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Right to Sleep : नींद डिस्‍टर्ब कर दे कोई , तो कर सकते हैं उस पर केस

अगर कोई आपकी नींद खराब कर दे, तो आप उसके खिलाफ केस दर्ज कर सकते हैं। राइट टू स्‍लीप को आर्टिकल 21 के 'राइट टू लाइफ एंड पर्सनल लिबर्टी के तहत मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी गई है।
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हाइलाइट्स :

  • अच्‍छी नींद स्‍वस्‍थ रहने के लिए जरूरी है।

  • नींद खराब करने वालों के लिए बना है अलग कानून।

  • नींद डिस्‍टर्ब करने वालों के खिलाफ कर सकते हैं मामला दर्ज।

  • खराब नींद से बढ़ता है हार्ट संबंधी समस्‍याएं।

राज एक्सप्रेस। आज के समय में अच्‍छी नींद बहुत जरूरी है। यह हमें नई उर्जा तो देती है साथ ही दिन की अच्‍छी शुरुआत करने में भी मदद करती है। खासतौर से नींद अगर रात की हो, तो हम स्‍ट्रेस फ्री फील करते हैं और स्‍वास्‍थ्‍य भी ठीक बना रहता है। लेकिन खराब नींद के कारण पूरा डेली रूटीन खराब हो जाता है। व्‍यक्ति को कमजोरी के साथ थकान महसूस होने लगती है, जिसका असर उसकी वर्क परफॉर्मेंस पर भी पड़ता है। साथ ही तनाव के कारण नई बीमारियां का खतरा बढ़ता है वो अलग। वैसे हमें गहरे नींद में से कोई जगा दे, तो ऐसा लगता है मानो इस पर केस कर दें। भारत में व्‍यक्ति को परेशान करने वालों के लिए कानून बनाया गया है, जिसके तहत उन्‍हें सजा दी जाती है। पर क्‍या आप राइट टू स्‍लीप के बारे में जानते हैं। बहुत से लोगों को इस बारे में नहीं पता, इसलिए वे इस अधिकार का लाभ नहीं ले पाते। तो आइए हम आपको बताते हैं क्‍या है राइट टू स्‍लीप एक्‍ट।

आर्टिकल 21: सोने का अधिकार

अनुच्छेद 21 के 'राइट टू लाइफ एंड पर्सनल लाइबर्टी' के तहत नींद के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी गई है। अनुच्छेद 21 के अनुसार, " किसी भी व्यक्ति को उसके जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में दिल्ली में बाबा रामदेव की रैली में सो रहे समर्थकों के हक में फैसला सुनाया था। इसमें पुलिस की कार्रवाई से उन लोगों के मौलिक अधिकार का उल्लंघन हुआ था।

मानव का अधिकार है अच्‍छी नींद

व्‍यक्ति के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए, नींद एक बुनियादी जरूरत है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति सो रहा है, वह आधा मरा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने नींद को एक बुनियादी बताया है। उसके अनुसार, किसी भी नागरिक को शोर में सोने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है क्योंकि यह एक नहीं कई बीमारियों का कारण बनता है। कई लोगों में नींद की कमी के कारण हृदय संबंधी समस्‍या, पाचन संबंधी विकार और न्यूरोसाइकाइट्रिक समस्‍याएं देखी गई हैं।

हर किसी को शांति से सोने का अधिकार है

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हर नागरिक को रात में शांति से सोने का अधिकार है। ऐसा माना गया है कि मेहनत करने वाले व्यक्ति को मीठी नींद आती है । वह सो जाए, तो उसका दिनभर का तनाव भी दूर हो जाता है और अगले दिन के लिए उसे काम करने की नई ऊर्जा मिलती है। लेकिन नींद डिस्‍टर्ब हो जाए, तो व्‍यक्ति में एकाग्रता की कमी आती है। इसका सबसे ज्‍यादा असर व्‍यक्ति की वर्क परफॉर्मेंस पर पड़ता है। कोर्ट के अनुसार, किसी को भी दूसरों की नींद खराब करने का अधिकार नहीं है।

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