MP में ग्वालियर चंबल बेल्ट को खुश करने की तैयारी में जुटी कांग्रेस

पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को चुनौती देने के लिए कांग्रेस की रणनीति पूर्व मंत्री एवं लहार विधायक डॉ. गोविंद सिंह को मिल सकती नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी।
MP में ग्वालियर चंबल बेल्ट को खुश करने की तैयारी में जुटी कांग्रेस
MP में ग्वालियर चंबल बेल्ट को खुश करने की तैयारी में जुटी कांग्रेसSyed Dabeer Hussain - RE
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राज एक्सप्रेस। मध्य प्रदेश में इस साल होने वाले 24 उप चुनाव में ग्वालियर-चंबल अंचल में दो तिहाई सीटें हैं। यहां भाजपा और कांग्रेस ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की रणनीति पर काम कर रही हैं। इस क्षेत्र में अब तक कांग्रेस में ज्योतिरादित्य सिंधिया का वर्चस्व था लेकिन अब वे भाजपा में हैं तो उन्हें टक्कर देने के लिए कांग्रेस अब वहां जल्द से जल्द किसी क्षेत्रीय नेता को स्थापित करने की रणनीति बना रही है।

मध्य प्रदेश कांग्रेस के पास अभी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का एक पद है, जिसे ग्वालियर-चंबल संभाग के नेता को सौंपकर उप चुनाव में उतर सकती है। मध्य प्रदेश विधानसभा के 24 उप चुनाव में विधायकी से त्यागपत्र देकर कांग्रेस छोड़ने वाले 15 पूर्व विधायकों के क्षेत्र ग्वालियर चंबल संभाग के हैं। वहीं, जौरा के विधायक बनवारीलाल शर्मा तथा आगर मालवा के मनोहर ऊंटवाल के निधन से रिक्त हुई दो सीटों में जौरा सीट भी ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की हैं।

मध्य प्रदेश के ग्वालियर-चंबल संभाग में 16 सीटों पर उप चुनाव होना है जो कोरोना संकट के बाद इस साल के अंत तक होने की संभावना है l इसी संभाग से आने वाले डॉ. गोविंद सिंह को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने की संभावनाएं है। भिंड जिले की लहर विधानसभा क्षेत्र से लगातार सात बार चुनाव जीतने वाले डॉ. गोविंद सिंह का नाम समर्थकों ने आगे बढ़ाया है l वहीं शिवपुरी जिले की पिछोर विधानसभा क्षेत्र से छठवीं बार विधायक बने केपी सिंह कक्काजू भी ग्वालियर चंबल संभाग से आते हैं l

बता दें कि पिछोर सिंधिया के संसदीय क्षेत्र गुना शिवपुरी का हिस्सा है। जहां से ज्योतिरादित्य सिंधिया बुरी तरह लोकसभा का चुनाव हारे हैं। केपी सिंह कक्काजू की एकमात्र ऐसी विधानसभा क्षेत्र है जहां से ज्योतिरादित्य सिंधिया को बढ़त मिली थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया जब कांग्रेस में थे तब डॉ. गोविंद सिंह एवं केपी सिंह कक्काजू को भी अपना विरोधी मानते रहे क्योंकि कहीं ना कहीं दोनों नेताओं की दिग्विजय सिंह की नजदीकी रही। डॉ. गोविंद सिंह के खिलाफ तो कांग्रेस सरकार बनने के बाद सिंधिया समर्थक विधायकों ने बिगुल ही बजा दिया थाl

मध्यप्रदेश में होने वाले उप चुनावों में दो तिहाई सीट ग्वालियर-चंबल की है जिन पर भाजपा और कांग्रेस दोनों का ज्यादा ध्यान है। कांग्रेस का विशेष तौर पर वहां ध्यान है क्योंकि ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ने से क्षेत्र में पार्टी के लिए चेहरे की समस्या खड़ी हो गई है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि ग्वालियर-चंबल संभाग में सिंधिया की टक्कर में नेता को खड़ा करने के लिए पार्टी के पास अभी नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी है जिस पर किसी क्षेत्रीय नेता को बैठाकर स्थापित किया जा सकता है। मध्यप्रदेश में कांग्रेस को सत्ता 15 साल बाद मिली थी तो जाहिर बात है कि इन उपचुनावों में कांग्रेस सत्ता पाने के लिए अपना एड़ी चोटी का जोर लगा देगी।

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