बच्चे को लेटकर दूध पिलाने से होते हैं ये नुकसान, ध्यान दें, वरना पछताएंगे आप
हाइलाइट्स :
स्तनपान बच्चे को पोषण देने का प्राकृतिक तरीका है।
लेटकर बच्चे को दूध पिलाना दोनों के लिए हानिकारक।
फेफड़ों और कानों के संक्रमण का बढ़ता है खतरा।
4 महीने के बच्चे को लेटकर करा सकती हैं स्तनपान।
राज एक्सप्रेस। बच्चे के जन्म लेने के बाद एक मां के जीवन में कई बदलाव आते हैं। जिसमें पहला बदलाव है ब्रेस्टफीडिंग। बच्चे के लिए मां का दूध संपूर्ण भोजन है। यह उसे पोषण देने का बेहद सुंदर और प्राकृतिक तरीका भी माना जाता है। उसका पेट 6 महीने तक मां के दूध से ही भरता है। इसलिए मां को समय-समय पर बच्चे को स्तनपान कराने पर ध्यान देना पड़ता है। हालांकि, इस दौरान कुछ गलतियां होती हैं, जो आगे चलकर मां और बच्चे दोनों के लिए दुखदायी बन जाती हैं। ब्रेस्टफीडिंग या स्तनपान के मामले में कहा जाता है कि हर मां को बच्चे को बैठकर दूध पिलाना चाहिए। लेकिन जब बच्चे की देखभाल में दिनभर जुटी मां की नींद पूरी नहीं हो पाती, तो थकान से चूर मां बच्चे को लेटकर दूध पिलाने लगती है। यह स्थिति एक मां को अपने बच्चे को दूध पिलाते समय आराम देती है। खासतौर से रात में यह बहुत फायदेमंद है, जब मां और बच्चे दोनों थके हुए होते हैं। यहां बताया गया है कि लेटकर दूध पिलाने से मां और बच्चे को किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
लेटकर दूध पिलाने के नुकसान
दम घुट सकता है
गायनाकोलॉजिस्ट डॉ. सीमा गुप्ता बताती हैं कि जब मां बच्चे को करवट लेकर लेटकर दूध पिलाती हैं, तो कई बार बच्चे की नाक दब जाती है। जिससे उसका दम भी घुट सकता है। कई मामलों में बच्चे की मौत तक हो जाती है और मां को पता भी नहीं चल पाता।
कानों में संक्रमण
डॉक्टर कहती हैं कि अगर बच्चे को लेटकर स्तनपान कराया जाता है, तो दूध का कुछ हिस्सा बच्चे के फेफड़े या कानों में जा सकता है। तुरंत नहीं, तो आगे चलकर यही कान में संक्रमण का कारण बन सकता है। कुछ बच्चों में कान बहने की समस्या भी इसी वजह से होती है।
फेफड़ों पर असर
लेटकर दूध पिलाने से बच्चे के फेफड़े प्रभावित होने की आशंका रहती है। दरअसल, जब बच्चा दूध चूसता है, तो वह सांस लेता है। ऐसे में दूध बच्चे के पेट से निकलकर फेफड़ों में जा सकता है। जिससे फेफड़ों का संक्रमण हो सकता है। ध्यान रखें मां का दूध पेट में जाना चाहिए, जहां वह पच जाए और बच्चे के लिए पोषक बन जाए।
पीठ और गर्दन में दर्द
करवट लेकर स्तनपान कराने से मां को आराम जरूर मिलता है, लेकिन इससे गर्दन और पीठ में दर्द की संभावना बढ़ जाती है। इतना ही नहीं, लंबे समय तक एक ही स्थिति में लेटने से मांसपेशियों में खिंचाव आ सकता है।
दूध की आपूर्ति में कमी
लेटकर स्तनपान कराने से दूध की आपूर्ति में कमी आ सकती है। जिससे बच्चे का पेट नहीं भर पाता। बच्चा भूखा न रहे, इसके लिए कुछ देर उसे बैठकर दूध पिलाने की कोशिश करें।
लेटते समय सुरक्षित स्तनपान कैसे करा सकते हैं
जिस बिस्तर पर आप स्तनपान करा रही है, उसके गद्दे मजबूत हों ।
लेटकर दूध पिलाने के दौरान बच्चा सही और सुरक्षित स्थिति में लेटा हो। उसे बिस्तर से गिरने का खतरा न हो।
जो महिलाएं एक ही करवट लेकर रात भर उसी तरफ के स्तन से दूध पिलाती हैं, उन्हें दोनों स्तनों से बराबर दूध पिलाना चाहिए। इससे स्तनों में दूध का उत्पादन संतुलित रहता है।
रात में लेटकर स्तनपान कराते समय थोड़ा सर्तक रहें। कई बार गहरी नींद में सो जाने से बच्चे का अचानक से दम घुटने या चोट लगने का खतरा बढ़ सकता है।
लेटकर स्तनपान कराने का सबसे अच्छा तरीका क्या है
लेटकर स्तनपान कराने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप करवट लेकर लेटें और बच्चे को अपने बगल में लिटाएं। ध्यान रखें कि बच्चे का सिर ब्रेस्ट और नाक निप्पल के लेवल में हो। स्थिति को ज्यादा आरामदायक बनाने के लिए एक मां अपनी पीठ और पैरों को सपोर्ट देने के लिए तकिए या कंबल का उपयोग कर सकती है।
करवट लेकर बच्चे को दूध पिलाना कब शुरू करना चाहिए
जब बच्चे का अपने सिर पर अच्छी तरह से कंट्रोल हो जाए और वह अपना सिर मोड़ सके, तब करवट लेटकर स्तनपान शुरू किया जा सकता है। बच्चों में यह बदलाव, आमतौर पर 4 से 6 महीने की उम्र के आसपास होता है।
लेटकर दूध पिलाना मां और बच्चे दोनों के लिए आरामदायक स्थिति है। लेकिन इससे होने वाले नुकसानों के बारे में हर मां को भी जागरूक रहना चाहिए।
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