पीरियड्स को लेकर कई टैबू और नियम हैं।
पीरियड में मंदिर में प्रवेश होता है मना।
इन दिनों में मंदिर और महिलाओं की बॉडी की फ्रिक्वेंसी मिस मैच हाेती है।
सिर धोने से ब्लड में मौजूद गंदगी बाहर नहीं निकल पाती।
राज एक्सप्रेस। महिलाओं का पीरियड एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। लेकिन भारतीय समाज में पीरियड को लेकर कई मिथक फैले हुए हैं। जिन पर लोग आज भी भराेसा करते हैं। जैसे ज्यादातर परिवारों में रसोई में न जाना, बिस्तर पर न सोना, अचार न छूना, पूजा पाठ न करने की परंपरा आज तक चली आ रही है। अब सवाल यह उठता है कि ऐसा होता क्यों हैं। कई लोग हिन्दू मान्यता का हवाला देते हैं। उनके अनुसार पीरियड्स के दिनों में अगर तुलसी के पौधे पर जल चढ़ाया जाए, तो पौधा सूख जाता है। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि मंदिर सकारात्मक ऊर्जा से भरी जगह है । ऐसे मेें जब कोई महिला पीरियड के दिनों में मंदिर चली जाए, तो ऊर्जा प्रवाह के बीच असंतुलन पैदा होता है। कुल मिलाकर इन दिनों में मंदिर न जाने को लेकर अलग-अलग कारण हैं। इस बीच एस्ट्रोलॉजर डॉ. लतिका शर्मा ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर की है। जिसमें उन्होंने पीरियड़ में महिलाओं के मंदिर न जाने का असली कारण बताया है। तो आइए जानते हैं क्या कहना है एस्ट्रोलॉजर का।
हमारे हिन्दू धर्म के शास्त्रों में जो भी नियम बनाए गए हैं, उनके पीछे कुछ न कुछ मनोवैज्ञानिक कारण जरूर रहे हैं, लेकिन बदलते समय के साथ उन्हें गलत तरीके से अपनाकर हमने ही उनका गलत मतलब निकाल लिया। इसी में शामिल है, महिलाओं की माहवारी या पीरियड्स, जो कि प्रकृति ने खुद हर महीने के लिए महिलाओं के लिए बनाई है। और प्रकृति की बनाई गई चीज गलत कभी नहीं हो सकती।
एक्सपर्ट बताती हैं कि पुराने जमाने में मंदिर घरों के बाहर होते थे। तब लोग सुबह 4 से 6 बजे के बीच पूजा करने जाते थे। वह भोर का समय होता था, जब घरों के आसपास जंगली जानवर भी हुआ करते थे। बता दें कि ये जंगली जानवर खून की स्मेल से बहुत जल्दी आकर्षित होते थे और आप पर अटैक कर सकते थे। इसलिए मंदिर जाने के लिए मना किया जाता था।
शास्त्रों के अनुसार, पीरियड्स में महिलाएं भगवान के मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकती। अब जानते हैं इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण क्या है। एस्ट्रोलॉजर के अनुसार, मंदिर की फ्रीक्वेंसी लो से हाई की ओर जाती है, जबकि मासिक धर्म के दौरान ब्लड हाई से लो दिशा में बहता है। इसलिए यह शरीर में असंतुलन पैदा कर सकता है जिससे आगे चलकर स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
पीरियड के दिनों में कहीं शुरू के दो दिन और कहीं तीन दिनाें तक में बाल न धोने का नियम होता है। डॉ.लतिका के अनुसार, अगर आपने देखा हो तो जब भी बच्चे की नाक से खून निकलता है, तो सबसे पहले उसके सिर पर पानी डाला जाता है। ताकि उसकी ब्लीडिंग कम हो सके। इसलिए पीरियड्स में जब भी बॉडी से इंप्योर ब्लड निकल रहा हो, तो सिर धोने के लिए मना किया जाता है, ताकि यह गंदा ब्लड बाहर निकल जाए। अगर आप सिर पर पानी डालते हैं,, तो ब्लीडिंग कम हो जाती है। गंदा ब्लड शरीर में जमा रहता है, जो कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा करता है। इसलिए ये चीजें शास्त्रों में वर्जित हैं।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।