय विपक्ष नेताओं को रास नहीं आया, उन्होंने CJI को राज्यसभा का सदस्य नामित किए जाने पर ट्विटर के जरिए अपनी राय देते हुए सवाल उठाए हैं।
इन नेताओं ने किए सवाल खड़े :
दरअसल, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के फैसले का एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला समेत कई नेताओं ने सवाल खड़े किए हैं।
क्या बोले ओवैसी?
इस फैसले पर असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि, ये रंजन गोगोई के लिए मुआवजा है। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर गृह मंत्रालय का नोटिफिकेशन शेयर किया है, जिसमें राष्ट्रपति ने पूर्व सीजेआई को राज्यसभा के लिए नामांकित किया है। साथ ही कैप्शन में लिखा- ''क्या यह इनाम है''? लोग न्यायाधीशों की स्वतंत्रता पर कैसे यकीन करेंगे? कई सवाल''
सुरजेवाला क्या बोले?
राष्ट्रपति के इस फैसले पर कांग्रेस नेता और प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, ''तस्वीरें सब बयां करती हैं।''
इसके अलावा कांग्रेस नेता संजय झा ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा है कि, ''रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किया गया... नो कमेंट्स।''
गृह मंत्रालय ने अधिसूचना की जारी :
बता दें कि, केंद्र सरकार ने पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किए जाने पर गृह मंत्रालय की ओर से सोमवार को ही इस आशय की अधिसूचना जारी कर दी गई है। जारी अधिसूचना के मुताबिक-
रंजन गोगोई का मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल करीब साढ़े 13 महीने का रहा था और उनकी अगुआई वाली बेंच ने कई महत्वपूर्ण फैसले भी सुनाए, जिसमें से राम मंदिर मामले का निपटारा भी उनकी ही बेंच द्वारा ही सुनाया गया था।
ये महत्वपूर्ण फैसले भी सुनाए :
पूर्व CJI रंजन गोगोई का राम मंदिर मामले के अलावा चीफ जस्टिस का ऑफिस पब्लिक अथॉरिटी मामला, सबरीमाला मामला, सरकारी विज्ञापन में नेताओं की तस्वीर पर पाबंदी मामला और अंग्रेजी-हिंदी समेत 7 भाषाओं के मामले पर भी फैसला महत्वपूर्ण है।
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