हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है विश्व महिला दिवस।
वर्कप्लेस पर महिलाएं होती हैं उत्पीड़न का शिकार।
वर्कप्लेस पर मिलने वाले अधिकारों का इस्तेमाल करना जरूरी।
यौन उत्पीड़न के खिलाफ ले सकती हैं एक्शन।
राज एक्सप्रेस। हर भारतीय को किसी नौकरी या प्रोफेशन को करने का अधिकार है। आज महिलाएं भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर ऑफिसों में जॉब कर रही हैं। समय कितना भी आधुनिक क्यों न हो गया हो, लेकिन महिलाओं के लिए चुनौतियां कम नहीं हुई हैं। वे तभी ठीक से काम कर सकती है, जब वर्कप्लेस सुरक्षित और परेशानी से मुक्त हो। महिलाओं के मामले में यह सुरक्षा तब और बढ़ जाती है, जब उन्हें अलग-अलग तरह से परेशान किया जाता है। अगर किसी ऑफिस में ऐसा माहौल हो, तो महिलाओं के काम करने की ऊर्जा और क्षमता में कमी आती है। उनकी सुनवाई न हो, तो हौंसला और ज्यादा टूट जाता है। इसलिए, अगर आप एक महिला हैं, तो अच्छा है कि आप वर्कप्लेस पर अपने अधिकारों को जानें और जरूरत पड़ने पर इनका इस्तेमाल भी करें। क्योंकि अब के समय में अपराधियों को रोकने और दंडित करने के विकल्प पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हैं। अगर आपको भी वर्कप्लेस पर किसी तरह के भेदभाव या उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है, तो आप यहां बताए गए पांच कानून का सहारा ले सकती हैं।
क्या आपको कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है? 2013 में, वर्कप्लेस पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न अधिनियम उन लोगों की मदद के लिए बनाया गया था, जो काम के दौरान यौन उत्पीड़न का सामना करती हैं। यह अधिनियम महिलाओं को एक सुरक्षित वातावरण और किसी भी यौन दुर्व्यवहार के खिलाफ एक्शन लेने का अधिकार देता है।
क्या ऑफिस में पुरुषों के बराबर जिम्मेदारी निभाने के बाद भी आपको उनकी जितनी सैलरी नहीं मिलती। शिकायत करने के बाद भी अगर कोई सुनवाई नहीं होती, तो भारतीय संविधान के एक्ट 39 के तहत इक्वल रैम्यूनरेशन एक्ट आपको बराबर सैलरी का दावा करने की सुविधा देता है। इसके तहत एम्प्लॉयर को एक जैसी पोस्ट के लिए पुरुष और महिला एम्प्लॉयी को बराबर सैलरी देनी होगी।
अगर आप मां बनने जा रही हैं और अपना करियर नहीं छोड़ सकतीं, तो आपको मैटरनिटी बेनिफिट लॉ 1961 के तहत अपने अधिकारों के बारे में जरूर जानना चाहिए। इसमें आपको 26 हफ्ते तक पेड मैटरनिटी लीव मिलती है।
गर्भावस्था या गर्भपात के कारण होने वाली किसी भी बीमारी के लिए एक महीने पेड लीव मिलती है।
जब वुमन एम्प्लॉई डिलीवरी का प्रूफ दिखाती है तो मैटरनिटी बेनिफिट का भुगतान 48 घंटे पहले किया जाता है।
इसके अलावा, इस एक्ट के तहत, कोई भी कंपनी आपको डिलीवरी, मिसकैरेज या प्रेग्नेंसी खत्म होने के बाद छह सप्ताह तक नौकरी पर नहीं रख सकती। मैटरनिटी लीव के दौरान कोई आपको नौकरी से भी नहीं निकाल सकता।
अगर आप किसी ऐसी फैक्ट्री में काम करती हैं, जहां का टाइमिंग और स्थितियां दोनों खराब हैं, तो आपके एम्प्लॉयर को सजा दी जा सकती है। अगर महिला कर्मियों की शिफ्ट के समय में कोई बदलाव होता है तो उन्हें 24 घंटे पहले सूचना देनी होगी। इसके अलावा अगर कोई फैक्ट्री 30 से ज्यादा वुमन वर्कर्स को काम पर रखती है, तो उसे छह साल और उससे कम उम्र के बच्चों के लिए क्रेच रखना होगा।
अगर आप नाइट शिफ्ट में काम करती हैं, तो आपके एम्प्लॉयर को आपकी सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी लेनी होगी। नाइट शिफ्ट के दौरान पर्याप्त सुरक्षा और व्हीकल उपलब्ध कराने जैसी शर्तों को भी पूरा करना होगा। ऐसा न हो, तो आप एक्शन ले सकती हैं।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।