हैदराबाद। तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष एवं सांसद ए.रेवंत रेड्डी ने शनिवार को कहा कि पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश में सत्ता में आई, तो किसानों की समस्याओं का समाधान करने के लिए जरूरी कदम उठाएगी। श्री रेड्डी ने वारांगल जिला के अक्कन्नपेट में 'रचबंद' कार्यक्रम में शामिल होते हुए कहा कि कांग्रेस यह जानने की कोशिश कर रही है कि पार्टी वारांगल घोषणा पत्र के जरिए किसानों की किस तरह से सहायता कर सकती है। उन्होंने कहा, ''हमारा लक्ष्य राज्य में सबसे करीब लोगों की सहायता करने की हर संभव कोशिश करने की है।'' उन्होंने कहा कि राज्य में सूबे भागीरथ वाटर मिशन तथा दो कमरों के घर की कोई योजना नहीं है, जैसा कि राज्य के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव दावा कर रहे हैं।
इससे पहले उन्होंने संविधान निर्माता डॉ. बी. आर. अंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। वहीं वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं सांसद एन. उत्तम कुमार रेड्डी ने नालगोंडा लोकसभा क्षेत्र में रचबंद कार्यक्रमों में हिस्सा लिया और दावा किया कि सिर्फ कांग्रेस ही किसानों की समस्याओं का समाधान कर सकती है।
उन्होंने राज्य की तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) सरकार पर लाखों किसानों तथा उनके परिवारों के कल्याण की अनदेखी कर पिछले आठ साल उनके जीवन को बर्बाद करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि उन्हें आशंका थी कि टीआरएस सरकार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार की मिलीभगत से तेलंगाना के किसानों को तबाह किया है।
श्री रेड्डी ने आरोप लगाया कि श्री राव ने कृषि क्षेत्र को निजी हाथों में सौंपने के लिए एक गुप्त एजेंडा लागू करके पूरे किसान समुदाय को भारी नुकसान पहुंचाया है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा, ''केसीआर ने पहले विनियमित खेती को लागू करके फसल पैटर्न में गड़बड़ी की। उनकी नीतियों ने कपास, गन्ना, मिर्च, हल्दी और अब धान की खेती करने वाले किसानों को बरबाद कर दिया। उन्होंने किसानों के एक लाख रुपये तक ऋण को माफ करने का वादा किया था, लेकिन अपने पहले कार्यकाल में एक भी रुपये का किसानों का ऋण माफ नहीं किया।''
उन्होंने ने कहा कि केसीआर ने अपने दूसरे कार्यकाल में भी इसी तरह से किसानों के ऋण को माफ करने का वादा किया, लेकिन उसे पूरा नहीं किया। नतीजतन लगभग सभी किसान भारी कर्ज में डूबे हुए हैं और वे इस संकट से तब तक उबर नहीं पाएंगे, जब तक कि उनका कर्ज तुरंत माफ नहीं कर दिया जाता।'' उन्होंने कहा, ''अधिकांश किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल (एमएसपी) से इनकार करने से उनके संकट को इस हद तक बढ़ गए हैं कि कई किसानों ने या तो आत्महत्या कर ली या खेती करना छोड़ दिया है।''
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