स्ट्रिक्ट पैरेंटिंग
स्ट्रिक्ट पैरेंटिंगSyed Dabeer Hussain - RE

स्ट्रिक्‍ट पेरेंट्स हैं आप, तो बच्‍चों को भुगतने पड़ सकते हैं ये नुकसान

जो माता-पिता अपने बच्‍चाें को लेकर जरूरत से ज्‍यादा सख्‍ती बरतते हैं, उनके बच्‍चों को भविष्‍य में कई तरह से नुकसान होता है। आपके अनुशासित होने के तरीके बच्‍चे को आपसे दूर भी कर सकते हैं।
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राज एक्सप्रेस। बच्‍चाें का पालन पोषण करना आज पेरेंट्स के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। ज्‍यादातर पेरेंट्स यही सोचते हैं कि बच्‍चों का पालन पोषण कैसे किया जाए, कि बच्‍चे अनुशासित बनें। ज्‍यादातर पेरेंट्स स्ट्रिक्ट पैरेंटिंग का रास्‍ता चुनते हैं। उन्‍हें लगता है कि वे सख्ती से बच्‍चों से व्‍यवहार करेंगे, तो बच्‍चा अच्‍छा व्‍यवहार करेगा और उनके कंट्रोल में रहेगा। लेकिन अध्ययनों से पता चला है कि स्ट्रिक्‍ट पैरेंटिंग का असर इसके एकदम उलट होता है। सख्त पालन-पोषण से बच्चे न केवल बुरा व्यवहार करते हैं बल्कि उनमें आत्‍मसम्‍मान की भी कमी देखने को मिलती है। कहने का मतलब ये है कि स्ट्रिक्‍ट पैरेंटिंग बच्‍चों की सेहत और दिमाग दोनों पर बुरा असर डालती है। तो चलिए जानते हैं कि स्ट्रिक्‍ट पैरेंटिग का बच्‍चों पर क्‍या इंपैक्‍ट पड़ता है।

स्ट्रिक्‍ट पैरेंटिंग से बच्‍चों को होने वाले नुकसान

डरा सहमा रहता है बच्‍चा

अगर आप एक ऐसे पैरेंट हैं, जो अपने बच्‍चों के प्रति सहानुभूति नहीं रखते और सख्‍ती बरतते हैं, तो इसका आपके बच्‍चे पर बहुत बुरा असर होने वाला है। उसके प्रति आपका ये रवैया उसकी मेंटल हेल्‍थ को प्रभावित कर सकता है। आपका बच्‍चा आपसे डरने लगेगा। आपसे खुलकर बात नहीं करेगा, आपसे हमेशा बचने की कोशिश करेगा। ऐसे बच्‍चों को आगे कोई भी चीज फेस करने में प्रॉब्लम आती है।

नहीं सीख पाएगा सेल्‍फ रेगुलेशन

एक समय ऐसा आता है, जब बच्‍चों को जिम्‍मेदारी और अनुशासन सीखना होता है। लेकिन जब आप सख्‍ती से उन पर बंदिशें लगा देते हैं, तो वे सेल्‍फ रेगुलेशन नहीं सीख पाते। पैरेंट होने के नाते, बच्‍चों को लिमिट में रखना सही है, लेकिन ये नियंत्रित करने वाली नहीं होनी चाहिए।

गुस्‍सा और अवसाद की भावना

ऐसे बच्‍चों में अकेलापन बहुत ज्‍यादा होता है। ज्‍यादा अनुशासन में रहने के कारण इनके दोस्‍त भी गिने चुने होते हैं। ऐसे में ये हर किसी को अपने मन की बात नहीं कह सकते और अकेले रह जाते हैं। ये अकेलापन न केवल उनमें गुस्‍से की भावना पैदा करता है बल्कि ये बच्‍चे अवसाद की चपेट में आ जाते हैं।

विद्रोह का भाव

सख्‍त माता-पिता होने पर अक्‍सर बच्‍चे क्रोधी और विद्रोही हो जाते हैं। एक समय बाद ये बच्‍चे माता-पिता की भी नहीं सुनते और घर छोड़ने या भागने के बारे में भी सोच सकते हैं।

झूठ बोलते हैं

हर वक्‍त बच्‍चों के साथ सख्‍ती से पेश आना बिल्‍कुल सही नहीं है। बहुत ज्‍यादा कायदे कानून बच्‍चों के विकास में रुकावट पैदा करते हैं। सख्त पालन-पोषण के कारण बच्‍चे आगे चलकर झूठ बोलना सीख जाते हैं। उन्हें लगता है कि झूठ उनके माता-पिता को संतुष्ट कर देगा और ऐसा करके वे किसी भी चीज़ से बच जाएंगे।

माता-पिता-बच्चे के रिश्ते में तनाव

यदि आप सख्त पैरेंट हैं और अपने ही नियम बच्‍चे पर थोपना चाहते हैं , तो यह आपके बच्चों के साथ आपके रिश्ते को नुकसान पहुंचा सकता है। बता दें कि स्ट्रिक पेरेंट्स में सहानुभूति की कमी होती है। ऐसे पेरेंट्स अपने बच्‍चों को नहीं समझते और उनका बच्चा भी उनके साथ अपनी लाइफ शेयर नहीं करना चाहता। यह माता-पिता और बच्चे के बीच तनाव पैदा करता है। बड़े होने पर बच्चे कभी भी इससे उबर नहीं पाते।

आत्‍मसम्‍मान में कमी

शोध के अनुसार, जो बच्‍चे ज्‍यादा सख्‍ती से गुजरते हैं, उन पर माता-पिता का पूरा नियंत्रण होता है, वे अपने आप में कम आत्मविश्वासी होते हैं। इससे बच्चे के आत्मविश्वास को काफी नुकसान पहुंचता है।

खुद का महत्‍व कम होने लगता है

चूंकि माता-पिता ही बच्चे की अपेक्षाएं तय करते हैं और उन्हें महत्वहीन महसूस कराते हैं, इससे बच्चे में खुद का महत्‍व कम होने लगता है। क्‍योंकि शुरू से ही उन्‍हें कभी अपनी बात कहने या रखने का मौका नहीं मिलता, ऐसे में उन्‍हें लगता है कि वे जो कुछ कहेंगे, उसका कोई महत्व नहीं होगा। वे खुद को औरों से कम समझने लगते हैं।

अपने बच्चे के साथ सख्ती बरतने से उन्हें आगे चलकर नुकसान होगा। बच्चों से प्यार और स्नेह से बात करना जरूरी है। पालन-पोषण का बच्चे के जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए एक माता-पिता के रूप में, आपको एक ऐसी परवरिश देनी चाहिए, जिसका आपके बच्चे पर अच्‍छा प्रभाव पड़े।

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