प्रियंका चाेपड़ा हैं बोर्डिंग स्कूल की स्टूडेंट।
8 साल की उम्र के बाद बच्चे को भेजें यहां पढ़ने
बोर्डिंग स्कूल में बच्चा बनता है जिम्मेदार।
यहां पढ़ने भेजने से पहले बच्चे को सिखाएं सेविंग करना।
राज एक्सप्रेस। बॉलीवुड एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा की मां मधु चोपड़ा ने इंडिया टुडे के साथ एक इंटरव्यू में बताया कि - अपनी बेटी को बोर्डिंग स्कूल भेजना उनकी लाइफ का सबसे खराब डिसीजन था। मैं अभी भी इसके बारे में सोचकर रोती हूं और मुझे अब भी दोषी महसूस होता है। वहीं प्रियंका ने भी बोर्डिंग स्कूल को लेकर अपने अनुभव बताए कि उन्हें कितना अकेलापन महसूस होता था। मुझे ऐसा महसूस होता था कि मुझे त्याग दिया गया है। यह अनुभव केवल प्रियंका और उनकी मां का नहीं, बल्कि बोर्डिंग स्कूल जाने वाले हर बच्चे का होता है। एक्सपर्ट मानते हैं कि बोर्डिंग स्कूल भेजने से पहले कई बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है। माता-पिता को जानना चाहिए कि बच्चे को बोर्डिंग स्कूल भेजने की सही उम्र आखिर क्या है और उन्हें यहां भेजने के लिए कैसे प्रिपेयर करना चाहिए।
बच्चों को बोर्डिंग स्कूल भेजने में कोई बुराई नहीं है। बशर्ते आपका बच्चा यहां जाना चाहे। अगर स्कूल जाते समय अपने दोस्तों और परिवार के साथ घर पर रहना पसंद करता है, तो हो सकता है कि वह बोर्डिंग स्कूल में नहीं जाना चाहे। अगर ऐसा है, तो उसे बोर्डिंग स्कूल भेजने की गलती न करें। हालांकि, यदि आपका बच्चा घर छोड़ने के लिए तैयार है और फ्रीडम चाहता है, तो बोर्डिंग स्कूल एक अच्छा विकल्प हो सकता है। इसके कई फायदे हैं। जैसे बच्चाें और टीचर्स के साथ बेहतर अंडरस्टैंडिंग होती है, टीचर्स का ध्यान प्रत्येक बच्चे पर रहता है साथ ही बच्चे अकेले रहते हुए जिम्मेदार बनते हैं।
शिक्षाविदों की राय है कि 8 से 13 वर्ष की आयु के छात्र को बोर्डिंग स्कूल में भेजा जाना चाहिए। यह बच्चे के जीवन का मिड ईयर हाेता है, जो काफी रचनात्मक होता है। इस उम्र तक बच्चे मेच्योर हो जाते हैं। इससे उन्हें समझने में आसानी होती है कि उन्हें यहां क्यों भेजा जा रहा है।
अगर आपका बच्चा मिलनसार है, तो हो सकता है कि वह बोर्डिंग स्कूल के इंट्रोवर्ट माहौल को असेप्ट न कर पाए।
अगर आपको लगता है कि आपका बच्चा नई जगह तालमेल नहीं बिठा सकता, तो वह अभी यहां पढ़ने के लिए रेडी नहीं है।
अगर आपके बच्चे काे दोस्त बनाने में परेशानी होती है, तो इसका मतलब है कि वह बाेर्डिंग स्कूल नहीं जाना चाहेगा।
कई बोर्डिंग स्कूल साइंस और टेक्नोलॉजी पर ध्यान केंद्रित करते हैं। यदि आपके बच्चे को इसमें दिलचस्पी है, तो समझिए कि उसे बोर्डिंग स्कूल भेजने का आपका निर्णय सही है।
यदि आपका बच्चा शर्मीला है, तो हो सकता है कि वह यहां के माहौल के लिए तैयार न हो।
पहली चीज जो आपको करनी चाहिए वह है अपने बच्चे को नए वातावरण के लिए तैयार करना। इससे उन्हें नई जगह पर जल्दी से ढलने में मदद मिलेगी।
अपने बच्चे के प्रति ईमानदार रहें। यह एक ऐसी चीज है, जो आप दोनों के बीच विश्वास बनाए रखती है। इससे बच्चे को समझने में आसानी होती है कि आप उसका अच्छा चाहते हैं।
अपने बच्चे को बोर्डिंग स्कूल में भेजने से पहले आपको उसके लिए स्कूल में रहने के दौरान कुछ बुनियादी नियम स्थापित करने होंगे।
बोर्डिंग स्कूल कई सुविधाएं देते हैं, लेकिन उनके खर्चे भी होते हैं। माता-पिता को यह ध्यान देना चाहिए कि बच्चा अपने लिए कुछ पैसे बचा सके।
एक बार जब आपका बच्चा बोर्डिंग स्कूलों में चला जाएगा , तो उसे नए दोस्त बनाने होंगे और अपने आस-पास के लोगों के साथ तालमेल भी बैठाना होगा। इसलिए इस बात पर ध्यान दें कि आपका बच्चा आसानी से दोस्त बनाएं और उसके पास अच्छा कम्यूनिशन स्किल हो।
कोई पैरेंट नहीं चाहेगा कि आपका बच्चा अपने बोर्डिंग स्कूल में पढ़ने के दौरान उन्हें पूरी तरह भूल जाए। इसलिए नियमित रूप से उसे ईमेल या मैसेज भेजते रहें , ताकि बच्चा किसी से बात किए बिना बोरियत महसूस न करे और घर को बहुत ज्यादा याद भी न करे।
8 से 13 साल के छात्रों की शारीरिक और मानसिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, एक बोर्डिंग स्कूल बच्चों के लिए बेहतर वातावरण प्रदान करता है। माता-पिता के रूप में आपको अपने बच्चे के व्यक्तित्व और उम्र का आकलन करने के बाद ही उसे बोर्डिंग स्कूल भेजना चाहिए।
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