खुश रहने के लिए ना कहना सीख लें।
ओवर कमिटमेंट आपका सुख चैन छीन सकता है।
टॉक्सिक रिलेशनशिप को ना निभाएं।
अतीत या भविष्य के बारे में सोचना छोड़ दें।
राज एक्सप्रेस। हमें बचपन से सिखाया गया है कि हमेशा बड़ों की बात माननी चाहिए। इसलिए हम अपने बच्चों को भी यही सीख देते हैं, कि वो किसी की बात को नकारें नहीं। लेकिन आज के समय में हर वक्त हां, कहना भी ठीक नहीं है। हालांकि, यह कहना जितना आसान है, करना उतना ही मुश्किल है। हम अक्सर उन चीजों के लिए हां कह देते हैं, जिनके लिए असल में हमें ना कहना चाहिए । ऐसा हम दूसरों को खोने के डर से करते हैं। लेकिन क्या होगा अगर हम आपसे कहें कि कुछ चीजें हैं, जिन्हें अगर अस्वीकार कर दिया जाए, तो आपके जीवन में सुधार हो सकता है। इस आर्टिकल में हम आपको उन बातों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके लिए आपको ना कह देना शुरू कर देना चाहिए।
कई बार दूसरों को खुश करने या उन्हें खो देने के डर से, हम अपने रास्ते में आने वाली हर चीज के लिए "हां" कह देते हैं। इसे ओवर कमिटमेंट कहा जाता है। ऐसा करने से आपका शेड्यूल इतना व्यस्त हो जाता है कि आपके पास अपने लिए ही समय नहीं बचता। आप लगातार एक कमिटमेंट से दूसरे कमिटमेंट को पूरा करने के लिए दौड़ लगाते रहते हैं। इसमें नुकसान आपका है। यह ओवर कमिटमेंट न केवल आपकी ऊर्जा और समय बर्बाद करती है, बल्कि आपकी खुशी भी छीन लेती है। इसीलिए इसे "नहीं" कहना सीखना जरूरी है।
सभी रिश्ते आपके लिए अच्छे हों, यह जरूरी नहीं। कुछ रिश्ते टॉक्सिक यानी खुशी देने से ज्यादा थका देने वाले होते हैं। जो व्यक्ति आपके साथ रहकर हमेशा दूसरों की आलोचना करता रहता हो या नकारात्मक बातें करता हे, ऐसे लोगों के साथ रिलेशन बनाने से पहले कई बार सोचना चाहिए। क्योंकि ऐसे रिश्ते न केवल आपको मानसिक रूप से कमजोर बना सकते हैं, बल्कि आपके आत्मसम्मान को भी ठेस पहुंचाते हैं। ऐसे रिश्तों को ना कहने में ही आपकी भलाई है।
हम अक्सर पिछली गलतियों और पछतावे या फिर भविष्य की अनिश्चितताओं के बारे में सोचते रहते हैं। अतीत या भविष्य में जीने की यह आदत हमें वर्तमान में जीने के मजा छीन लेती है। अतीत पहले ही जा चुका है और उसे बदला नहीं जा सकता और भविष्य हमारे नियंत्रण में नहीं है। ऐसे में हमें अभी में जीना चाहिए। एक खुशहाल जीवन के लिए, अतीत के पछतावे या भविष्य की चिंताओं के बारे में सोचने को "नहीं" कहना अच्छा है।
अपने व्यस्त जीवन में, हम अक्सर खुद का ख्याल रखना भूल जाते हैं। हम अपनी जरूरतों से ज़्यादा काम, परिवार और दोस्तों को प्राथमिकता देते हैं। लेकिन याद रखें, कि दूसरों की देखभाल करने के लिए पहले खुद की देखभाल करना जरूरी है। जिसे हम सेल्फ केयर कहते हैं। इसके लिए "नहीं" कहना स्वार्थी नहीं है; यह जरूरी है।
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