गहलोत सरकार के शासन में बहुसंख्यकों को दबाया जा रहा : सतीश पूनिया
उदयपुर। राजस्थान के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने प्रदेश कांग्रेस सरकार पर उसके शासन में बहुसंख्यकों को दबाये जाने का आरोप लगाते हुए कहा है कि अलवर जिले के राजगढ़ कस्बे में हिन्दुओं की आस्था के प्रतीक तीन सौ वर्ष पुराने भगवान शिव मंदिर को तोड़ा जाना उसी का नतीजा है।
डॉ. पूनिया ने अलवर के राजगढ़ कस्बे में मास्टर प्लान के तहत शिव मंदिर को ध्वस्त किए जाने के मामले पर आज यहां मीडिया से बातचीत में यह बात कही। उन्होंने कहा कि राजस्थान के अलवर जिले में स्थित राजगढ़ कस्बे में तीन सौ वर्ष पुराने भगवान शिव मंदिर पर पब्लिक डोमेन में बुलडोजर चलता हुआ दिखाई देता है, इसके बारे में कांग्रेस के नेता अलग-अलग बयानबाजी कर रहे हैं जो मेरी जानकारी में आया और जिसके आधार पर हमने पार्टी की एक कमेटी का गठन किया है, जो मौके पर जाकर तथ्यात्मक रिपोर्ट तैयार करेगी।
उन्होंने कहा कि, राजगढ़ में तीन सौ वर्ष पुराने शिव मंदिर को तोड़ने की घटना सुर्खियों में है। जो सनातन परंपरा के लोग हैं उनको पता है कि प्राचीन मंदिर प्रदेश, देश और समाज की पूंजी हैं, उनको कांग्रेस सरकार के शासन में निर्दयता से तोडऩा, उसके बाद चोरी और सीनाजोरी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के लोग इन सारी चीजों की तोहमत भाजपा के नगरपालिका बोर्ड पर लगाते हैं, क्या अकेला बोर्ड ही अतिक्रमण को तोडऩे का फैसला करता है। डीएलबी, प्रशासन, सरकार, अधिकारी यह पूरी प्रक्रिया है जिसके आधार पर ऐसे निर्णय लिये जाते हैं।
डॉ. पूनिया ने कहा कि राजगढ़ में वर्ष 2013 में गौरवपथ का बनना, गौरवपथ के बीच में जो अतिक्रमण थे, उनके बारे में नोटिस जारी होना, लेकिन फिर भी गौरवपथ वहीं रुक गया, जहां अतिक्रमण का विरोध हुआ। क्या तीन सौ वर्ष पुराना मंदिर अतिक्रमण है। कांग्रेस सरकार ने यह कार्रवाई की, उससे यह बात साफ तौर पर नजर आती है कि, उस जगह के स्थानीय कांग्रेस विधायक ने वहां के लोगों के बीच कहा कि नगर पालिका के 34 पार्षद मेरे साथ खड़े हों, वरना कोई ना कोई कार्रवाई होगी। दूसरी तरफ इसके पर्दे के पीछे एक और चौंकाने वाली बात है कि कांग्रेस विधायक के पुत्र के खिलाफ नाबालिग ने सामूहिक दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया, उसमें कुछ लोग पकड़े गये, कुछ लोग फरार हैं, जिसमें विधायक का पुत्र भी शामिल है। विधायक के पुत्र पर कार्रवाई नहीं हो, इसके लिये सरकार पर दवाब है, उसी विधायक के दवाब पर कस्बे के लोगों को भयाक्रांत करने के लिये उनके दवाब में मुख्यमंत्री के इशारे पर यह कार्यवाही होती है और तीन वर्ष पुराना मंदिर तोड़ दिया जाता है।
उन्होंने कहा कि जानकारी में यह भी सामने आया है कि बहुत सारे अतिक्रमण तोड़ दिये गये और बहुत बचा लिये जाते हैं, यहां भी विभेद है, अब कांग्रेस पार्टी के पास बचाव का कोई रास्ता नहीं है, ऐसे में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं मंत्री आनन-फानन में बेतुके बयान दे रहे हैं, मुझे लगता है कि यह चीजें शीशे की तरह साफ हैं।
उन्होंने कहा "हमने मौके पर भाजपा का प्रतिनिधिमंडल भेजने का निर्णय लिया है, जो तथ्यात्मक रिपोर्ट बनाकर हमें सौपेंगे। मुझे लगता है कि कांग्रेस सरकार व मुख्यमंत्री की तुष्टिकरण की जो नीति है, दूसरा बड़ा कारण है, उनको अपने वोट बैंक को खुश करना है, वो खुश तभी होंगे जब बुलडोजर चलेगा हिन्दुओं की आस्था पर, करौली की घटना यह अपने आप में बड़ा प्रमाण है।" केवल करौली ही नहीं, क्यों रामनवमी पर 144 लगती है कि प्रदेश के लगभग 17 जिलों में, क्यों बड़े पैमाने पर 107 और 116 की कार्रवाई होती है। यह अपने आप में प्रमाण है कि किस तरह से बहुसंख्यक लोगों को राजस्थान में दबाने की कोशिश की जा रही है। उसी का नतीजा है कि हिन्दु की आस्था के प्रतीक को इस तरह से तोड़ा जाना।
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